🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक - 9 सितम्बर 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी शाम 09:52:42 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा शाम 06:03:08 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - वैधृति रात्रि 12:30:51 सितम्बर 10 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*⛅राहु काल~हर जगह काअलग है~ दोपहर 07:52 से दोपहर 09:26 तक*
*⛅चन्द्र राशि~ तुला till 11:27:34*
*⛅चन्द्र राशि~ वृश्चिक from 11:27:34*
*⛅सूर्य राशि~ सिंह*
*⛅सूर्योदय ~ 06:19:03*
*⛅सूर्यास्त~
06:45:01*(नागौर)
*समय हर प्रदेश का अलग-अलग है।*
*⛅दिशा शूल ~पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त ~प्रातः 04:46 से प्रातः 05:32 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त ~ दोपहर 12:07 से 12:57 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त~ रात्रि 12:09 सितम्बर 10 से रात्रि 12:55 सितम्बर 10 तक*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
अमृत 06:19 - 07:52 शुभ
काल 07:52 - 09:26 अशुभ
शुभ 09:26 - 10:59 शुभ
रोग 10:59 - 12:32 अशुभ
उद्वेग 12:32 - 14:05 अशुभ
चर 14:05 - 15:39 शुभ
लाभ 15:39 - 17:12 शुभ
अमृत 17:12 - 18:45 शुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
चर 18:45 - 20:12 शुभ
रोग 20:12 - 21:39 अशुभ
काल 21:39 - 23:05 अशुभ
लाभ 23:05 - 24:32* शुभ
उद्वेग 24:32* - 25:59* अशुभ
शुभ 25:59* - 27:26* शुभ
अमृत 27:26* - 28:53* शुभ
चर 28:53* - 30:20* शुभ
*⛅ व्रत पर्व विवरण - स्कन्द षष्ठी, सर्वार्थ सिद्धि योग (शाम 06:04 से प्रातः 06:25 सितम्बर 10 तक)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅विशेष व्रत पर्व के रूप में:ज्येष्ठ गौरी पूजन *
ज्येष्ठ गौरी आवाहन मंगलवार,10, सितम्बर , 2024
ज्येष्ठ गौरी आवाहन मुहूर्त - 06:00 से 18:21
अवधि - 12 घण्टे 22 मिनट्स
ज्येष्ठ गौरी पूजा बुधवार, 11,सितम्बर 2024
ज्येष्ठ गौरी विसर्जन बृहस्पतिवार,12, सितम्बर 2024
अनुराधा नक्षत्र प्रारम्भ -09, सितम्बर 2024 को 18:04 बजे
अनुराधा नक्षत्र समाप्त -10, सितम्बर 2024 को 20:04 बजे
कई स्थानों पर प्रतिवर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से भी महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ होता है, जो 16 दिनों तक चलता है। इस दिन राधाष्टमी भी है। हर वर्ष श्री राधाष्टमी से ही महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ होता है। कई महाराष्ट्रीयन घरों में यह पर्व 3 दिन का ही मनाया जाता है, जिसे तीन दिवसीय महालक्ष्मी पर्व के नाम से जाना जाता है। कई स्थानों पर यह पर्व 8 दिन तो कई जगहों पर 16 दिन तक मनाया जाता है। इसमें खास कर गौरी यानी पार्वती और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
1. ज्येष्ठ गौरी पूजन हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाला एक बहुत ही सुन्दर पर्व है| जो की मुख्यता महाराष्ट्र की महिलाओं द्वारा बोहोत ही ख़ूबसूरती से मनाया जाता है|
2. गौरी पूजन तीन दिन तक गौरी आवाहन, गौरी पूजा, अथवा गौरी विसर्जन के रूप में मनाया जाता है|
3. गौरी पूजन गणेश चतुर्थी व् गणेश विसर्जन के बीच मनाये जाने वाला पर्व है|
गौरी आवाहन
गौरी आवाहन महत्व
गौरी आवाहन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है| अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मराठी महिलाएं यह व्रत करती हैं| इस दिन महिलाएं गौरी मूर्ति की स्थापना कर उनका श्रृंगार करतीं हैं अथवा महिलाये खुद भी सूंदर वस्त्र और गहनों से श्रृंगार करती है| गौरी आवाहन के दिन महिलाएं बड़ी धूम धाम से गौरी मूर्ति लेकर घर में स्थापना कर उनका पूजन करतीं है| गौरी मूर्ति को गणेश जी की मूर्ति के साथ ही रखा जाता है|
गौरी आवाहन मान्यता
ऐसी मान्यता है कि जब असुरों का अत्याचार महिलाओं पर बहुत बढ़ गया था तब महिलाओं ने सहायता के लिए गौरी माता की शरण ली और माँ गौरी ने उनकी रक्षा कर उनको असुरों के अत्याचार से मुक्त कराया| तभी से महिलाएं सुख समृद्धि, धन धान्य, अथवा अखंड सौभाग्य, सुखद वैवाहिक जीवन, मनचाहे विवाह के लिए यह व्रत करती आयी है|
गौरी आवाहन विधि
इस दिन सोलह अंक को शुभ माना जाता है इसलिए, १६ औरतों को बुलाया जाता है १६ श्रृंगार की वस्तुएं बाटी जाती है, १६ मेवा,फल, मिठाई का भोग लगाया जाता है परन्तु अगर आप १६ नहीं कर पाएं तो आप अपनी क्षमता अनुसार भी कर सकतीं हैं|
1. गौरी मूर्ति को खुद से घर में मिटटी से बनाना सबसे शुभ होगा अन्यथा आप बाजार से भी ला सकते है|
2. गौरी मूर्ति की स्थापना बहुत ही धूम धाम से करें|
3. घर को सुन्दर फूल, दीयों और रंगोली से सजाएं|
4. माँ की मूर्ति घर में लाते समय द्वार पर उनको हल्दी कुमकुम का तिलक कर उनकी आरती कर उनका स्वागत करें|
5. उनके चरणों को कुमकुम में डुबो कर एक कपडे पर छाप लें|(यह कपडा आप अपने पूजा स्थान पर भी रख सकते है और रोज़ इसे प्रणाम कर आशीर्वाद ले| या आप इसे अपने धन के स्थान पर भी रख सकते हैं|)
6. एक चौकी पर लाल कपडा बिछाएं उसपे कलश स्थापना करें|
7. गौरी मूर्ति स्थापना गणेश मूर्ति के निकट ही करि जाएगी|
8. दो (एक माँ पारवती दूसरी बेहेन अशोक सुंदरी) गौरी मूर्ति इस चौकी पर स्थापित करें|
9. सबसे पहले गौरी मूर्तियों को उबटन व् जल से स्नान कराएं|
10उनको लाल या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनाएं
11. उनका सोलह श्रृंगार करें
12. फूल एवं लाल फूलों की माला उन्हें अर्पित करें|
13. साथ ही फल मिष्ठान का भोग लगाएं|
14. कपूर से आरती कर ॐ पार्वत्यै नमः का क्षमतानुसार जाप करें|
15. इस दिन महिलाएं लोक गीत संगीत से इस उत्सव को मनाती हैं
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)
Mobile. 8387869068
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