🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक -21 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - कृष्ण पक्ष*
*⛅तिथि - चतुर्थी 18:13:10तक तत्पश्चात पंचमी*
*⛅नक्षत्र - भरणी 12:35:05 am तक तत्पश्चात कृत्तिका*
*⛅योग - व्याघात 11:35:00 तक तत्पश्चात हर्शण*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 09:26 से शाम 10:57 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:24:20*
*⛅सूर्यास्त - 06:31:14*
*⛅ चन्द्र राशि~ मेष till 30:08:19*
*⛅ चन्द्र राशि~ वृषभ from 30:08:19*
*⛅ सूर्य राशि~ कन्या*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
काल 06:24 - 07:55 अशुभ
शुभ 07:55 - 09:26 शुभ
रोग 09:26 - 10:57 अशुभ
उद्वेग 10:57 - 12:28 अशुभ
चर 12:28 - 13:59 शुभ
लाभ 13:59 - 15:30 शुभ
अमृत 15:30 - 17:00 शुभ
काल 17:00 - 18:31 अशुभ
*⛅चोघडिया,रात⛅*
लाभ 18:31 - 20:00 शुभ
उद्वेग 20:00 - 21:30 अशुभ
शुभ 21:30 - 22:59 शुभ
अमृत 22:59 - 24:28* शुभ
चर 24:28* - 25:57* शुभ
रोग 25:57* - 27:26* अशुभ
काल 27:26* - 28:56* अशुभ
लाभ 28:56* - 30:25* शुभ
*⛅ब्राह्मणों को निमन्त्रण-
1. श्राद्ध में अधिक ब्राह्मणों को निमन्त्रण नहीं देना चाहिए।
2. पितृकार्य में एक या तीन ब्राह्मण पर्याप्त होते हैं।
3. ज्यादा ब्राह्मणों को निमन्त्रण देकर यदि उनके आदर-सत्कार में कोई वह अकल्याणकारी हो सकता है।
4. अंगहीन, रोगी, कोढ़ी, धूर्त, चोर, नास्तिक, ज्योतिषी, मूर्ख, नौकर, कान अंधा, कुश्ती सिखाने वाले व मुर्दा जलाने वाले ब्राह्मण को श्राद्ध-भोज बुलाना चाहिए।
5. श्राद्ध में निमन्त्रित ब्राह्मण को आदर से बैठाकर पाद-प्रक्षालन करें ।
6. श्राद्धकर्ता हाथ में पवित्री (कुशा से बनाई गई अंगूठी) धारण किए रहे
7. यदि कुछ भी न बन सके तो केवल घास ले आकर पितरों की तृप्ति के लिए गाय को खिला दें। या ये भी न हो तो अपने हाथ उठाकर ही एकान्त में पितरों को नमन कर लें तो भी पितरों की कृपा आरंभ हो जायेगी। पर पाप न करें।
श्राद्ध-कर्म में इन फूलों का प्रयोग नहीं करना चाहिए-
1. कदम्ब,
2. केवड़ा,
3. बेलपत्र,
4. कनेर,
5. मौलसिरी,
6. लाल व काले रंग के पुष्प
7. और तेज गंध वाले पुष्प।
8. इन पुष्पों को देखकर पितरगण निराश होकर लौट जाते हैं ।
कोदो, #चना, मसूर, कुलथी, सत्तू, काला जीरा, टेंटी, कचनार, कैथ, खीरा, #लौकी, पेठा, सरसों, #काला नमक व कोई भी बासी, गला-सड़ा, कच्चा व अपवित्र फल और अन्न श्राद्ध में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
*⛅श्राद्ध में सात्विक अन्न फलों का प्रयोग करने से पितरों को सबसे अधिक तृप्ति मिलती है। काला उड़द, तिल, जौ, सांवा चावल, गेहूँ, दूध, दूध के बने सभी पदार्थ, मधु, चीनी, कपूर, बेल, आंवला, अंगूर, कटहल, अनार, अखरोट, कसेरु, नारियल, तेन्द, खजूर, नारंगी, बेर, सुपारी,#अदरक, #जामुन, #परवल, #गुड़, मखाना, नीबू आदि अच्छे माने जाते हैं।
चने का प्रयोग बिल्कुल न करें। यानी बेसन का कोई व्यंजन जैसे भजिए, बेसन चक्की, सेंव आदि न परोसें।
आजकल कुछ लोग भोजन में स्वाद लाने के लिए काबुली चना , लौकी भी बनाते हैं और भजिया भी यह अनुचित है।
4. अक्षय वट वृक्ष के नीचे जो मनुष्य श्राद्ध कर्म कर देता है उसके सभी पितृ दोष नष्ट हो जाते हैं पर हे नारद ! यदि पितृ अमावस्या को पितरों के लिए व्रत-उपवास रखा जाये तो उसी व्रत-उपवास से यह फल उस गृहस्थ मनुष्य को मिल जाता है।
*⛅ जय श्री राम यह यंत्र बड़ा प्रभावशाली दिव्या और अलौकिक है और चमत्कारी हैं किसी का भी व्यापार कारोबार में लाभ नहीं हो रहा और समस्याएं आती रहती हैं आमदनी ठप हो गई है उसके लिए यह यंत्र बड़ा प्रभावशाली और चमत्कारी है बड़ा चमत्कारी ढंग से उसके कारोबार और व्यापार में लाभ पहुंचा लगता है रुका हुआ और बंद व्यापार कारोबार बाद तेजी से चलने लगता है यंत्र दिखने में साधारण प्रतीत होता है पर यह बड़ा चमत्कारी और दिव्या ही इस इस यंत्र को सीधा और जागृत करके अपने व्यापार और कारोबार के आगे चौखट के नीचे दबा दिया जाए तो यह चमत्कारी ढंग से कारोबार में उन्नति और लाभ देने लगता है और किसी प्रकार का रुकावट नहीं आने देता रुकावट चाहे जैसी भी हो और किसी प्रकार के बुरी नजर और बद्दुआ हमेशा दूर रखता है व्यापार और कारोबार में इतना तेजी लाने लगता है व्यक्ति आंखों पर विश्वास नहीं कर सकता हर समस्या का समाधान अपने आप करने लगता है।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
*Mobile. 8387869068*
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