🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक -02 अक्टूबर 2024*
*⛅दिन - बुद्धवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अमावस्या 24:18:07Am तक तत्पश्चात प्रथम*
*⛅नक्षत्र उत्तर फाल्गुनी 12:21:46तत्पश्चात हस्त*
योग ~ब्रह्म 27:19:55 तत्पश्चात ऐन्द्र*
करण~ चतुष्पद 10:57:56
तत्पश्चात किन्स्तुघ्न
*⛅सूर्योदय ~06:29:24 *
*⛅सूर्यास्त~ 18:18:43*
*⛅राहू काल ~12:24 - 13:53 अशुभ*
🌤️*चोघडिया, दिन*🌤️
लाभ 06:29 - 07:58 शुभ
अमृत 07:58 - 09:27 शुभ
काल 09:27 - 10:55 अशुभ
शुभ 10:55 - 12:24 शुभ
रोग 12:24 - 13:53 अशुभ
उद्वेग 13:53 - 15:21 अशुभ
चर 15:21 - 16:50 शुभ
लाभ 16:50 - 18:19 शुभ
🌤️*चोघडिया, रात*🌤️
उद्वेग 18:19 - 19:50 अशुभ
शुभ 19:50 - 21:22 शुभ
अमृत 21:22 - 22:53 शुभ
चर 22:53 - 24:24 शुभ
रोग 24:24 - 25:56 अशुभ
काल 25:56 - 27:27 अशुभ
लाभ 27:27 - 28:58 शुभ
उद्वेग 28:58 - 30:30 अशुभ
🌤️**शारदीय नवरात्रि* 🌤️*
🌤️*शारदीय नवरात्रि आश्विन घटस्थापना बृहस्पतिवार, 03, अक्टूबर 2024
🌤️* घटस्थापना मुहूर्त - 06:30 am से 07:29am
अवधि - 00घण्टा 59 मिनट्स
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 12:00 am से 12:37 noon
अवधि - 00 घण्टे 37 मिनट्स
* पहला दिन
- मां शैलपुत्री
- 3 अक्टूबर 2024
* दूसरा दिन
- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
- 4 अक्टूबर 2024
* तीसरा दिन
- मां चंद्रघंटा की पूजा
- 5 अक्टूबर 2024
* चौथा दिन
- मां कूष्मांडा की पूजा
- 6 अक्टूबर 2024
* पांचवां दिन
- मां स्कंदमाता की पूजा
- 7 अक्टूबर 2024
* छठा दिन
- मां कात्यायनी की पूजा
- 8 अक्टूबर 2024
* सातवां दिन
- मां कालरात्रि की पूजा
- 9 अक्टूबर 2024
* आठवां दिन
- मां सिद्धिदात्री की पूजा
- 10 अक्टूबर 2024
* नौवां दिन
- मां महागौरी की पूजा
- 11 अक्टूबर 2024
* विजयदशमी
- 12 अक्टूबर 2024
- दुर्गा विसर्जन
शिव निवास का विचार रुद्राभिषेक का फल किसी कामना, ग्रहशांति आदि के लिए किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव निवास का विचार करने पर ही अनुष्ठान सफल होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
प्रत्येक मास की तिथियों के अनुसार जब शिव निवास गौरी पार्श्व में, कैलाश पर्वत पर, नंदी की सवारी एवं ज्ञान वेला में होता है तो रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि, परिवार में आनंद मंगल और अभीष्ट सिद्धि की प्राप्ति होती है।
"परन्तु शिव वास श्मशान, सभा अथवा क्रीड़ा में हो तो उन तिथियों में शिवार्चन करने से महा विपत्ति, संतान कष्ट व पीड़ादायक होता है।"
रुद्राभिषेक करने की तिथियां-
कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, पंचमी, अष्टमी, एकादशी, द्वादशी, अमावस्या, शुक्लपक्ष की द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, नवमी, द्वादशी, त्रयोदशी तिथियों में अभिषेक करने से सुख-समृद्धि संतान प्राप्ति एवं ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
कालसर्प योग, गृहकलेश, व्यापार में नुकसान, शिक्षा में रुकावट सभी कार्यो की बाधाओं को दूर करने के लिए रुद्राभिषेक आपके अभीष्ट सिद्धि के लिए फलदायक है।
किसी कामना से किए जाने वाले रुद्राभिषेक में शिव-वास का विचार करने पर अनुष्ठान अवश्य सफल होता है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
शिव वास कब कहा
1. प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी, अमावस्या तथा शुक्लपक्ष की द्वितीया व नवमी के दिन भगवान शिव माता गौरी के साथ होते हैं, इस तिथिमें रुद्राभिषेक करने से सुख-समृद्धि उपलब्ध होती है।
...... आगे क्रमश:...,
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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