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पंचांग - 13-08-2024

 🗓आज का पंचांग 🗓
*⛅दिनांक ~13 अगस्त 2024*
*⛅दिन ~ मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् ~ 2081*

jyotish


*⛅अयन ~ दक्षिणायन*
*⛅ऋतु ~ वर्षा*
*⛅मास ~श्रावण*
*⛅पक्ष ~ शुक्ल*
*⛅तिथि    अष्टमी    09:30:51
*⛅पक्ष    शुक्ल
*⛅नक्षत्र    विशाखा    10:43:21
*⛅योग    ब्रह्म    16:32:14
*⛅करण    बव    09:30:51
*⛅करण    बालव    22:02:58

👌❤️ चोघडिया,दिन ❤️👌
रोग    06:07 - 07:45    अशुभ
उद्वेग    07:45 - 09:23    अशुभ
चर    09:23 - 11:01    शुभ
लाभ    11:01 - 12:40    शुभ
अमृत    12:40 - 14:18    शुभ
काल    14:18 - 15:56    अशुभ
शुभ    15:56 - 17:35    शुभ
रोग    17:35 - 19:13    अशुभ
👌❤️ चोघडिया,रात❤️👌
काल    19:13 - 20:35    अशुभ
लाभ    20:35 - 21:56    शुभ
उद्वेग    21:56 - 23:18    अशुभ
शुभ    23:18 - 24:40    शुभ
अमृत    24:40 - 26:02    शुभ
चर    26:02 - 27:23    शुभ
रोग    27:23 - 28:45    अशुभ
काल    28:45 - 30:07    अशुभ

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*⛅ व्रत विशेष: मंगला गौरी व्रत सावन के महीने में करने का विशेष महत्व है।
*⛅ कुलज_प्रेतबाधाजन्य_
दीखनेवाले_स्वप्न,⛅* उनके_निराकरणके_उपाय_तथा_नारायणबलिका_विधान
(गरुड़ पुराण- धर्मकांड/ प्रेत कल्प /अध्याय २१

*⛅       श्रीगरुडने कहा-हे भगवन् ! प्रेत किस प्रकारसे मुक्त होते हैं? जिनकी मुक्ति होनेपर मनुष्योंको प्रेतजन्य पीड़ा पुनः नहीं होती।
*⛅     हे देव! जिन लक्षणोंसे युक्त बाधाको आपने प्रेतजन्य कहा है, उनकी मुक्ति कब सम्भव है और क्या किया जाय कि प्राणीको प्रेतत्वकी प्राप्ति न हो सके?
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  *⛅ प्रेतत्व कितने वर्षोंका होता है? ⛅*
       चिरकालसे प्रेतयोनिको भोग रहा प्राणी उससे किस प्रकार मुक्त हो सकता है?
    यह सब आप बतलानेकी कृपा करें।

 *⛅     श्रीकृष्णने कहा :: -
    हे गरुड! प्रेत जिस प्रकार प्रेतयोनिसे मुक्त होते हैं, उसे मैं बतला रहा हूँ।
       जब मनुष्य यह जान ले कि प्रेत मुझको कष्ट दे रहा है तो ज्योतिर्विदोंसे इस विषयमें निवेदन करे।
*⛅     प्रेतग्रस्त प्राणीको बड़े ही अद्भुत स्वप्न दिखायी देते हैं।
    जब तीर्थ-स्नानकी बुद्धि होती है, चित्त धर्मपरायण हो जाता है और धार्मिक कृत्योंको करनेकी मनुष्यकी प्रवृत्ति होती है तब प्रेतबाधा उपस्थित होती है एवं उन पुण्य कार्योंको नष्ट करनेके लिये चित्त- भंग कर देती है।
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*⛅     कल्याणकारी कार्योंमें पग-पगपर बहुत- से विघ्न होते हैं। प्रेत बार-बार अकल्याणकारी मार्गमें प्रवृत्त होनेके लिये प्रेरणा देते हैं।
*⛅     शुभकर्मों में प्रवृत्तिका उच्चाटन और क्रूरता-यह सब प्रेतके द्वारा किया जाता है।
    जब व्यक्ति समस्त विघ्नोंको विधिवत् दूर करके मुक्ति प्राप्त करनेके लिये सम्यक् उपाय करता है तो उसका वह कर्म हितकारी होता है और उसके प्रभावसे शाश्वत प्रेतनिवृत्ति हो जाती है।

*⛅  हे पक्षिन्! दान देना अत्यन्त श्रेयस्कर है, दान देनेसे प्रेत मुक्त हो जाता है।
      जिसके उद्देश्य से दान दिया जाता है, उस को तथा स्वयं को वह दान तृप्त करता है।
    हे तात ! यह सत्य है कि जो दान देता है वही उसका उपभोग करता है।
*⛅    दानदाता दानसे अपना कल्याण करता है और ऐसा करने से प्रेत को भी चिरकालिक संतृप्ति प्राप्त होती है।
     संतृप्तहुए वे प्रेत सदैव अपने बन्धु-बान्धवोंका कल्याण चाहते हैं।
 *⛅   यदि विजातीय दुष्ट प्रेत उसके वंश को पीड़ित करते हैं तो संतृप्त हुए सगोत्री प्रेत अनुग्रहपूर्वक उन्हें रोक देते हैं।

        उसके बाद समय आनेपर अपने पुत्रसे प्राप्त हुए पिण्डादिक दानके फलसे वे मुक्त हो जाते हैं।
*⛅    हे पक्षिराज। यथोचित दानादिके फलसे संतृप्त प्रेत बन्धु-बान्धवोंको धन्य-धान्यसे समृद्धि प्रदान करते हैं।

 *⛅      जो व्यक्ति स्वप्नमें प्रेत-दर्शन, भाषण, चेष्टा और पीड़ा आदिको देखकर भी श्राद्धादि द्वारा उनकी मुक्ति का उपाय नहीं करता, वह प्रेतों के द्वारा दिये गये शाप से संलिप्त होता है।
*⛅     ऐसा व्यक्ति जन्म-जन्मान्तर तक निःसन्तान, पशु-हीन, दरिद्र, रोगी, जीविका के साधन से रहित और निम्नकुल में उत्पन्न होता है।
    ऐसा वे प्रेत कहते हैं और पुन: यमलोक जा कर पापकर्मों का भोग द्वारा नाश हो जाने के अनन्तर अपने समय से प्रेतत्व की मुक्ति हो जाती है।

*⛅   गरुडने कहा:: -
      हे देवेश्वर ! यदि किसी प्रेत का नाम और गोत्र न ज्ञात हो सके, उस के विषय में विश्वास न हो रहा हो, कुछ ज्योतिषी पौड़ा को प्रेतजन्य कहते हो, कभी भी मनुष्य को प्रेत स्वप्न में न दिखायी दे, उसकी कोई चेष्टा न होती हो तो उस समय मनुष्य को क्या करना चाहिये? उस उपाय को मुझे बतायें।

 ✴️🔻 *⛅    श्रीभगवान् ने कहा::-
             हे खगराज! पृथ्वी के देवता ब्राह्मण जो कुछ भी कहते हैं, उस वचन को हृदय से सत्य समझकर भक्ति-भाव पूर्वक पितृभक्तिनिष्ठ हो पुरश्चरण पूर्वक नारायण-बलि कर के जप, होम तथा दान से देह-शोधन करना चाहिये।
    उससे समस्त विघ्न नष्ट हो जाते हैं।
     यदि वह प्राणी भूत, प्रेत, पिशाच अथवा अन्य किसी से पीड़ित होता है तो उसको अपने पितरोंके लिये नारायण-बलि करनी चाहिये।
     ऐसा कर वह सभी प्रकार की पीड़ाओं से मुक्त हो जाता है। यह मेरा सत्य वचन है।
    अतः सभी प्रयत्नों से पितृभक्ति- परायण होना चाहिये।
    नवे या दसवें वर्ष अपने पितरों के निमित्त प्राणी को दस हजार गायत्री मन्त्रों का जप कर के दशांश होम करना चाहिये।
      नारायण-बलि कर के वृषोत्सर्गादि क्रियाएँ करनी चाहिये।
        ऐसा करने से मनुष्य सभी प्रकार के उपद्रवों से रहित हो जाता है, समस्त सुखों का उपभोग करता है तथा उत्तम लोक को प्राप्त करता है और उसे जाति-प्राधान्य प्राप्त होता है।
    इस संसार में माता-पिता के समान श्रेष्ठ अन्य कोई देवता नहीं है।

*⛅      अतः सदैव सम्यक् प्रकार से अपने माता-पिता की पूजा करनी चाहिये। हितकर बातों का उपदेष्टा होने से पिता प्रत्यक्ष देवता है। संसार में जो अन्य देवता हैं वे शरीरधारी नहीं हैं-

*⛅पितृमातृसमं लोके नास्त्यन्यहवतं परम्।
तस्मात् सर्वप्रयत्लेन पूजयेत् पितरौ सदा॥
हितानामुपदेष्टा हि प्रत्यक्षं दैवतं पिता।
अन्या या देवता लोके न देहप्रभवो हि ताः॥ (२१/६/२८-२९)

*⛅ -प्राणियोंका शरीर ही स्वर्ग एवं मोक्षका एकमात्र साधन है। ऐसा शरीर जिसके द्वारा प्राप्त हुआ है, उससे बढ़कर पूज्य कौन है?

*⛅           हे पक्षिन् ! ऐसा विचार करके मनुष्य जो-जो दान देता है उसका उपभोग वह स्वयं करता है, ऐसा वेदविद् विद्वानोंका कथन है। पुनाम का जो नरक है उससे पिताकी रक्षा पुत्र करता है। उसी कारणसे इस लोक और परलोकमें उसे पुत्र कहा जाता है-
*⛅ पुनामनरकाद्यस्मात् पितरं त्रायते सुतः।
तस्मात् पुत्र इति प्रोक्त इह चापि परत्र च॥ (२१/३२)
‼️
        हे खगराज! किसी के माता-पिता को अकालमृत्यु हो जाय तो उसे व्रत, तीर्थ, वैवाहिक माङ्गलिक कार्य संवत्सर-पर्यन्त नहीं करना चाहिये।
     जो मनुष्य प्रेत-लक्षण बताने वाले इस स्वप्नाध्याय का अध्ययन अथवा श्रवण करता है, वह प्रेत का एक चिह्न नहीं देखता है। (अध्याय २१)
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*


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