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न्यायालय ने माना सेवा में कमी का दोषी, बेटे की मृत्यु पर पिता को नहीं दिया क्लेम

 बीमित की मृत्यु होने के बावजूद उसके वारिस को नहीं दिया क्लेम, न्यायालय ने माना सेवा में कमी का दोषी, बेटे की मृत्यु पर पिता को नहीं दिया क्लेम, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत क्लेम

नागौर, 04 अगस्त, 2024 //  जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नागौर ने प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीमित पुत्र की मृत्यु के उपरांत उसके विधिक वारिस पिता को बीमा क्लेम नहीं देने पर नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड को सेवा में कमी का दोषी माना है। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि बीमित बेटे व उसकी नॉमिनी पत्नी की मृत्यु होने से अब बीमा कम्पनी उसके विधिक वारिस व उतराधिकारी पिता परिवादी को बीमा क्लेम की राशि दो लाख रूपये ब्याज सहित अदा करें।
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*यह था प्रकरण*
थलांजू, नागौर निवासी कुम्भाराम उपभोक्ता आयोग में परिवाद पेश कर बताया कि उसके पुत्र मुकनाराम ने दिनांक 26.06.2022 को अपने बैंक खाते से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत बीस रूपये प्रीमियम की कटौती करवाकर नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड से बीमा करवाया, जिसके तहत बीमित की दुर्घटना मृत्यु होने पर बीमा कम्पनी द्वारा दो लाख रूपये क्लेम राशि नॉमिनी/उतराधिकारी को दी जानी थी। दुर्भाग्य से बीमा अवधि में ही सड़क दुर्घटना के चलते दिनांक 03.04.2023 को बीमित बेटे मुकनाराम की तथा 06.04.2023 को उसकी नॉमिनी पत्नी पूजा देवी की मृत्यु हो गई।
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इस पर परिवादी ने बतौर उतराधिकारी पिता बीमा दावा, बीमा कंपनी में पेश किया मगर बीमा कंपनी ने भुगतान नहीं किया। इस पर परिवादी ने इसे बीमा कम्पनी का सेवा दोष व अनुचित व्यापार व्यवहार बतलाते हुए आयोग में परिवाद पेश किया, जहां पर आयोग ने बैंक व बीमा कंपनी दोनों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा।
*आयोग ने ये दिया फैसला*
दोनों पक्षों को सुनने व पेश दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग नागौर के अध्यक्ष नरसिंहदास व्यास, सदस्य बलवीर खुड़खुडिया व चन्द्रकला व्यास ने अपने फैसले में कहा कि बीमित मुकनाराम एवं उसकी नॉमिनी पत्नी पूजा देवी की भी मृत्यु होने से बीमा कम्पनी बीमित के पिता परिवादी कुम्भाराम को उक्त बीमा क्लेम की राशि दो लाख रूपये आयोग में परिवाद संस्थापन से भुगतान तक नौ प्रतिशत सालाना साधारण ब्याजदर सहित दो माह में अदा करें। साथ ही बीमा कम्पनी, परिवादी को मानसिक वेदना व परिवाद व्यय के पांच-पांच हजार रुपए कुल दस हजार रूपये भी प्रदान करें। आयोग ने बैंक का कोई सेवा दोष नहीं मानते हुए उसके विरूद्ध परिवाद को खारिज कर दिया।
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*पिता को माना विधिक वारिस व उतराधिकारी* इस मामले में बीमा कम्पनी ने आयोग के समक्ष उज्र किया कि परिवादी ने मृतक के विधिक वारिसान एवं उतराधिकारी होने सम्बन्धी सक्षम न्यायालय द्वारा जारी उतराधिकार प्रमाण-पत्र पेश नहीं किया है, ऐसी स्थिति में उसे दावाकृत अनुतोष नहीं दिया जा सकता लेकिन आयोग ने अपने निर्णय में दावेदारों द्वारा उपयोगी सूचना के क्रमांक 02 पर वर्णित सूचना का अध्ययन उपरांत स्पष्ट व्याख्या की कि जहां नॉमिनी नहीं हो या उसकी मृत्यु हो गई हो तो वहां शेष वारिसान व उतराधिकारी द्वारा सक्षम न्यायालय या प्राधिकारी द्वारा जारी उतराधिकार प्रमाण पत्र को मान्यता दी जा सकती है। उक्त मामले में परिवादी ने सक्षम न्यायालय का उतराधिकार प्रणाम् पत्र प्रस्तुत नहीं किया है मगर सरपंच, ग्राम पंचायत कालड़ी का प्रणाम पत्र प्रस्तुत किया है, जो संविधि के अधीन गठित वैधानिक निकाय है, जिस पर संदेह नहीं किया जा सकता। ऐसे में अब प्राधिकारी सरपंच का प्रमाण पत्र होने से इस मामले में सक्षम न्यायालय के उतराधिकार प्रमाण पत्र की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती है।
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