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पंचांग - 20-09-2024

 🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक -20 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*

jyotish

*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - कृष्ण पक्ष*
*⛅तिथि - तृतीया    21:14:32तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी    26:41:47 am  तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - ध्रुव    15:17:31 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅राहु काल_हर  जगह का अलग है- दोपहर 10:57 से शाम 12:58 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:23:53*
*⛅सूर्यास्त - 06:32:53*
*⛅ चन्द्र राशि~       मेष*
*⛅सूर्य राशि~       कन्या*
    *⛅चोघडिया, दिन⛅*
चर    06:24 - 07:55    शुभ
लाभ    07:55 - 09:26    शुभ
अमृत    09:26 - 10:57    शुभ
काल    10:57 - 12:28    अशुभ
शुभ    12:28 - 13:59    शुभ
रोग    13:59 - 15:30    अशुभ
उद्वेग    15:30 - 17:01    अशुभ
चर    17:01 - 18:32    शुभ
    *⛅चोघडिया, दिन⛅*
रोग    18:32 - 20:01    अशुभ
काल    20:01 - 21:30    अशुभ
लाभ    21:30 - 22:59    शुभ
उद्वेग    22:59 - 24:28    अशुभ
शुभ    24:28 - 25:57    शुभ
अमृत    25:57 - 27:26    शुभ
चर    27:26 - 28:55    शुभ
रोग    28:55 - 30:24    अशुभ
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*पूजा आदि कर्म में आसन का क्या महत्त्व है।*

हमारे महर्षियों के अनुसार जिस स्थान पर प्रभु को बैठाया जाता है, उसे दर्भासन कहते हैं, और जिस पर स्वयं साधक बैठता है, उसे आसन कहते हैं।

योगियों की भाषा में यह शरीर भी आसन है, और प्रभु के भजन में इसे समर्पित करना सबसे बड़ी पूजा है।
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जैसा देव वैसा भेष वाली बात भक्त को अपने इष्ट के समीप पहुंचा देती है ।

१. कभी जमीन पर बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए, ऐसा करने से पूजा का पुण्य भूमि को चला जाता है।

२. नंगे पैर पूजा करना भी उचित नहीं है। हो सके तो पूजा का आसन व वस्त्र अलग रखने चाहिए जो शुद्ध रहे।

३. लकड़ी की चैकी, घास फूस से बनी चटाई, पत्तों से बने आसन पर बैठकर भक्त को मानसिक अस्थिरता, बुद्धि विक्षेप, चित्त विभ्रम, उच्चाटन, रोग शोक आदि उत्पन्न करते हैं।

४. अपना आसन, माला आदि किसी को नहीं देने चाहिए, इससे पुण्य क्षय हो जाता है।

निम्न आसनों का विशेष महत्व है।

१. कंबल का आसन:

- कंबल के आसन पर बैठकर पूजा करना सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। लाल रंग का कंबल मां भगवती, लक्ष्मी, हनुमानजी आदि की पूजा के लिए तो सर्वोत्तम माना जाता है।

- आसन हमेशा चैकोर होना चाहिए, कंबल के आसन के अभाव में कपड़े का या रेशमी आसन चल सकता है।

२. कुश का आसन:

- योगियों के लिए यह आसन सर्वश्रेष्ठ है। यह कुश नामक घास से बनाया जाता है, जो भगवान के शरीर से उत्पन्न हुई है।  इस पर बैठकर पूजा करने से सर्व सिद्धि मिलती है।

- विशेषतः पिंड श्राद्ध इत्यादि के कार्यों में कुश का आसन सर्वश्रेष्ठ माना गया है,

- स्त्रियों को कुश का आसन प्रयोग में नहीं लाना चाहिए, इससे अनिष्ट हो सकता है।

- किसी भी मंत्र को सिद्ध करने में कुश का आसन सबसे अधिक प्रभावी है।

३. मृगचर्म आसन:

- यह ब्रह्मचर्य, ज्ञान, वैराग्य, सिद्धि, शांति एवं मोक्ष प्रदान करने वाला सर्वश्रेष्ठ आसन है।

- इस पर बैठकर पूजा करने से सारी इंद्रियां संयमित रहती हैं। कीड़े मकोड़ों, रक्त विकार, वायु-पित्त विकार आदि से साधक की रक्षा करता है।

- यह शारीरिक ऊर्जा भी प्रदान करता है।

४. व्याघ्र चर्म आसन:

- इस आसन का प्रयोग बड़े-बड़े यति, योगी तथा साधु-महात्मा एवं स्वयं भगवान शंकर करते हैं।  यह आसन सात्विक गुण, धन-वैभव, भू-संपदा, पद-प्रतिष्ठा आदि प्रदान करता है।

- आसन पर बैठने से पूर्व आसन का पूजन करना चाहिए या एक एक चम्मच जल एवं एक फूल आसन के नीचे अवश्य चढ़ाना चाहिए।

- आसन देवता से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि मैं जब तक आपके ऊपर बैठकर पूजा करूं तब तक आप मेरी रक्षा करें तथा मुझे सिद्धि प्रदान करें। पूजा में आसन विनियोग का विशेष महत्व है।

- पूजा के बाद अपने आसन को मोड़कर रख देना चाहिए, किसी को प्रयोग के लिए नहीं देना चाहिए.
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
*Mobile. 8387869068*
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🙏🌹
vipul

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