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पंचांग - 03-10-2024

 🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक -03 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*

jyotish

*⛅ऋतु - शरद*

*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - प्रथम    रात्रि 02:57:34 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र    नक्षत्र    हस्त    15:31:19 तक तत्पश्चात चित्रा*
*⛅योग    ~ऐन्द्र    28:22:49 तक तत्पश्चात     वैधृति*
*⛅करण~    किन्स्तुघ्न    13:38:17 तक तत्पश्चात बालव*
*⛅सूर्योदय    ~06:29:52    *
*⛅सूर्यास्त~    06:17:37*
*⛅राहू काल    ~01:52 - 03:21    अशुभ*
🌤️*चोघडिया, दिन*🌤️
शुभ    06:30 - 07:58    शुभ
रोग    07:58 - 09:27    अशुभ
उद्वेग    09:27 - 10:55    अशुभ
चर    10:55 - 12:24    शुभ
लाभ    12:24 - 13:52    शुभ
अमृत    13:52 - 15:21    शुभ
काल    15:21 - 16:49    अशुभ
शुभ    16:49 - 18:18    शुभ
 🌤️*चोघडिया, रात*🌤️
अमृत    18:18 - 19:49    शुभ
चर    19:49 - 21:21    शुभ
रोग    21:21 - 22:52    अशुभ
काल    22:52 - 24:24    अशुभ
लाभ    24:24 - 25:56    शुभ
उद्वेग    25:56 - 27:27    अशुभ
शुभ    27:27 - 28:59    शुभ
अमृत    28:59 - 30:30    शुभ

kundli



*⛅2024 शारदीय नवरात्रि के दौरान घटस्थापना मुहूर्त नागौर राजस्थान, (भारत) के लिये
शारदीय महानवरात्रि घट स्थापना
3 अक्टूबर 2024 ,गुरूवार को
 पूजन ⛅*

*⛅घटस्थापना मुहूर्त - 06:30 ए एम से 07:29 ए एम
अवधि - 00 घण्टा 59 मिनट्स*

*⛅घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 12:00 पी एम से 12:47 पी एम
अवधि - 00 घण्टे 47 मिनट्स
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
shelputri
                 माँ शैलपुत्री

*⛅घटस्थापना मुहूर्त, द्वि-स्वभाव कन्या लग्न के दौरान है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - अक्टूबर 03, 2024 को 12:18:08 ए एम बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - अक्टूबर 04, 2024 को 02:57:34 ए एम बजे

कन्या लग्न प्रारम्भ - अक्टूबर 03, 2024 को 06:29 ए एम बजे
कन्या लग्न समाप्त - अक्टूबर 03, 2024 को 07:34 ए एम बजे

*⛅घटस्थापना*
घटस्थापना, नवरात्रि के समय किये जाने महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है। यह नौ दिवसीय उत्सव के आरम्भ का प्रतीक है। हमारे शास्त्रों में नवरात्रि के आरम्भ में एक निश्चित अवधि में घटस्थापना करने हेतु भली-भाँति परिभाषित नियम एवं दिशानिर्देश वर्णित किये गये हैं। घटस्थापना देवी शक्ति का आह्वान है तथा हमारे शास्त्र सचेत करते हैं कि, अनुचित समय पर घटस्थापना करने से देवी शक्ति का प्रकोप हो सकता है। अमावस्या तथा रात्रिकाल में घटस्थापना करना वर्जित होता है।

*⛅प्रतिपदा तिथि के दिन का पहला एक तिहायी भाग घटस्थापना हेतु सर्वाधिक शुभ समय माना जाता है। यदि किसी कारणवश यह समय उपलब्ध न हो, तो अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना की जा सकती है। घटस्थापना के समय चित्रा नक्षत्र तथा वैधृति योग को टालने की सलाह दी जाती है, परन्तु इन्हें वर्जित नहीं किया गया है। सर्वाधिक विचारणीय महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि, घटस्थापना हिन्दु मध्याह्न से पूर्व प्रतिपदा के समय की जाती है।
*⛅आपको ऐसे अनेक स्रोत मिलेंगे, जो घटस्थापना करने हेतु चौघड़िया मुहूर्त पर विचार करने की सलाह देते हैं, किन्तु हमारे शास्त्र चौघड़िया मुहूर्त में घटस्थापना का सुझाव नहीं देते हैं। हम सभी प्रामाणिक स्रोतों पर शोध कर  तथा केवल उन्हीं नियमों का पालन करते है, जो वैदिक ग्रन्थों में मूल रूप से वर्णित हैं। हालाँकि, यदि आप चौघड़िया मुहूर्त चुनना चाहते हैं, तो आप इसे पंचांग चौघड़िया  से ज्ञात कर सकते हैं, किन्तु हम इसे घटस्थापना के लिये उपयोग करने की अनुशंसा नहीं करते हैं।
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*⛅हम लग्न पर भी विचार करते हैं तथा गणना किये गये मुहूर्त में द्वि-स्वभाव लग्न को सम्मिलित करने का प्रयास करते हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान सूर्योदय के समय कन्या द्वि-स्वभाव लग्न प्रबल होता है एवं उपयुक्त होने पर हम घटस्थापना मुहूर्त हेतु इसका चयन करते हैं।

*⛅मध्याह्नकाल, रात्रिकाल तथा सूर्योदय के उपरान्त सोलह घटी के पश्चात् का कोई भी समय घटस्थापना के लिये वर्जित होता है।

*⛅ दुर्गा पूजा
प्रति वर्ष पन्द्रह दिवसीय देवी पक्ष के समय विभिन्न प्रकार से दुर्गा पूजा की जाती है, जो नवरात्रि, दुर्गोत्सव, तथा शारदोत्सव के रूप में भी लोकप्रिय है। दुर्गा पूजा में देवी लक्ष्मी, देवी सरस्वती, भगवान गणेश, एवं भगवान कार्तिकेय का भी पूजन किया जाता है।
नवदुर्गा देवी माता पार्वती को शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघण्टा, कूष्माण्डा आदि नौ भिन्न-भिन्न रूपों में पूजा जाता है। माता पार्वती के यही नौ रूप समस्त संसार में नवदुर्गा के रूप में विख्यात हैं। नवरात्रि उत्सव के समय देवी माँ के दिव्य नवदुर्गा स्वरूपों की विस्तृत पूजा-आराधना की जाती है।

*⛅दश महाविद्या
देवी शक्ति के १० मुख्य स्वरूपों को दश महाविद्या के रूप में पूजा जाता है। दश महाविद्या विभिन्न दिशाओं की अधिष्ठातृ शक्तियाँ हैं। दश महाविद्या की पूजा एवं साधना के माध्यम से साधकों को विभिन्न प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं

*⛅शारदीय महा नवरात्रि
शरद ऋतु से सम्बन्धित होने के कारण आश्विन माह की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि भी कहते हैं। विश्व भर के देवी उपासक इस पर्व की प्रतीक्षा करते हैं, जिसके कारण यह नवरात्रि बेहद लोकप्रिय है इसीलिये इसे 'महानवरात्रि' भी कहते हैं।


*⛅नवपत्रिका की नौ पत्तियाँ
इस पृष्ठ पर दुर्गा पूजा के समय उपयोग होने वाली नौ प्रकार की पत्तियों का विवरण प्रदान किया गया है, जिन्हें नवपत्रिका कहा जाता है। नौ पत्तियों द्वारा देवी दुर्गा की पूजा को नवपत्रिका पूजा के नाम से जाना जाता है। पश्चिम बंगाल में यह पर्व कोलाबोऊ पूजा के नाम से लोकप्रिय है।

*⛅सप्त धान्य
यहाँ नवरात्रि के समय उपयोग होने वाले ७ प्रकार के अनाजों सचित्र वर्णन किया गया है, जिन्हें सामूहिक रूप से सप्तधान्य के नाम से जाना जाता हैं। सप्तधान्य के अन्तर्गत जौ, तिल, धान, मूँग तथा कँगनी आदि अनाजों को सम्मिलित किया गया है, जो देवी माँ को अत्यधिक प्रिय होते हैं।

*⛅दुर्गा आरती
अम्बे तू है जगदम्बे काली, देवी दुर्गा को समर्पित सर्वाधिक प्रचलित एवं लोकप्रिय आरती है। देवी माँ से सम्बन्धित विभिन्न अवसरों सहित दैनिक पूजन में भी इस आरती का गायन किया जाता है। यह आरती अत्यन्त मधुर एवं कर्णप्रिय है तथा इसके गायन से माता रानी प्रसन्न होती हैं।

*⛅पुष्पाञ्जलि
यहाँ दुर्गा पूजा के समय मन्त्र सहित पुष्पाञ्जलि अर्पित करने की विस्तृत विधि प्रदान की गयी है। दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर उनमें पुष्प लेकर अर्पित करने की क्रिया को पुष्पाञ्जलि कहते हैं। देवी माँ के अनेक प्रमुख देवालयों में नियमित रूप से प्रत्येक सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तिथि पर पुष्पाञ्जलि अर्पित की जाती है।

*⛅दुर्गा चालीसा
श्री दुर्गा चालीसा, देवी दुर्गा को समर्पित ४० छन्दों से युक्त एक प्रार्थना है, जिसका भक्तिपूर्वक पाठ करने से देवी माँ अत्यन्त प्रसन्न होकर कृपा करती हैं। देवी दुर्गा हिन्दु धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। देवी दुर्गा की कृपा से भक्तों को शक्ति, साहस एवं वीरता की प्राप्ति होती है।

*⛅धुनुची नृत्य
धुनुची नृत्य, दुर्गा पूजा के समय किया जाने वाला अत्यधिक लोकप्रिय नृत्य है। धुनुची नृत्य के अन्तर्गत दोनों हाथों में मिट्टी की धुनाची में दहकती हुयी धूप लेकर देवी दुर्गा के समक्ष नृत्य किया जाता है। नृत्य हेतु ढाक नामक पारम्परिक वाद्य यन्त्र का प्रयोग भी किया जाता है।

*⛅दुर्गा माता के 108 नाम
यहाँ देवी दुर्गा माता के १०८ पवित्र नामों की सूची प्रदान की गयी है, जिसे अष्टोत्तर शतनामावली भी कहा जाता है। देवी माँ के यह १०८ नाम हृदय को शीतलता प्रदान करने वाले हैं। प्रतिदिन इन १०८ नामों का पाठ करने से देवी माँ के आशीर्वाद साहित उत्साह एवं आनन्द में वृद्धि होती है।

*⛅दुर्गा पूजा विधि
यहाँ नवरात्रि के समय की जाने वाली दुर्गा पूजा हेतु षोडशोपचार दुर्गा पूजा विधि चरणबद्ध एवं विस्तृत रूप में प्रदान की गयी है। षोडशोपचार पूजन में धर्मग्रन्थों द्वारा वर्णित सोलह चरणों के माध्यम से माता रानी की पूजा की जाती है। देवी दुर्गा की षोडशोपचार पूजा करने से सुख-शान्ति एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।

*⛅दुर्गा सप्तशती
श्री दुर्गा सप्तशती, देवी दुर्गा को समर्पित ७०० श्लोकों तथा १३ अध्यायों में विभक्त एक प्रसिद्ध धर्मग्रन्थ है, जिसका उद्भव ऋषि मार्कण्डेय द्वारा रचित मार्कण्डेय पुराण से हुआ है। दुर्गा सप्तशती के पाठ से साधक विभिन्न सिद्धियों को अर्जित कर अन्ततः उत्तम गति को प्राप्त होता है।

*⛅शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं।
 ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा।

*⛅नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है।

*⛅शैलपुत्री- नवदुर्गाओं में प्रथम
देवनागरी। शैलपुत्री
संबंध हिन्दू देवी, शक्ति, पार्वती
निवासस्थान हिमालय, कैलाश

*⛅मंत्र
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वंदे वाद्द्रिछतलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम | वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्‌ ||

*⛅देवी सर्वभू‍तेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः|
अस्त्र त्रिशूल, कमल
जीवनसाथी शिव
सवारी वृषभ
▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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