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पंचांग - 05-10-2024

 🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌤️*दिनांक -05अक्टूबर  2024*
🌤️*दिन - शनिवार*
🌤️*विक्रम संवत - 2081*
🌤️*शक संवत -1946*

jyotish

🌤️*अयन - दक्षिणायन*
🌤️*ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️*मास - अश्विन*
🌤️*पक्ष - शुक्ल*
🌤️*तिथि - तृतीया पूर्ण रात्रि तक*
🌤️ *नक्षत्र - स्वाती रात्रि 09:32:12 तक तत्पश्चात विशाखा*
🌤️ *योग - विश्कुम्भ  06 अक्टूबर सुबह 06:07:04 तक तत्पश्चात प्रीति*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 09:29 से सुबह 10:58 तक*
🌤️*चन्द्र राशि~      तुला*
🌤️ *सूर्य राशि~     कन्या*
🌤️ *सूर्योदय -06:32*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:21*
   🌞*चोघडिया, दिन*🌞
काल    06:31 - 07:59    अशुभ
शुभ    07:59 - 09:27    शुभ
रोग    09:27 - 10:55    अशुभ
उद्वेग    10:55 - 12:23    अशुभ
चर    12:23 - 13:51    शुभ
लाभ    13:51 - 15:19    शुभ
अमृत    15:19 - 16:47    शुभ
काल    16:47 - 18:15    अशुभ
   🌞*चोघडिया, रात*🌞
लाभ    18:15 - 19:47    शुभ
उद्वेग    19:47 - 21:19    अशुभ
शुभ    21:19 - 22:51    शुभ
अमृत    22:51 - 24:23    शुभ
चर    24:23 - 25:55    शुभ
रोग    25:55 - 27:27    अशुभ
काल    27:27 - 28:59    अशुभ
लाभ    28:59 - 30:31    शुभ
👉 *दिशाशूल - पूर्व  दिशा मे*
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🚩 *व्रत पर्व विवरण - तृतीया वृद्धि तिथि*
💥 *विशेष - तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।' (ब्रह्म पुराण')*
🌤️*शारदीय नवरात्रि* 🌤️
🌤️*कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं मां चंद्रघंटा*
 *नवरात्रि की तृतीया तिथि यानी तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है । इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश किया था। नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन किया जाता है। इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।*
🌷 *रोग, शोक दूर करती हैं मां कूष्मांडा* 🌷
*नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं। इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है। मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया। इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा।*
🙏🏻 *मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है। इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं। साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं।*
    
🌤️ *शारदीय नवरात्रि* 🌤️
*तृतीया तिथि यानी की तीसरे दिन को माता दुर्गा को दूध का भोग लगाएं ।इससे दुखों से मुक्ति मिलती है ।*
🌤️ *नवरात्रि  के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं ।इससे समस्याओं का अंत होता है ।*
🌤️ *नवरात्रि के दिनों में जप करने  का मंत्र*
🌤️*नवरात्रि के दिनों में ' ॐ श्रीं ॐ ' का जप करें ।*
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🌤️*विद्यार्थी के लिए* 🌤️*
🌤️*नवरात्रि के दिनों में खीर की २१ या ५१ आहुति गायत्री मंत्र बोलते हुए दें । इससे विद्यार्थी को बड़ा लाभ होगा।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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