🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक -15 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - रविवार *
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - द्वादशी 06 :11:39 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - श्रवण शाम 06:48:09 तक तत्पश्चात घनिष्ठा*
*⛅योग - अतिगण्ड दोपहर 03:12:26 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- शाम 05:06 से शाम 06:38 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:21:41*
*⛅सूर्यास्त - 06:38:09*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:34 तक*
*⛅अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:05 से दोपहर 12:55 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:07 सितम्बर 16 से रात्रि 12:54 सितम्बर 16 तक*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
उद्वेग 06:22 - 07:54 अशुभ
चर 07:54 - 09:26 शुभ
लाभ 09:26 - 10:58 शुभ
अमृत 10:58 - 12:30 शुभ
काल 12:30 - 14:02 अशुभ
शुभ 14:02 - 15:34 शुभ
रोग 15:34 - 17:06 अशुभ
उद्वेग 17:06 - 18:38 अशुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
शुभ 18:38 - 20:06 शुभ
अमृत 20:06 - 21:34 शुभ
चर 21:34 - 23:02 शुभ
रोग 23:02 - 24:30* अशुभ
काल 24:30* - 25:58* अशुभ
लाभ 25:58* - 27:26* शुभ
उद्वेग 27:26* - 28:54* अशुभ
शुभ 28:54* - 30:22* शुभ
*व्रत पर्व विवरण - श्री वामन जयंती, विश्वेश्वरैया जयंती, भुवनेश्वरी जयंती, कल्कि जयंती, ओणम*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पाई) खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
भुवनेश्वरी जयन्ती रविवार,15, सितम्बर 2024
द्वादशी तिथि प्रारम्भ -14, सितम्बर 2024 को 20:41 बजे
द्वादशी तिथि समाप्त -15, सितम्बर 2024 को 18:12 बजे
भुवनेश्वरी दस महाविद्याओं में से पंचम महाविद्या भगवती भुवनेश्वरी का भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को प्रादुर्भाव हुआ माना जाता है। भुवनेश्वरी महाविद्या का स्वरूप सौम्य है और इनकी अंगकान्ति अरुण है। भक्तों को अभय और समस्त सिद्धियाँ प्रदान करना इनका स्वाभाविक गुण है। वास्तव में मूल प्रकृति का ही दूसरा नाम भुवनेश्वरी है। दशमहाविद्याएँ ही दस सोपान हैं। काली तत्व से निर्गत होकर कमला तत्व तक की दस स्थितियाँ हैं, जिनसे अव्यक्त भुवनेश्वरी व्यक्त होकर ब्रह्माण्ड का रूप धारण कर सकती हैं तथा प्रलय में कमला से अर्थात् व्यक्त जगत से क्रमशः लय होकर कालीरूप में मूलप्रकृति बन जाती हैं। इसीलिये भगवती भुवनेश्वरी को काल की जन्मदात्री भी कहा जाता है।
वास्तु विचार में "रुद्र" का दिशा कोण: जीवन, स्वास्थ्य और भावनाओं का संतुलन
वास्तु शास्त्र भारतीय प्राचीन ज्ञान प्रणाली है जो मानव जीवन के हर पहलू को दिशाओं और ऊर्जा के प्रभाव से जोड़ता है। इसमें प्रत्येक दिशा का एक विशेष महत्व होता है और उनके अनुसार जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसी संदर्भ में "रुद्र" का दिशा कोण पश्चिम-उत्तर-पश्चिम (W7) और उत्तर-पश्चिम (W8) में स्थित होता है।
1. रुद्र दिशा का महत्व
रुद्र दिशा वास्तु शास्त्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यह जीवन की विभिन्न गतिविधियों के प्रवाह को संतुलित बनाए रखने में मदद करती है। जीवन की गति, सामंजस्य, और परिवर्तनशीलता इस दिशा के प्रभाव से प्रभावित होती है। इस दिशा में सक्रिय ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है, जो जीवन के कार्यों में गतिशीलता लाता है। इस कारण से इस दिशा को भावनात्मक और शारीरिक संतुलन के लिए उपयोगी माना जाता है।
रुद्र दिशा का संबंध 'रुद्र' नामक शिव के एक रूप से है, जो विध्वंस और पुनर्जन्म का प्रतीक है। यह दिशा जीवन में परिवर्तन और विकास को दर्शाती है, जो व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्तर को भी प्रभावित करती है।
2. भौतिक पदार्थों का संग्रह
वास्तु शास्त्र में रुद्र दिशा को माल और खाद्यान्न पदार्थों को रखने के लिए उपयुक्त माना जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह दिशा आर्थिक स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देती है। पश्चिम-उत्तर-पश्चिम और उत्तर-पश्चिम दिशा में खाद्य पदार्थ और आर्थिक सामग्री का संग्रह करने से स्थायी आर्थिक विकास और परिवार में समृद्धि आती है। इससे जीवन में अस्थिरता और वित्तीय समस्याएं कम होती हैं।
3. भावनात्मक और शारीरिक संतुलन
रुद्र दिशा का सीधा प्रभाव व्यक्ति की भावनाओं और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिशा में समय बिताने से व्यक्ति के भावनात्मक और मानसिक संतुलन में सुधार होता है। जिन लोगों को मानसिक तनाव, चिंता या भावनात्मक अस्थिरता का सामना करना पड़ता है, उनके लिए यह दिशा अत्यधिक उपयोगी होती है।
रुद्र दिशा में रहने या काम करने से मानसिक शांति मिलती है, और यह दिशा उन लोगों के लिए भी उपयुक्त है जिन्हें रोने, भावनात्मक रूप से शांति प्राप्त करने, या गहरी आत्म-साक्षात्कार की आवश्यकता होती है। यह दिशा भावनाओं को मुक्त करने में मदद करती है, जिससे व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार का अनुभव होता है।
4. आधुनिक भौतिक जीवन में रुद्र दिशा का महत्व
आधुनिक जीवन में, जहां तनाव और मानसिक अस्थिरता सामान्य समस्याएं बन गई हैं, रुद्र दिशा का संतुलन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। आज के समय में जब लोग भौतिक विकास और आर्थिक उन्नति की ओर बढ़ रहे हैं, तब भी भावनात्मक और मानसिक शांति की आवश्यकता बनी रहती है। इस दिशा में वास्तु सिद्धांतों का पालन करके व्यक्ति न केवल भौतिक रूप से समृद्ध हो सकता है, बल्कि मानसिक शांति और स्थिरता भी प्राप्त कर सकता है।
रुद्र दिशा में कार्यक्षेत्र या निवास बनाने से कामकाज की उत्पादकता में सुधार हो सकता है। यह दिशा उन व्यक्तियों के लिए भी महत्वपूर्ण है जो मानसिक स्वास्थ्य और स्थिरता की तलाश में हैं। इसका सकारात्मक प्रभाव न केवल व्यक्तिगत जीवन पर, बल्कि पेशेवर जीवन पर भी पड़ता है।
आगे क्रमश:.... कल।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)*
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