🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक - 29 अगस्त 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी रात्रि 01:36:51 अगस्त 30 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - आर्द्रा शाम 04:39 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*⛅योग - सिद्धि शाम 06:18 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*⛅ चन्द्र राशि~ मिथुन*
*⛅सूर्य राशि~ सिंह*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 02:11 से दोपहर 03:46 तक*
*⛅सूर्योदय~ 06:14:09 *
*⛅सूर्यास्त~ 18:57:09*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:43 से 05:28 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - 12:10 पी एम से 01:01 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:13 अगस्त 30 से रात्रि 12:58 अगस्त 30 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 04:39से दोपहर 06:13 तक)*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
शुभ 06:14 - 07:50 शुभ
रोग 07:50 - 09:25 अशुभ
उद्वेग 09:25 - 11:00 अशुभ
चर 11:00 - 12:36 शुभ
लाभ 12:36 - 14:11 शुभ
अमृत 14:11 - 15:46 शुभ
काल 15:46 - 17:22 अशुभ
शुभ 17:22 - 18:57 शुभ
*⛅चोघडिया, रात⛅*
अमृत 18:57 - 20:22 शुभ
चर 20:22 - 21:47 शुभ
रोग 21:47 - 23:11 अशुभ
काल 23:11 - 24:36 अशुभ
लाभ 24:36 - 26:01 शुभ
उद्वेग 26:01 - 27:25 अशुभ
शुभ 27:25 - 28:50 शुभ
*⛅ व्रत पर्व विवरण - अजा एकादशी, सर्वार्थ सिद्धि योग (शाम 04:39 से प्रातः 06:21 अगस्त 30 तक), व्यतिपात योग (शाम 06:19 से शाम 05:47 अगस्त 30 तक)*
*⛅विशेष - एकादशी को सिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
⛳📍 मनोवाह नाड़ियाँ 📍⛳
📍तंत्र योग में , मनोवाह नाड़ियाँ दस मुख्य ऊर्जा चैनल हैं। इन्हें "दस द्वार" के रूप में जाना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मृत्यु के समय जीवात्मा (आत्मा) और प्राण ऊर्जा इनमें से किसी एक द्वार से भौतिक शरीर को त्याग देती है।
📍 दस मुख्य नाड़ियाँ हैं:
⛳सुषुम्ना , ⛳इड़ा , ⛳पिंगला , ⛳गांधारी , ⛳हस्तजिह्वा , ⛳यशस्विनी , ⛳पूषा , ⛳अलम्बुषा , ⛳कुहू और ⛳शंखिनी ।
📍 "" सिद्ध सिद्धांत पद्धति"" , ""दर्शन उपनिषद"" और ""योग-याज्ञवल्क्य"" जैसे पारंपरिक योग ग्रंथों में इन ऊर्जा चैनलों का उल्लेख है, हालांकि, वे कभी-कभी उनके मार्गों का वर्णन थोड़े अलग तरीके से करते हैं।
1. सुषुम्ना नाड़ी
सुषुम्ना नाड़ी , "सबसे अनुग्रहपूर्ण ऊर्जा चैनल", तटस्थ ऊर्जा चैनल है जो सूक्ष्म शरीर में रीढ़ की हड्डी से होकर गुजरता है। यह मूलाधार चक्र से शुरू होता है और सूक्ष्म रीढ़ के मध्य से होते हुए सिर के मुकुट पर ब्रह्मरंध्र तक जाता है।
📍 योग में , हम प्राण (जीवन शक्ति ऊर्जा) को सुषुम्ना नाड़ी में प्रवाहित करने का प्रयास करते हैं , जिसे ब्रह्म नाड़ी भी कहा जाता है ।
जब ऊर्जा लंबे समय तक मुख्य रूप से सुषुम्ना से होकर बहती है, तो हम "दुनिया के लिए मृत" हो जाते हैं और समाधि में चले जाते हैं ।
प्रतीकात्मक रूप से, सुषुम्ना अग्नि तत्व ( तेजस तत्व ) से जुड़ी हुई है और इसे प्रकृति में सात्विक (सामंजस्यपूर्ण) माना जाता है।
📍2. इडा नाडी
इड़ा नाड़ी का अर्थ है "आराम ऊर्जा चैनल।"
यह सूक्ष्म शरीर में निष्क्रिय, स्त्रैण, यिन ऊर्जा चैनल है।
यह सुषुम्ना नाड़ी के बाईं ओर स्थित है, और इसकी ऊर्जा पिंगला नाड़ी की पूरक है।
इड़ा नाड़ी , जिसे चंद्र नाड़ी के रूप में भी जाना जाता है , मूलाधार चक्र में एक सूक्ष्म स्तर पर शुरू होती है , रीढ़ की हड्डी के बाईं ओर पीठ के साथ जाती है, और अजना चक्र (जीव में ध्रुवता का समन्वयक) में पिंगला नाड़ी के साथ मिलती है।
सफेद रंग का उपयोग इड़ा नाड़ी की सूक्ष्म कंपन गुणवत्ता का प्रतिनिधित्व करने के लिए किया जाता है ।
प्रतीकात्मक रूप से, यह चंद्रमा से जुड़ा हुआ है और इसे प्रकृति में तामसिक (निष्क्रिय) माना जाता है।
📍3. पिंगला नाड़ी
पिंगला नाड़ी (जिसे सूर्य नाड़ी भी कहा जाता है ) "पीले रंग की ऊर्जा चैनल" है।
यह सूक्ष्म शरीर में मर्दाना, सक्रिय, यांग ऊर्जा चैनल है।
यह सुषुम्ना नाड़ी के दाईं ओर स्थित है, और इसकी ऊर्जा इड़ा नाड़ी की पूरक है ।
पिंगला नाड़ी की कंपन गुणवत्ता को लाल रंग से दर्शाया जाता है।
प्रतीकात्मक रूप से, यह सूर्य से जुड़ी है और इसे राजसिक (गतिशील) प्रकृति का माना जाता है।
आगे क्रमशः कल........
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)
Mobile. 8387869068
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