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पंचांग - 26-08-2024

 🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
 🌤️*दिनांक -26 अगस्त 2024*
🌤️ *दिन -  सोमवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार  2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*

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🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - भाद्रपद (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)*
🌤️*पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अष्टमी रात्रि 02:19:06 अगस्त 27 तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र - कृतिका दोपहर 03:54:16 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*⛅योग - व्याघात रात्रि 10:15:25 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल_हर जगह का अलग है- प्रातः 07:49 से प्रातः 09:25 तक*
*⛅चन्द्र राशि    ~   वृषभ*
*⛅सूर्य राशि~       सिंह*
*⛅सूर्योदय - 06:12:47*
*⛅सूर्यास्त - 07:00:08*
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*🌤️ चोघडिया, दिन🌤️*
अमृत    06:13 - 07:49    शुभ
काल    07:49 - 09:25    अशुभ
शुभ    09:25 - 11:01    शुभ
रोग    11:01 - 12:37    अशुभ
उद्वेग    12:37 - 14:12    अशुभ
चर    14:12 - 15:48    शुभ
लाभ    15:48 - 17:24    शुभ
अमृत    17:24 - 19:00    शुभ
    *🌤️ चोघडिया, रात 🌤️*
चर    19:00 - 20:24    शुभ
रोग    20:24 - 21:49    अशुभ
काल    21:49 - 23:13    अशुभ
लाभ    23:13 - 24:37    शुभ
उद्वेग    24:37 - 26:01    अशुभ
शुभ    26:01 - 27:25    शुभ
अमृत    27:25 - 28:49    शुभ
चर    28:49 - 30:13    शुभ
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*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
🌤️*ब्रह्म मुहूर्त    04:42 ए एम से 05:27 ए एम*    
🌤️*प्रातः सन्ध्या    05:05 ए एम से 06:12 ए एम*
🌤️*अभिजित मुहूर्त    12:11 पी एम से 01:02 पी एम    *
🌤️*विजय मुहूर्त    02:45 पी एम से 03:36 पी एम*
🌤️*गोधूलि मुहूर्त    07:02 पी एम से 07:24 पी एम    *
🌤️*सायाह्न सन्ध्या    07:02 पी एम से 08:09 पी एम*
🌤️*अमृत काल    01:36 पी एम से 03:09 पी एम*    
🌤️*निशिता मुहूर्त    12:14 ए एम, अगस्त 27 से 12:59 ए एम, अगस्त 27*
🌤️*सर्वार्थ सिद्धि योग    03:55 पी एम से 06:12 ए एम, अगस्त 27का समय सबसे उत्तम रहेगा जो जन्माष्टमी पूजन के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त है।*

*🚩कृष्ण जन्म के योग-संयोग:-*  
🌤️ *श्रीकृष्‍ण का जन्म 8वें अवतार के रूप में 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को 8वें मुहूर्त में आधी रात को जयंती नामक योग और रोहिणी नक्षत्र में तब हुआ था जबकि चंद्र अपने उच्च अंश में वृषभ राशि में विराजमान था और उस दिन सोमवार था। उस समय 6 ग्रह उच्च के थे। चौथे भाव में सिंह राशि थी जिसमें सूर्य विराजमान थे। पांचवें भाव में कन्या राशि में बुध विराजमान थे। छठे भाव की तुला राशि में शनि और शुक्र ग्रह थे। नौवें अर्थात भाग्य स्थान पर मकर राशि थी जिसमें मंगल ग्रह उच्च के होकर विराजमान थे।
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11वें भाव में मीन राशि के गुरु उच्च के होकर विराजमान थे।

*जन्माष्टमी का पर्व अबकी बार रोहिणी नक्षत्र योग में 26 अगस्त में कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त*
         
🌤️*जन्माष्टमी का पर्व इस बार देशभर में 26 अगस्त सोमवार के दिन मनाया जाएगा ज्योतिषाचार्य  से जानते हैं कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त।*

🌤️*जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाई जाती है। जन्माष्टमी पर भगवान विष्णु जी के अवतार भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था, हर वर्ष जन्माष्टमी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस बार जन्माष्टमी पर बहुत ही शुभ योग बन रहे हैं। जैसे योग भगवान कृष्ण के जन्म के समय बने थे वैसे ही योग इस बार भी बन रहे हैं। बता दें कि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त सोमवार के दिन मनाया जाएगा। इस बार के बने शुभ योग में व्रत रखने से भक्तों को व्रत को चार गुना अधिक फल मिलने वाला है।*
 
🌤️* ज्योतिषाचार्य  ने बताया कि जन्माष्टमी पर बने हैं बेहद शुभ योग इस बार संयोग ऐसा बना है कि जन्माष्टमी पर अष्टमी तिथि एक ही दिन है जिससे की साधु सन्यासी और गृहस्थ सभी एक ही दिन भगवान कृष्ण की भक्ति उपासना कर पाएंगे। पंचांग की गणना बता रही है कि 25/26 तारीख को सोमवार के दिन अष्टमी तिथि सुबह 3 बजकर 39 मिनट से आरंभ होगी। 26 तारीख को रात के 2 बजकर 19:06 मिनट पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी। जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र दोपहर में 3 बजकर 55 मिनट से आरंभ होगा और 27 तारीख की मध्य रात्रि 3 बजकर 36:50 मिनट तक रहेगा।*

🌤️* शुभ योग का शुभ संयोग*
इस दिन चंद्रमा वृषभ राशि में होंगे जैसा की भगवान कृष्ण के जन्म के समय संयोग बना है। दरअसल, उस दिन भी चंद्रमा वृषभ राशि में ही थे। जिस रात में अष्टमी तिथि मध्यकाल में होती है उसी दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा का वृषभ राशि में होना बेहद ही शुभ फलदायी रहेगा। साथ में अगर जन्माष्टमी पर सोमवार या बुधवार हो जाए तो यह बहुत ही दुर्लभ संयोग बनाता है। बुधवार और सोमवार को जन्माष्टमी होने पर पर्व का शुभ योग का संयोग बनता है। दरअसल, जिस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था उस दिन बुधवार था। ठीक इससे छह दिन बाद यानी सोमवार को भगवान कृष्ण का नामकरण आदि कार्य किए गए थे। इसलिए जन्माष्टमी सोमवार या बुधवार में होना बेहद शुभ मानी जाती है।*

🌤️* जन्माष्टमी पूजन मुहूर्त*
जन्माष्टमी के दिन वैसे तो आप किसी भी समय पूजन कर सकते हैं। लेकिन, इस दिन पूजा के लिए तीन बेहद ही शुभ मुहूर्त है जिसमें पूजा करना बहुत ही शुभ फलदायी साबित होगा। सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 49 मिनट तक सुबह की पूजा के लिए उत्तम समय इस दौरान अमृत चौघड़िया रहने वाला है।
शाम के समय लाभ और अमृत चौघड़िया पूजन का मुहूर्त 3 बजकर 48 मिनट 7 बजकर 00 मिनट तक*

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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)
Mobile. 8387869068

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