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पंचांग -11-08-2024

🗓आज का पंचान 🗓
*⛅दिनांक - 11 अगस्त 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*

jyotish


.*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि -  सप्तमी    अहोरात्र तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - स्वाति पूर्ण रात्रि तक*
*⛅योग - शुभ दोपहर 03:47:19 तक तत्पश्चात शुक्ल*
*⛅राहु काल_हर जगहकाअलगहै- शाम 05:36 से शाम 07:15 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:05:32*
*⛅सूर्यास्त - 07:14:30*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*

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*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:38 से 05:21 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 01:06 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:19 अगस्त 12 से रात्रि 01:02 अगस्त 12 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से 12 अगस्त सूर्योदय तक), द्विपुष्कर योग (प्रातः 05:44 से प्रातः 05:49 तक), सर्वार्थ सिद्धि योग (प्रातः 05:44 से प्रातः 06:15 तक)*
 👌❤️ चोघडिया,दिन ❤️👌
उद्वेग    06:06 - 07:44    अशुभ
चर    07:44 - 09:23    शुभ
लाभ    09:23 - 11:01    शुभ
अमृत    11:01 - 12:40    शुभ
काल    12:40 - 14:19    अशुभ
शुभ    14:19 - 15:57    शुभ
रोग    15:57 - 17:36    अशुभ
उद्वेग    17:36 - 19:15    अशुभ
👌❤️ चोघडिया, रात❤️👌
शुभ    19:15 - 20:36    शुभ
अमृत    20:36 - 21:57    शुभ
चर    21:57 - 23:19    शुभ
रोग    23:19 - 24:40*    अशुभ
काल    24:40* - 26:02*    अशुभ
लाभ    26:02* - 27:23*    शुभ
उद्वेग    27:23* - 28:45*    अशुभ
शुभ    28:45* - 30:06*    शुभ
kundli

*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ते है और शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*⛅ जीवन की काल्पनिक यात्रा :----
   *⛅    समय की सीमा से परे एक ऐसी अदृश्य प्रचंड सतह है जो सृष्टि का सुसंचालन करती है !
  *⛅    आजकल लगभग सभी के जीवन में बड़ी कठिनाईयां आ रही हैं ! परिवार के सदस्यों के बीच त्तनाव बढ़ती जा रही है , शिविल वां र् और कोल्ड्ड वां र् करीब आती जा रही है , महा सक्तियों के बीच त्तनाव बढ़ती जा रही है , जीव जंतुओं को भी नहीं छोड़ा जा रहा है ! इन सभी बातों से समय आखिर हमें क्या बताना समझाना चाह रहा है ?? जुग परिवर्तन्न की तैयारी आज से लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले से ही शुरू हो गई थी फिर भी इसके बारे में लोगों में अज्ञानता क्यों है ? वह तैयारी कैसी है ? इस पारीवर्तन के दौरान हमें किन-किन शक्तियों की जरूरत पड़ेगी ? इसमें भा रत्त की क्या भूमिका होगी और हमारे विष्व गुरु बनने की बात में कितनी सच्चाई है ?
mi

mahaveer


    *⛅   बहुत ही कम गिने चुने लोग जानते हैं कि वर्तमान समय युग पारीवर्तन का संधि बेला है ! कुछ लोग जो दुनिया के भ्रष्ट आचार विचार को पहचान कर इसको समझने के निकट पहुंच रहे हैं वे भी अपनी मानसिकता के वजह से दूर हो जा रहे हैं ! इस युग+पारी+वर्तन को समझना कोई आसान कार्य नहीं इसे समझने के लिए "समय" को समझने की क्षमता होना बहुत ही जरूरी है ! आपको बता दूं "समय" को समझना इस ब्रह्मांड का एक सबसे कठिन कार्य है ! अच्छे खासे तपस्वी जन भी इसको समझने में भूल कर बैठे हैं तो आम लोगों के पास इसको समझने की शक्ति ना होना !! क्या आपको पता है इसको होते हुए अभी आप अपनी आंख के सामने देख सकते हैं ?
     लेकिन कैसे ??
 *⛅    इसके बारे में देखने के लिए हमें "समय" को इसके संदर्भ में समझना होगा ! हम मनुष्य लंबे अंतराल से ही इसको गलत समझते आ रहे हैं ! भूतकाल से ही इसे विभिन्न यंत्रों के द्वारा बांधकर सबके लिए एक समान समझने की भूल की गई है , आज भी आपको ऐसे लोग दिख जाएंगे ! पर समय ना तो सीधी रेखा में चलता है , ना इसे कोई बढ़ा सकता है , ना ही यह सब के लिए एक समान चलता है ! उदाहरण के लिए दो ऐसे व्यक्तियों को ले लीजिए जिसमें से एक उदास है और दूसरा बहुत प्रसन्न हर्षित है ! उदासी व्यक्ति के लिए एक घंटा 24 घंटे के बराबर बीतेगा लेकिन वहीं दूसरी ओर हर्षित व्यक्ति के लिए 24 घंटा भी एक पल के समान हो जाएगा ! एक मक्खी की औसतन आयु एक माह का होता है और एक मनुष्य का 100 वर्षों का ! एक दृष्टिकोण से देखेंगे तो उसका 100 वर्षों का ही प्रतीत होगा ! इनके समय का निर्माण उसकी  कॉन्शसनेस दुनिया और वहां के क्रियाकलाप के अनुसार निर्धारित हुआ है ! इसी प्रकार सबका अलग-अलग निर्धारित होता है !
parihar


   *⛅     मां के गर्भ में जब आप अस्तित्व में आ रहे होते हैं तब आपका "समय" हृदय रूपी यंत्र के द्वारा अपने आप को प्रकट करता है ! इस प्रकार सभी मनुष्यों का समय उनके कॉन्शसनेस के अनुसार अलग-अलग निर्धारित होता है ! आप जो कुछ भी सोचते हैं , बोलते हैं , पूछते हैं , कोई कार्य करते हैं , किसी की सहायता करते हैं , किसी का मार्गदर्शन करते हैं , तो कभी खुद भूल करना ! यह सबकुछ आप स्वयं नहीं करते बल्कि "समय" ही है जो आपसे करवा रहा है ! प्रातः होने पर आप उठ जाते हैं क्योंकि उठने का "समय" हो जाता है ! जब आप भया नक स्थिति में होते हैं तब फाइट और फ्लाइट मोड में आ जाते हैं !  क्यों ??  उस दौरान आपको दो टाइमलाइन दिया जाता है जिसमें से किसी एक को चुनने का आपके पास श्ववतंत्र इच्छा होती है ! इसी प्रकार हमें अपने फिक्स्ड डेस्टिनी तक पहुंचाने के लिए अलग- अलग timeline  दिए जाते हैं , जिससे हमें अलग-अलग अनुभव लेने का मार्ग प्राप्त होता है ! यानी कि जब हम गलत होते हैं तब यह हम पर निर्भर करता है कि हम किसे चुने और फिर इस चुनावसे अच्छे या बुरे कर्म निर्धारित होते हैं !!
  *⛅    नोट :--   अब जब आप किसी टाइमलाइन को चुन लेते हैं तब आपकी यात्रा शुरू होती है ! उस यात्रा के दौरान आपका "समय" अनेक लोगों के समय से टकराता है यानी कि जब आप किसी से मिलते हैं तब आपका समय आपसे व्यक्त होकर उस 'समय' से टकराता है ! आप अपने जीवन में जितने लोगों से भी मिले हैं एक बार उनके बारे में विचार करके देखिए ! कोई तो ऐसा होगा ही जिसका प्रभाव आपके जीवन में अभी तक होगा ! ""मान लीजिए किसी व्यक्ति ने आपको कोई पाठ सिखाया था और आपकी पूरी दुनिया ही बदल गई "" ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि आप दोनों का "समय" उस वक्त टकराया था ! ठीक इसी प्रकार हम सबका समय आपस में टकराकर निरंतर प्रभावित हो रहा है , जिससे हर पल हमारे जीवन की दशा और दिशा बदल रही है ! उदाहरण के तौर पर आप मेरा यह लेख पढ़ रहे हैं ,,,, कोई तो कारण होगा ही जो "समय" आपको इस लेख के माध्यम से बताने का प्रयास कर रहा होगा ! लेख पढ़ने के बाद आपके पास दो मार्ग होंगे ! यदि आप सही अर्थ पकड़ लेते हैं तो सही दिशा में जाएंगे और गलत अर्थ पकड़ लेते हैं तो गलत दिशा में जाएंगे।! यह समय ही है जो अलग-अलग रूप लेकर प्रकट हो रहा है , छोटे जीवों के लिए अलग और हमारे लिए अलग ! यह ध+र्म की तरह व्यवहार करके आपस में टकरा रहा है और इसी प्रकार यह सृष्टि की संचालित हो रही है ,,जो हम सबको एक दूसरे से बांधकर माया का जाल बुन रहा है और इस मायावी भौतिक दुनिया को भी संचालित कर रहा है ! भौतिक दुनिया को तो परमात्मा ही संचालित कर सकते हैं !
seema


 अतः
इस प्रकार "समय" को समझने का अर्थ हुआ परमात्मा और उनके खेल को समझना !!
🚩जय श्री कृष्णा 🚩
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*


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