🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓*⛅दिनांक -30 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - त्रयोदशी शाम
07:05:54 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
🌤️ *नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी पूर्ण रात्रि तक*
🌤️ *योग - शुभ 01 अक्टूबर रात्रि 01:16:38 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅सूर्योदय~ 06:28:26*
*⛅ सूर्यास्त~ 18:20:58*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- प्रातः 07:58 से दोपहर 09:27 तक*
*⛅चन्द्र राशि~ सिंह*
*⛅सूर्य राशि~ कन्या*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:39 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - 12:01 पी एम से 12:49 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त- 12:01 ए एम, अक्टूबर 01से12:49 ए एम, अक्टूबर 01 तक*
🌤️*चोघडिया, दिन*🌤️
अमृत 06:28 - 07:58 शुभ
काल 07:58 - 09:27 अशुभ
शुभ 09:27 - 10:56 शुभ
रोग 10:56 - 12:25 अशुभ
उद्वेग 12:25 - 13:54 अशुभ
चर 13:54 - 15:23 शुभ
लाभ 15:23 - 16:52 शुभ
अमृत 16:52 - 18:21 शुभ
🌤️*चोघडिया, रात*🌤️
चर 18:21 - 19:52 शुभ
रोग 19:52 - 21:23 अशुभ
काल 21:23 - 22:54 अशुभ
लाभ 22:54 - 24:25* शुभ
उद्वेग 24:25 - 25:56 अशुभ
शुभ 25:56 - 27:27 शुभ
अमृत 27:27 - 28:58 शुभ
चर 28:58 - 30:29 शुभ
🌤️ *व्रत पर्व विवरण - त्रयोदशी का श्राद्ध,मासिक शिवरात्रि*
🌤️ *विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌤️ *चतुर्दशी तिथि पर न करें श्राद्ध*🌤️
🌤️ *01 अक्टूबर 2024 मंगलवार को आग - दुर्घटना - अस्त्र - शस्त्र - अपमृत्यु से मृतक का श्राद्ध*
🌤️ *हिंदू धर्म के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में परिजनों की मृत्यु तिथि के अनुसार ही श्राद्ध करने का विधान है । महाभारत के अनुशासन पर्व में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया है कि इस तिथि पर केवल उन परिजनों का ही श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो।*
🌤️ *इस तिथि पर अकाल मृत्यु (हत्या, दुर्घटना, आत्महत्या आदि) से मरे पितरों का श्राद्ध करने का ही महत्व है। इस तिथि पर स्वाभाविक रूप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने से श्राद्ध करने वाले को अनेक प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में उन परिजनों का श्राद्ध सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के दिन करना श्रेष्ठ रहता है।*
🌤️ *महाभारत के अनुसार पर्व अनुसार पितरों की मृत्यु स्वाभाविक रुप से हुई हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करने से श्राद्धकर्ता विवादों में घिर जाता हैं। उन्हें शीघ्र ही लड़ाई में जाना पड़ता है। जवानी में उनके घर के सदस्यों की मृत्यु हो सकती है।*
🌤️ *चतुर्दशी श्राद्ध के संबंध में ऐसा वर्णन कूर्मपुराण में भी मिलता है कि चतुर्दशी को श्राद्ध करने से अयोग्य संतान होती है।*
🌤️ *याज्ञवल्क्यस्मृति के अनुसार, भी चतुर्दशी तिथि को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। इस दिन श्राद्ध करने वाला विवादों में फस सकता है।*
🌤️ *चतुर्दशी तिथि पर अकाल (हत्या), आत्महत्या (दुर्घटना), रुप से मृत परिजनों का श्राद्ध करने का विधान है।*
🌤️ *जिन पितरों की अकाल मृत्यु हुई हो व उनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करने से वे प्रसन्न होते हैं।*
🌤️ *पित्रो के लिए इतना तो अवश्य करना चाहिए*⤵️
शेष कल से आगे......
बुध ग्रह की बीमारी.:
*तुतलाहट।
*सूंघने की शक्ति क्षीण हो जाती है।
*समय पूर्व ही दांतों का खराब होना।
*मित्र से संबंधों का बिगड़ना।
*अशुभ हो तो बहन, बुआ और मौसी पर विपत्ति आना।
*नौकरी या व्यापार में नुकसान होना।
*संभोग की शक्ति क्षीण होना।
*व्यर्थ की बदनामी होती है।
*हमेशा घूमते रहना, ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में।
*कोने का अकेला मकान जिसके आसपास किसी का मकान न हो।
बुध: भ्रान्ति, खराब वचन, अत्यधिक पसीना आना, नसों का दर्द, संवेदनशीलता, बहरापन, नपुंसकता, जीभ, मुंह, गले व नाक से उत्पन्न रोग, चर्मरोग, मस्तिष्क व तंत्रिकाओं संबंधी विकार, दमा, श्वास- नली में अवरोध, नर्वस ब्रेकडाउन, बिमारीयां पीड़ित बुध के कारण होने की कारण होती है।
गुरु की बीमारी :
*गुरु के बुरे प्रभाव से धरती की आबोहवा बदल जाती है। उसी प्रकार व्यक्ति के शरीर की हवा भी बुरा प्रभाव देने लगती है।
*इससे श्वास रोग, वायु विकार, फेफड़ों में दर्द आदि होने लगता है।
*कुंडली में गुरु-शनि, गुरु-राहु और गुरु-बुध जब मिलते हैं तो अस्थमा, दमा, श्वास आदि के रोग, गर्दन, नाक या सिर में दर्द भी होने लगता है।
*इसके अलावा गुरु की राहु, शनि और बुध के साथ युति अनुसार भी बीमारियां होती हैं, जैसे- पेचिश, रीढ़ की हड्डी में दर्द, कब्ज, रक्त विकार, कानदर्द, पेट फूलना, जिगर में खराबी आदि।
गुरु: इस ग्रह के प्रभाव से दंतरोग, स्मृतिहीनता, अंतड़ियों का ज्वर, कर्णपीड़ा, पीलिया, लीवर की बीमारी, सिर का चक्कर, पित्ताशय के रोग, रक्ताल्पता, नींद न आने की बीमारी, शोक, विद्वान गुरु आदि शारीरिक कष्ट-कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से एवं उचित माध्यमों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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