🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक - 6 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - तृतीया दोपहर 03:00:46 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - हस्त प्रातः 09:24:09 तक तत्पश्चात चित्रा*
*⛅योग - शुक्ल रात्रि 10:13:19 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल-हर जगह का अलग है- प्रातः 10:59 से दोपहर 12:33 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:17:44*
*⛅सूर्यास्त - 18:48:24*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:31 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से दोपहर 01:03 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:08 सितम्बर 07 से रात्रि 12:58 सितम्बर 07 तक*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
चर 06:18 - 07:52 शुभ
लाभ 07:52 - 09:25 शुभ
अमृत 09:25 - 10:59 शुभ
काल 10:59 - 12:33 अशुभ
शुभ 12:33 - 14:07 शुभ
रोग 14:07 - 15:41 अशुभ
उद्वेग 15:41 - 17:15 अशुभ
चर 17:15 - 18:48 शुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
रोग 18:48 - 20:15 अशुभ
काल 20:15 - 21:41 अशुभ
लाभ 21:41 - 23:07 शुभ
उद्वेग 23:07 - 24:33 अशुभ
शुभ 24:33 - 25:59 शुभ
अमृत 25:59 - 27:26 शुभ
चर 27:26 - 28:52 शुभ
रोग 28:52 - 30:18 अशुभ
*⛅ व्रत पर्व विवरण - श्री वराह जयंती, हरितालिका तृतीया, स्वर्ण गौरी व्रत, चतुर्थी (चंद्र दर्शन निषिद्ध, चन्द्रास्त - रात्रि 08:56 तक),रूद्र सावर्णि मन्वादि*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रु वृद्धि करता है व चतुर्थी को मूली खाने से धन-नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
१. जन्म कुण्डली में मंगल कहीं पर भी हो, जहां वह बैठा है, वह स्थान उससे चौथे, सातवें तथा दसवें भाव की हानि ही करता है।
२. मिथुन राशि में राहू हो तो वह व्यक्ति राजनीति से संबंधित होता ही है।
३. दशम भाव स्थित शनि अपनी दशा में जीवन के सर्वोच्च पद पर पहुंचाता है।
४. गुरु और शुक्र साथ में बैठे हों तो गुरु दशा में शुक्र की अन्तर्दशा या शुक्र दशा में गुरु की अन्तर्दशा में जेल यात्रा या मान हानि होती ही है।
५. द्वादश भाव में शुक्र स्वराशिस्थ हो तो शुक्र दशा में भौतिक दृष्टि से उसे वह सब कुछ मिल जाता है जो उसकी इच्छा होती है।
६. वक्री ग्रह ज्यादा बलवान एवं कारक होता है।
७. यदि एक ही ग्रह दो केंद्र स्थानों का स्वामी होता है तो वह निर्बल तथा विपरीत फल देने वाला होता है।
८. एक त्रिकोण स्थान का स्वामी यदि दूसरे त्रिकोण स्थान में बैठे तो वह अपनी शुभता खो देता है।
६. चतुर्थ भाव स्थित शनि वृद्धावस्था दुःखमय बनाता है।
१०. लग्न में शुक्र हो तो उसका विवाह निश्चय ही विलंब से होता है।
११. द्वादशेश जिस भाव में भी बैठेगा उस भाव की हानि ही देता है
१२. किसी भी भाव में जो ग्रह बैठा है, उसकी अपेक्षा जो ग्रह उस भाव को देख रहा है, उसका प्रभाव ज्यादा होता है।
१३. यदि किसी भाव पर राहू, शनि और मंगल की दृष्टि हो तो इस भाव का लाभ जातक को मिल ही नहीं सकता, क्योंकि ये तीनों ही विच्छेदात्मक ग्रह हैं।
१४. किसी भी स्वराशिस्य ग्रह के साथ केतु बैठा हो तो उस ग्रह के बल में विशेष वृद्धि हो जाती है।
१५. तीसरे, छठे तथा ग्यारहवें भाव के स्वामी जहां भी होंगे, उस भाव की शुभता में क्षीणता ही लायेंगे ।
१६. राहू-केतु जिस ग्रह के साथ बैठेंगे, उस ग्रह के गुणों को अपना लेंगे तथा वैसा ही फल देने लगेंगे ।
१७. सप्तमेश, अष्टमेश की अपेक्षा भी द्वितीयेश प्रवल मारक होता है।
१८. सप्तमेश, अष्टमेश, द्वितीयेश या गुरु अथवा शुक्र की दशा अन्तर्दशा में ही विवाह होने का योग बनता है।
१६. माता को छठे, आठवें, ग्यारहवें या बारहवें चन्द्र आने पर ही संतान जन्म लेती है।
२०. गोचर में जव दशम भाव में मंगल आता है, तब पतन, स्थानान्तरण या हानि होती है।
२१. जन्म कुण्डली में जो केंद्र बिंदु ग्रह (Key Planet) होता है, उस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ।
२२. उच्च राशि का सूर्य व्यक्ति को निरंतर उन्नति की तरह अग्रसर करता रहता है।
२३. चतुर्थ भावस्थ मंगल उसकी पत्नी के स्वास्थ्य को नरम रखता है।
२४. पंचम भावस्थ गुरु शुभ फलदायक नहीं होता ।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)
Mobile. 8387869068
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