🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक -04 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वितीया 29:30:07 रात्रि तक तत्पश्चात तृतीया*
🌤️ *नक्षत्र - चित्रा शाम
06:37:00तक तत्पश्चात स्वाती*
🌤️ *योग - वैधृति 05 अक्टूबर प्रातः 04:20:09 तक तत्पश्चात विष्कंभ*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 10:55 से दोपहर 12:23 तक*
🌤️ *चन्द्र राशि~ तुला*
🌤️ *सूर्य राशि ~ कन्या*
🌤️ *सूर्योदय -06:30:22*
🌤️ *सूर्यास्त- 06:16:31*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण -चंद्र-दर्शन (शाम 06:11 से 06:56 तक)*
💥 *विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
💥 *चोघडिया, दिन*💥
चर 06:30 - 07:59 शुभ
लाभ 07:59 - 09:27 शुभ
अमृत 09:27 - 10:55 शुभ
काल 10:55 - 12:23 अशुभ
शुभ 12:23 - 13:52 शुभ
रोग 13:52 - 15:20 अशुभ
उद्वेग 15:20 - 16:48 अशुभ
चर 16:48 - 18:17 शुभ
💥 *चोघडिया, रात*💥
रोग 18:17 - 19:48 अशुभ
काल 19:48 - 21:20 अशुभ
लाभ 21:20 - 22:52 शुभ
उद्वेग 22:52 - 24:24 अशुभ
शुभ 24:24 - 25:55 शुभ
अमृत 25:55 - 27:27 शुभ
चर 27:27 - 28:59 शुभ
रोग 28:59 - 30:31 अशुभ
💥 *महा नवरात्रि दूसरा दिन*- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा – 4 अक्तूबर2024
💥 *नवरात्रि की द्वितीया तिथि यानी दूसरे दिन माता दुर्गा को शक्कर का भोग लगाएं ।इससे उम्र लंबी होती है ।*
💥*तप की शक्ति का प्रतीक है मां ब्रह्मचारिणी*
💥 *नवरात्रि की द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं। इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है। साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं।*
💥*मां ब्रह्मचारिणी हमें यह संदेश देती है कि जीवन में बिना तपस्या अर्थात कठोर परिश्रम के सफलता प्राप्त करना असंभव है। बिना श्रम के सफलता प्राप्त करना ईश्वर के प्रबंधन के विपरीत है। अत: ब्रह्मशक्ति अर्थात समझने व तप करने की शक्ति हेतु इस दिन शक्ति का स्मरण करें। योगशास्त्र में यह शक्ति स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होती है। अत: समस्त ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र में करने से यह शक्ति बलवान होती है एवं सर्वत्र सिद्धि व विजय प्राप्त होती है।*
💥 *9 औषधियों के पेड़ पौधे जिन्हें नवदुर्गा कहा गया है -*
(2) *ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी)* : ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है.इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है.
अगर ब्राह्मी को नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के मंत्र से अभिमंत्रित करके प्रयोग में लाया जाए तो उसके बेहतरीन परिणाम सामने आएंगे।
💥 देवी मां ब्रह्माचारिणी को समर्पित है। नवरात्र का दूसरा दिन यह दिन अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार 4 अक्टूबर 2024 को शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां ब्रह्माचारिणी की पूजा करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
💥 ब्रह्मचारिणी मां का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। ह्रीं श्री अम्बिकायै नम: दधाना काभ्याम् क्षमा कमण्डलू।
देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें। चूंकि मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं।
💥 अगर सुख शांति और लंबी उम्र चाहिए तो मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान और पूजा करें
आज नवरात्र का दूसरा दिन है। आज मां दूर्गा के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अलग तरीके से की जाती है। कई बार ऐसा होता है कि भक्तों को पता नहीं होता है कि इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता। माँ ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है। दुर्गा पूजा के दूसरे दिन इन्हीं के स्वरूप की उपासना की जाती है।
💥 देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें। चूंकि मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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