नागौर 9 सितंबर । सकल दिगंबर जैन समाज ने परमपूज्य आचार्य चैत्य सागर महाराजजी के निर्देशन में तीनों मंदिरों व दोनो नसियां में आज उत्तम मार्दव धर्म की बहुत ही महत्वपूर्ण पूजा दसलक्ष्ण धर्म की पूजा के साथ की गई इस पूजा में सभी समाज ने बहुत ही उत्साह पूर्वक बढ़ चढ़ के भाग लिया व जीवन में सभी प्रकार के अहंकार का मर्दन करने की प्रेरणा ली ।इस अवसर पर समाज के नथमल जैन ने बताया कि मार्दव का अर्थ अहंकार का मर्दन है और उत्तम मार्दव धर्म अहंकार के विसर्जन की प्रेरणा देता है समर्पण ही इसका समाधान है। क्योंकि अभिमानी के, बिना अपराध ही सभी लोग बेरी हो जाते हैं और यहां तक कि उसके हर अच्छे काम की भी लोग निंदा करने लगते है हर कोई यहां तक कि भाई बंधु मित्र पड़ोसी भी अभिमानी का पतन देखना चाहते है।अहंकार से विवेक नष्ट हो जाता है रावण कंस दुर्योधन सभी अहंकार के कारण पतन को प्राप्त हुए।जोड़ने के साथ छोड़ने का भी अहंकार होता है व्यक्ति में त्याग तपस्या का भी अहंकार होता है।अपनी उपलब्धियों का उपयोग करें उस पर अहंकार नहीं। जो पाया है वह हमेशा रहे यह जरूरी तो नहीं।
आज की चकाचौंध वाली पाश्चात्य सभ्यता का अंधानुकरण में अहंकार सबसे बड़ी समस्या है जिसका उपाय सिर्फ समर्पण ही है।क्रोधी और मानी में बहुत ज्यादा फर्क नहीं होता। क्रोधी खत्म कर देना चाहता है और मानी अपना दबदबा बनाना चाहता है। मार्दव धर्म हमे सिखाता है जीवन में अहंकारी नहीं निरंकारी बनो। आज कल तो छोटा सा दान देने पर भी अहंकार बोलने लगता है पांच सो रूपये का पंखा दान देकर उस पर पूरे खानदान का नाम लिख दिया जाता है। क्रोध मान लोभ आदि विकार सर्दी जुकाम की तरह है समय समय पर इन्हे बाहर निकालते रहना चाहिए अन्यथा ये स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते रहेंगे। मार्दव धर्म अपनाने से समर्पण जीवन का अंग बनकर मन सदैव विनम्रता में स्थापित हो जायेगा। आत्मा और परमात्मा भक्त और भगवान के बीच अहंकार का ही तो झीना पर्दा है।यह पर्दा हटते ही भगवान से भक्त का साक्षात हो जाता है। इस अवसर पर सांय काल सभी मंदिरों में विशेष आरती व मार्दव धर्म से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए जिसमे सभी छोटे बच्चों ने बहुत ही उत्साह पूर्वक भाग लिया।
कल उत्तम आर्जव धर्म की पूजा व इससे संबंधित धार्मिक कार्यक्रम मंदिरों में किए जायेंगे।
प्रातः 7:00 बजे भंडारियों की घड़ी स्थित 20 पंक्ति दिगंबर जैन मंदिर में भगवान का अभिषेक एवं शांति धारा करने का सौभाग्य भंवर लाल निर्मल कुमार बड़जात्या परिवार को मिला एवं तेरापंथ दिगंबर जैन मंदिर में शांति धारा करने का सौभाग्य सोहनलाल गजेंद्र कुमार कानूगो परिवार को मिला