🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक -22 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - कृष्ण पक्ष*
*⛅तिथि - पंचमी 03:42:52pmतक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - कृत्तिका 11:01:24 pm तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - हर्शण 08:16:12 तक तत्पश्चात सिद्वि*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 04:59 से शाम 06:30 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:24:46*
*⛅सूर्यास्त - 06:30:05*
*⛅ चन्द्र राशि~ वृषभ*
*⛅ सूर्य राशि~ कन्या*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
उद्वेग 06:25 - 07:55 अशुभ
चर 07:55 - 09:26 शुभ
लाभ 09:26 - 10:57 शुभ
अमृत 10:57 - 12:27 शुभ
काल 12:27 - 13:58 अशुभ
शुभ 13:58 - 15:29 शुभ
रोग 15:29 - 16:59 अशुभ
उद्वेग 16:59 - 18:30 अशुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
शुभ 18:30 - 19:59 शुभ
अमृत 19:59 - 21:29 शुभ
चर 21:29 - 22:58 शुभ
रोग 22:58 - 24:28* अशुभ
काल 24:28* - 25:57* अशुभ
लाभ 25:57* - 27:26* शुभ
उद्वेग 27:26* - 28:56* अशुभ
शुभ 28:56* - 30:25* शुभ
*⛅महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यों हुआ??⛅*
*⛅इस विषय पर गूगल ग्रंथ में बड़े अजीब तर्क दिए गए, की हरियाणा की मिट्टी क्रूर है, या बाप ने बेटे को कसी मार कर खेत की मेड़ में रख दिया, और भी कई बकवास उदाहरण लिखे है..
जबकि क्रूरता से हरियाणा या किसी भी राज्य अथवा देश का कोई लेना देना ही नही होता, क्रूरता केवल वहीं अधिक होगी जहां कुपोषण अर्थात भुखमरी अधिक होगी,
जैसे अरब देश अथवा अफगान अथवा अफ्रीका के कुछ क्षेत्र...
जबकि संपूर्ण भारत की मिट्टी और समुद्र के पास, भोजन के अलग अलग विकल्प हमेशा हर किसी के लिए मौजूद रहे...
*⛅अब बात आती है महाभारत का युद्ध हरियाणा के उतरी भाग कुरुक्षेत्र में ही क्यों रखा गया है, तो.......
1️⃣युद्ध ऐसे स्थान पर हो जो दोनो सेनाओं का मध्य स्थान हो, और केवल कुरुक्षेत्र स्थान ही कौरव और पांडवों दोनो के निवास स्थान का सेंटर था, कौरव निवास स्थान (हस्तीनापुर) मेरठ, और पांडवों द्वारा जंगल काट कर बसाया गया शहर इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) दोनो से कुरुक्षेत्र की दूरी लगभग एक बराबर 155 किलोमीटर है,
2️⃣18 अक्षोणी और नारायणी सेना में सैनिकों के पास युद्ध यात्रा के लिए हाथी और घोड़े थे, न की मुगलों अफगानों की तरह गधे या ऊंट,
और हाथी या घोड़े 48 घंटे से अधिक प्यास सहन नही कर सकते,
और कुरुक्षेत्र ही वो धरती थी जहां, यमुना, सरस्वती, और सतलुज नदी का पानी पर्याप्त मात्रा में मिल सकता था, और यमुना, सरस्वती नदियां भी उस समय 12 मासी नदियां थी,
3️⃣ महाभारत में कुल लगभग 5 करोड़ इंसानों और जानवरों (घोड़े+हाथी) ने भाग लिया था, इतनी तादात भोजन सामग्री तो ढो सकती है, पर इतना पानी नहीं ढो सकती,और कुरुक्षेत्र एरिया, पानी से प्रचुर था,
4️⃣ये धर्म युद्ध था, जिसमे न किसी मंदिर का नुकसान हो न आम जनता का न उस समय की किसी ऐतिहासिक अथवा धार्मिक धरोहर का , और उस समय हरियाणा के आसपास क्षेत्र में न कोई मंदिर था न आम जनता, और कोई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर भी नही थी, अधिकांश केवल समतल धरातल थी,
केवल एक ही मंदिर था हरियाणा (कालका जी) महाकाली मंदिर जिसे पांडवों द्वारा ही स्थापित किया गया था,
5️⃣जलवायु-: कुरुक्षेत्र उतरी क्षेत्र पहाड़ी इलाके से ढका होने के कारण के न अधिक गर्मी न अधिक सर्दी, न बारिश का अत्यधिक कम या ज्यादा होना, भी कुरुक्षेत्र के जलवायु की एक खासियत है,
क्योंकि इस युद्ध में छोटे बड़े 216 जनपद👉 बरेली, बदायूं, फर्रुखाबाद, मथुरा, इलाहाबाद, अवध के अन्य क्षेत्र, देवरिया, कुशीनगर, काशी, भागलपुर, दक्षिण बिहार, दरभंगा, मुज्जफरपुर, जनकपुरी वैशाली, बुंदेलखंड, अलवर ने भाग लिया था, जिनके सैनिक और जानवर अलग अलग जलवायु के थे, पर कुरुक्षेत्र की जलवायु इन सभी के लिए सम थी..जिससे वो लंबे समय तक बिना बीमार हुए युद्ध कर सकने में सक्षम थे,
इसलिए भी कुरुक्षेत्र की भूमि का चयन करना युद्ध रणनीति के अनुरूप था,
6️⃣अगर 18 दिन के महाभारत युद्ध की तारीख समझी जाए तो भीष्म पितामाह ने अपनी इच्छा मृत्यु में उतरायण लगने पर मृत्यु मांगी थी,
जो की 14 जनवरी को होता है सो 14 जनवरी -18 दिन लगभग 24-25 दिसंबर को युद्ध शुरू हुआ होगा, जोकि ठंड का महीना होता है, इसलिए भी युद्ध हेतु भूमि चयन के लिए जलवायु का विशेष ध्यान रखा गया,
और ज्योतिष विज्ञान के अनुसार सूर्य लगभग 15 दिसंबर से 15 जनवरी वक्त धनु राशि में होता है, धनु राशि जोकि धर्म त्रिकोण में धर्म की विशेष राशि है, मतलब इस धर्म युद्ध में नारायण द्वारा सुनिश्चित किए गए स्थान के साथ साथ समय भी पूर्व निर्धारित था,
असल केवल ये कारण रहा होगा, की महाभारत के लिए कुरुक्षेत्र की भूमि को चुना गया...
बहरहाल महाभारत की मुझे जितनी जानकारी है उसके आधार पर ये मेरा अपना व्यक्तिगत अनुमान है, पर अनुमान गलत नही होगा।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
*Mobile. 8387869068*
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