*🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓*
🌤️*दिनांक -06अक्टूबर 2024*
🌤️*दिन - रविवार*
🌤️*विक्रम संवत - 2081*
🌤️*शक संवत -1946*
🌤️*अयन - दक्षिणायन*
🌤️*ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️*मास - अश्विन*
🌤️*पक्ष - शुक्ल*
🌤️*तिथि - तृतीया 07:48:54 रात्रि तक चतुर्थी*
🌤️ *नक्षत्र - विशाखा 12:10:11 रात्रि 02:24:07 तक तत्पश्चात अनुराधा*
🌤️ *योग प्रीति 30:38:37 तक तत्पश्चात भी प्रीति*
*🌤️*करण गर 07:48:54 तक तत्पश्चात विष्टि भद्र*
🌤️ *सूर्योदय -06:30:51*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:15:25*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 04:46 से सुबह 06:15 तक*
🔴 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी*
🔴 *विशेष - तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🔴 चोघडिया, दिन🔴
उद्वेग 06:31 - 07:59 अशुभ
चर 07:59 - 09:27 शुभ
लाभ 09:27 - 10:55 शुभ
अमृत 10:55 - 12:23 शुभ
काल 12:23 - 13:51 अशुभ
शुभ 13:51 - 15:19 शुभ
रोग 15:19 - 16:46 अशुभ
उद्वेग 16:46 - 18:14 अशुभ
🔴 चोघडिया, रात 🔴
शुभ 18:14 - 19:47 शुभ
अमृत 19:47 - 21:19 शुभ
चर 21:19 - 22:51 शुभ
रोग 22:51 - 24:23 अशुभ
काल 24:23 - 25:55 अशुभ
लाभ 25:55 - 27:27 शुभ
उद्वेग 27:27 - 28:59 अशुभ
शुभ 28:59 - 30:32 शुभ
🔴 *शारदीय नवरात्रि* 🔴
🔴आज नवरात्रि का तीसरा दिन है. नवरात्रि का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का दिन होता है. इस दिन नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है.
🔴जानें कैसे करें मां चंद्रघंटा की उपासना
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और आज नवरात्रि का तीसरा दिन है. नवरात्रि का तीसरा दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का दिन होता है. इस दिन नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है. तो चलिए जानते हैं कि नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की क्या मान्यता है, उपासना विधि और उपासना से क्या लाभ होता है.
🔴नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है. मां चंद्रघंटा के सर पर घंटे का आकार का चंद्रमा है इसलिए इनको चंद्रघंटा कहा जाता है. इनके दसों हाथों में अस्त्र शस्त्र है और इनकी मुद्रा युद्ध की है. मां चंद्रघंटा तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती है, ज्योतिष में इनका संबंध मंगल नामक ग्रह से माना जाता है.
🔴मां चंद्रघंटा की पूजा लाल रंग के वस्त्र धारण करके की जाए तो सबसे ज्यादा उत्तम होगा. साथ ही, माता को लाल फूल, रक्त चंदन और लाल चुनरी समर्पित करना सर्वोत्तम होता है. इनकी पूजा करने से मणिपुर चक्र मजबूत होता है. अतः इस दिन की पूजा आप जरूर करें ताकि मणिपुर चक्र मजबूत हो और भय का नाश हो. अगर इस दिन की पूजा से कुछ सिद्धियों जैसी अनुभूति होती है तो उसपर ध्यान न दें, आगे साधना करते रहें.
🔴 मणिपुर चक्र होता है नाभि के ठीक पीछे की हड्डी पर नाभि के ठीक पीछे होता है. इसके कमजोर होने से व्यक्ति के अंदर साहस नहीं होता और व्यक्ति के अंदर भय की वृत्ति होती है उसे हर चीज से डर लगता है. ये व्यक्ति के अंदर तृष्णा और मोह पैदा करता है. मणिपुर चक्र कमजोर होने से व्यक्ति के अंदर ईर्ष्या पैदा होती है उसे छोटी छोटी चीजों से घृणा होने लगती है और उसे लोगों का सामना करने में लज्जा आती है.
*🔴 मणिपुर चक्र को करें मजबूत*
1. मध्य रात्रि में लाल रंग के वस्त्र धारण कीजिए. सबसे पहले अपने गुरु को प्रणाम कीजिए अगर आपके गुरु नहीं है तो भगवान शिव को गुरु मानकर उनको प्रणाम कीजिए.
2. मां दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं. और फिर उन्हें लाल फूल अर्पित कीजिए.
3. इसके बाद आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाएं दोनों भाव के बीच में आंखे बंद करके वहां ध्यान लगाएं क्योंकि मणिपुर चक्र पर ध्यान लगाना मना होता है और गहरे से गहरा ध्यान करें.
4. उसके बाद अपने गुरु से मणिपुर चक्र को मजबूत करने की प्रार्थना करें इससे आपको लाभ होगा.
5. आप चाहे तो लाल रंग के रेशम का धागा मां दुर्गा को समर्पित करके अपनी कमर में बांध सकते हैं इससे भी मणिपुर चक्र बेहतर होना शुरू हो जाता है।*
*🔴 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
🔴 *रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
*🔴रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
🔴 *स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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