Type Here to Get Search Results !

पंचांग - 25-08-2024

 🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
 🌤️*दिनांक -25 अगस्त 2024*
🌤️ *दिन -  रविवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार  2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*

jyotish

🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - भाद्रपद (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - सप्तमी 26 अगस्त रात्रि 03:38:35 तक तत्पश्चात अष्टमी*
🌤️ *नक्षत्र - भरणी शाम 04:44:03  तक तत्पश्चात कृत्तिका*
🌤️ *योग - ध्रुव रात्रि 12:27:30 तक तत्पश्चात व्याघात*
🌤️ *राहुकाल - शाम 05:25 से शाम 07:01 तक*
🌤️ *सूर्योदय -06:12:19*
🌤️ *सूर्यास्त- 07:01:20*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - शीतला सप्तमी,रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से 26 अगस्त प्रातः 03:38:35 तक)*
💥 *विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
        चोघडिया, दिन
उद्वेग    06:12 - 07:48    अशुभ
चर    07:48 - 09:25    शुभ
लाभ    09:25 - 11:01    शुभ
अमृत    11:01 - 12:37    शुभ
काल    12:37 - 14:13    अशुभ
शुभ    14:13 - 15:49    शुभ
रोग    15:49 - 17:25    अशुभ
उद्वेग    17:25 - 19:01    अशुभ
        चोघडिया, रात
शुभ    19:01 - 20:25    शुभ
अमृत    20:25 - 21:49    शुभ
चर    21:49 - 23:13    शुभ
रोग    23:13 - 24:37    अशुभ
काल    24:37 - 26:01    अशुभ
लाभ    26:01 - 27:25    शुभ
उद्वेग    27:25 - 28:49    अशुभ
शुभ    28:49 - 30:13    शुभ
kundli


क्या मनुष्य सर्वथा प्रारब्ध के अधीन है ?

अगर मनुष्य सर्वथा प्रारब्ध के अधीन हो तो लौकिक, वैदिक विधि निषेध संहिता उसपर लागू ना हो, क्रियान्वित ना हो। लौकिक और वैदिक आचार संहिता उसपर कतई लागू ना हो।
इसलिए मनुष्य सर्वथा प्रारब्ध के अधीन नहीं है ।
नए कर्म करने की भी स्वतंत्रता है, क्षमता है।
प्रारब्ध फल देके नष्ट हो जाता है। लेकिन मनुष्य के हृदय में उस कर्म के संस्कार का आधान कर देता है। वे संस्कार फिर से शुभ और अशुभ कर्म कराने लग जाते हैं। पौरूष अथवा पुरूषार्थ के द्वारा बुरे प्रारब्ध को दबाया जा सकता है प्रबल पौरूष के द्वारा। इसलिए प्रयास यह करना चाहिए कि बुरे प्रारब्ध को नया बल नहीं प्राप्त हो।
प्रारब्ध के भी भेद होते हैं। भगवान् की ओर चलने के लिए अनुकूल परस्थितियों का भी प्रारब्ध होता है। सब प्रारब्ध खोटे थोड़ी होते हैं।
mi

mahaveer

प्रारब्ध को अदृष्ट कहते हैं, भाग्य, दैव कहते हैं। अनुकूल प्रारब्ध है, तो उसमें और पुरषार्थ कर लें तो चार चाँद लगाने वाली बात होगई।
नहीं तो फिर संस्कारों की रस्सा कशी होगी। जिधर नहीं जाना चाहिए उधर बुरा प्रारब्ध ले जाए गा। और यदि हमारा संघर्ष का बल दुर्बल होगा तो बुरा प्रारब्ध विजयी हो जाएगा।
गोस्वामी जी कहते हैं, विषय रूपी साँप का जहर उतारने के लिए अर्थात बड़े-से-बड़े दुखों को दूर करने के लिए (गुरू का) मन्त्र (उपदेश) वह महामणि हैं जो ललाट पर लिखे हुए कठिनता से मिटने वाले बुरे लेखों अर्थात मंद प्रारब्ध या दुर्भाग्य को मिटा देता है ।
"मंत्र महामनि बिषय ब्याल के। मेटत कठिन कुअंक भाल के ॥५॥"
(श्रीरामचरितमानस, बालकाण्ड, चौपाई 31)
नारदजी हिमवान्‌ से कहते हैं- यदि तुम्हारी कन्या (पारवती) तप करे, तो त्रिपुरारि महादेवजी होनी (होनहार) को बदल सकते हैं।
"जौं तपु करै कुमारि तुम्हारी। भाविउ मेटि सकहिं त्रिपुरारी॥३॥"
(श्रीरामचरितमानस, बालकाण्ड, चौपाई 69)
कभी बुरा प्रारब्ध प्रबल होता है, कभी पौरूष कभी दोनों बराबर।
अनुकूल प्रारब्ध है तो पौरूष के द्वारा उसे और प्रबल करलेना चाहिए।
प्रतिकूल प्रारब्ध को भी अनुकूल प्रारब्ध बनाया जा सकता है।
पौरूष और प्रारब्ध में संघर्ष होता है। अनुकूल प्रारब्ध हो उसके लिए और प्रयत्न कर लिया जाए तो बुरे प्रारब्ध को नया बल नहीं होता पौरूष को नया बल होता है । इसलिए पौरूष की प्रधानता है मनुष्य जीवन में।
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮
*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)
Mobile. 8387869068
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞*
vipul

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Post Ad