🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌤️*दिनांक - 30 अगस्त 2024*
🌤️ *दिन - शुक्रवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - भाद्रपद (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - द्वादशी 31 अगस्त रात्रि 02:24:41 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
🌤️ *नक्षत्र - पुनर्वसु 05:54:43 शाम तक तत्पश्चात पुष्य*
🌤️ *योग - व्यतीपात शाम 05:45:26 तक तत्पश्चात वरीयान*
*⛅चन्द्र राशि~ मिथुन - 11:34 ए एम तक*
*⛅सूर्य राशि~ सिंह*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 11:00 से दोपहर 12:35 तक*
*⛅सूर्योदय~ 06:14:37 *
*⛅सूर्यास्त~ 18:56:06*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:43 से 05:28 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - 12:10 पी एम से 01:01 पी एम *
*⛅निशिता मुहूर्त- 12:13 ए एम, अगस्त 31 से 12:58 ए एम, अगस्त 31*
🚩 *व्रत पर्व विवरण -
💥 *विशेष - *द्वादशी को पूतिका(पोई) अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:13से शाम 05:56तक)*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
चर 06:15 - 07:50 शुभ
लाभ 07:50 - 09:25 शुभ
अमृत 09:25 - 11:00 शुभ
काल 11:00 - 12:35 अशुभ
शुभ 12:35 - 14:11 शुभ
रोग 14:11 - 15:46 अशुभ
उद्वेग 15:46 - 17:21 अशुभ
चर 17:21 - 18:56 शुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
रोग 18:56 - 20:21 अशुभ
काल 20:21 - 21:46 अशुभ
लाभ 21:46 - 23:11 शुभ
उद्वेग 23:11 - 24:36 अशुभ
शुभ 24:36 - 26:00 शुभ
अमृत 26:00 - 27:25 शुभ
चर 27:25 - 28:50 शुभ
रोग 28:50 - 30:15 अशुभ
कल से आगे .......
📍4. गांधारी नाड़ी
गांधारी नाड़ी बायीं आँख के कोने के नीचे से कंद (पेट के क्षेत्र में ऊर्जा बल्ब) तक बहती है और बाएं पैर के अंगूठे में समाप्त होती है।
ऐसा कहा जाता है कि यह शरीर के निचले हिस्से (अंगूठे से शुरू होकर) से मानसिक ऊर्जा को आज्ञा चक्र तक ले जाती है ।
गांधारी इड़ा नाड़ी के पीछे स्थित है और इसके समान कार्य हैं। इसकी पूरक संरचना हस्तजिह्वा नाड़ी है ।
5. हस्तजिह्वा नाड़ी
हस्तजिह्वा नाड़ी का अर्थ है "हाथी-जीभ वाली ऊर्जा चैनल।"
यह दाहिनी आँख के कोने के नीचे से कांडा तक बहती है और दाहिने पैर के अंगूठे में समाप्त होती है।
हस्तजिह्वा को शरीर के निचले हिस्से (अंगूठे से शुरू होकर) से आज्ञा चक्र तक मानसिक ऊर्जा ले जाने के लिए कहा जाता है । इसकी पूरक संरचना गांधारी नाड़ी है ।
6. यशस्विनी नाड़ी
यशस्विनी नाड़ी , “शानदार ऊर्जा चैनल”, दाहिने पैर के अंगूठे से कण्ड तक बहती है और बाएं कान पर समाप्त होती है। इसकी पूरक संरचना पूषा नाड़ी है ।
आगे क्रमश:........
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)
Mobile. 8387869068
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