🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
🌤️ *दिनांक -23 अगस्त 2024*
🌤️ *दिन - शुक्रवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
🌤️ *शक संवत -1946*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - भाद्रपद (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)*
🌤️ *पक्ष - कृष्ण*
🌤️ *तिथि - चतुर्थी सुबह 10:38:15 तक तत्पश्चात पंचमी*
🌤️ *नक्षत्र - रेवती शाम 07:53:10 तक तत्पश्चात अश्विनी*
🌤️ *योग - शूल सुबह 09:29:52तक तत्पश्चात गण्ड*
🌤️ *राहुकाल - सुबह 11:01 से दोपहर 12:37 तक*
🌤️*सूर्योदय -06:11:23*
🌤️*सूर्यास्त- 19:03:22*
👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा मे*
🌤️*ब्रह्म मुहूर्त 04:42 ए एम से 05:26 ए एम*
🌤️*अभिजित मुहूर्त 12:12 पी एम से 01:03 पी एम*
🌤️*निशिता मुहूर्त 12:15 ए एम, अगस्त 24 से 01:00 ए एम, अगस्त 24*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - पंचक (समाप्त : रात्रि 07:54)*
💥 *विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌤️जन्माष्टमी🌤️*
*26 अगस्त 2024 सोमवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है।*
*🌤️चोघडिया, दिन🌤️*
चर 06:11 - 07:48 शुभ
लाभ 07:48 - 09:24 शुभ
अमृत 09:24 - 11:01 शुभ
काल 11:01 - 12:37 अशुभ
शुभ 12:37 - 14:14 शुभ
रोग 14:14 - 15:50 अशुभ
उद्वेग 15:50 - 17:27 अशुभ
चर 17:27 - 19:03 शुभ
*🌤️ चोघडिया, रात 🌤️*
रोग 19:03 - 20:27 अशुभ
काल 20:27 - 21:50 अशुभ
लाभ 21:50 - 23:14 शुभ
उद्वेग 23:14 - 24:38 अशुभ
शुभ 24:38 - 26:01 शुभ
अमृत 26:01 - 27:25 शुभ
चर 27:25 - 28:48 शुभ
रोग 28:48 - 30:12 अशुभ
*🌤️ शिव का काल भैरव रूप: एक दिव्य कथा 🌤️ *
पुराणों में भगवान शिव के अनेक रूपों का वर्णन मिलता है, जिनमें से एक अत्यंत रहस्यमय और शक्तिशाली रूप है काल भैरव। यह कथा ब्रह्मा जी द्वारा शिव जी का अपमान करने और उसके परिणामस्वरूप शिव के काल भैरव रूप धारण करने की है। इस कथा में शिव जी के गहरे क्रोध, उनके न्यायप्रिय स्वभाव और उनके अनंत रूपों का अद्भुत वर्णन है।
कथा का प्रारंभ
यह कथा सृष्टि के प्रारंभिक समय की है, जब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) मिलकर सृष्टि का संचालन करते थे। ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता थे, विष्णु जी पालनकर्ता थे और शिव जी संहारकर्ता। एक बार ब्रह्मा जी में अहंकार जाग्रत हो गया और उन्होंने यह सोच लिया कि वे सृष्टि के सर्वश्रेष्ठ देवता हैं।
ब्रह्मा जी का अपमान
ब्रह्मा जी के इस अहंकार ने उन्हें अंधा कर दिया और उन्होंने भगवान शिव का अपमान करना शुरू कर दिया। उन्होंने शिव जी को अपशब्द कहे और कहा कि वे ही सृष्टि के वास्तविक स्वामी हैं, क्योंकि उन्होंने ही सबकुछ रचा है। यह बात भगवान शिव को बहुत क्रोध में डाल गई।
शिव का क्रोध और काल भैरव का प्राकट्य
भगवान शिव ने अपने क्रोध को नियंत्रण में रखा, लेकिन ब्रह्मा जी की यह बात जब सहन से बाहर हो गई, तब उन्होंने अपनी तीसरी आँख खोली और उनके माथे से एक भयानक रूप प्रकट हुआ, जिसे काल भैरव कहा जाता है। काल भैरव का स्वरूप अत्यंत डरावना था। उनके हाथ में एक त्रिशूल, कमर में एक खंजर और गले में नरमुंड की माला थी। उनका वाहन एक काला कुत्ता था।
ब्रह्मा जी का पांचवा मस्तक काटना
काल भैरव ने प्रकट होते ही ब्रह्मा जी की ओर प्रहार किया और उनके पांचवे मस्तक को काट दिया। यह मस्तक ब्रह्मा जी के अहंकार और अज्ञान का प्रतीक था। भगवान शिव ने काल भैरव के रूप में ब्रह्मा जी के अहंकार को नष्ट कर दिया और उन्हें यह सिखाया कि सृष्टि का संचालन सभी देवताओं के सामूहिक प्रयास से ही संभव है।
काल भैरव का दण्ड और प्रायश्चित
हालांकि काल भैरव ने ब्रह्मा जी के अहंकार को समाप्त किया, लेकिन इस घटना के बाद काल भैरव को ब्रह्म हत्या का दोषी ठहराया गया। इस पाप का प्रायश्चित करने के लिए उन्हें ब्रह्मांड में भ्रमण करने और भीख मांगने का दण्ड मिला। उन्होंने काशी नगरी (वर्तमान वाराणसी) में जाकर अपने पाप का प्रायश्चित किया और वहीं निवास करने लगे।
काल भैरव की महिमा
काशी में निवास करते हुए, काल भैरव सभी भक्तों के लिए संकटमोचक बन गए। वे अपने भक्तों की सभी प्रकार की बाधाओं और समस्याओं को दूर करते हैं। काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को भय और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है और वे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।
उपसंहार
इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि अहंकार और अज्ञान सृष्टि के लिए अत्यंत विनाशकारी हैं। भगवान शिव का काल भैरव रूप न केवल उनकी शक्ति और क्रोध का प्रतीक है, बल्कि यह न्याय और धर्म का भी प्रतीक है। जब भी कोई व्यक्ति अपने कर्तव्यों से विमुख होता है और अहंकार के मार्ग पर चलता है, तो भगवान शिव अपने काल भैरव रूप में प्रकट होकर उसे सन्मार्ग पर लाते हैं।
प्रार्थना
ॐ कालभैरवाय नमः
ॐ शिवाय नमः
काल भैरव के इस रूप को स्मरण कर हम सभी को अपने जीवन में विनम्रता, सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
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*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)
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