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पंचांग - 28-08-2024

 🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक - 28 अगस्त 2024*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*

jyotish

*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - दशमी रात्रि 01:18:54 अगस्त 29 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - मृगशिरा दोपहर 03:51:53 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*⛅योग - वज्र शाम 07:10:15 तक तत्पश्चात सिद्धि*
*⛅ चन्द्र राशि~       मिथुन*
*⛅सूर्य राशि~       सिंह*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- दोपहर 12:36 से दोपहर 02:12 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:13:42*
*⛅सूर्यास्त - 06:18:13*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:43 से 05:28 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - कोई नहीं*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:14 अगस्त 29 से रात्रि 12:59 अगस्त 29 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 06:12 से दोपहर 03:53 तक)*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅एकादशी व्रत करने वाले लोगों को दशमी के दिन से ही तामसिक चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए. साथ ही, इस दिन किसी भी तरह के नशीले पदार्थ का सेवन भी नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन घी का सेवन करना चाहिए।*

     *⛅चोघडिया, दिन⛅*
लाभ    06:14 - 07:49    शुभ
अमृत    07:49 - 09:25    शुभ
काल    09:25 - 11:00    अशुभ
शुभ    11:00 - 12:36    शुभ
रोग    12:36 - 14:12    अशुभ
उद्वेग    14:12 - 15:47    अशुभ
चर    15:47 - 17:23    शुभ
लाभ    17:23 - 18:58    शुभ
    *⛅चोघडिया, रात⛅*
उद्वेग    18:58 - 20:23    अशुभ
शुभ    20:23 - 21:47    शुभ
अमृत    21:47 - 23:12    शुभ
चर    23:12 - 24:36    शुभ
रोग    24:36 - 26:01    अशुभ
काल    26:01 - 27:25    अशुभ
लाभ    27:25 - 28:50 शुभ
उद्वेग    28:50 - 30:14 अशुभ
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*⛅संस्कृत सभी भाषाओं की जननी कही जाती है। भारत की सांस्कृतिक पहचान अगर पूरी दुनिया में है, तो उनमें से एक संस्कृत भाषा भी है। जिसे हम देव भाष भी कहते हैं।......

*⛅होम विश्व भारत राज्य ओलंपिक गेम्स 2024 सम्पादकीय संघ वेब स्टोरी जीवनशैली विश्लेषण मत अभिमत रक्षा संस्कृति पत्रिका होम भारत देवों की भाषा कहलाने वाली ‘संस्कृत’ का महत्व संस्कृत सभी भाषाओं की जननी कही जाती है।

*⛅*वैदिक ज्योतिष में पित्रादि-दोष (ऋण) या श्राप की सही पहचान और निदान।*
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*"पित्र-श्राप" का सही पता सिर्फ जन्म कुण्डली देखकर ही नहीं लगाया जा सकता है, अपितु कुंंडली ना होने पर इसके अलावा प्रश्न कुंडली, हस्त-रेखा (सामुद्रिक विज्ञान),  अपराविज्ञान और शकुन शास्त्र के माध्यम से भी "पित्र दोष" का सही पता लगाया जा सकता है, परन्तु प्राय ये विधिंयाँ प्रचलन में नहीं है लुप्तप्राय सी हो गयी हैं।*
मुख्य रूप से जन्म कुण्डली से ही पित्र दोष का निर्णय किया जाता है।
        चार प्रकार के प्रवल पित्र-दोष :-
              👇👇
*सूर्य.... आत्मा एवं पिता का कारक गृह है पित्र पक्ष का विचार सूर्य से होता है।*  
*"चन्द्रमा" मन एवं माता पक्ष का कारक ग्रह है।*
*मंगल...  हमारे रक्त , जीन्स, परम्परा, पौरुष और बंधुत्व पक्ष का कारक ग्रह है।*
*सुक्र.... भी हमारे भोग, ऐश्वर्य और स्त्री पक्ष का कारक ग्रह है।*

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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)
Mobile. 8387869068
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vipul

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