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कज्जली (सातुड़ी) तीज व्रत 22 अगस्त 2024 गुरुवार को

 कज्जली (सातुड़ी) तीज व्रत 22 अगस्त 2024 गुरुवार को

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हिंदू धर्म में तीज का विशेष महत्व है. भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया को कज्जली तीज या बड़ी तीज मनाई जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, घर की खुशहाली, और संतान सुख के लिए व्रत रखती हैं. वहीं, कुंवारी लड़कियां योग्य वर पाने के लिए इस व्रत को रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और समृद्धि बनी रहती है. साथ ही, संतान और परिवार की खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है। नागौर के सुप्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य मोहन राम जी एवं रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा ने बताया कि इस दिन माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। रात में चांद की पूजा करने का भी महत्व है। इस दिन हाथ में गेहूं के दाने और जल लेकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है.
इसके अलावा, राजस्थान में भाद्रपद कृष्ण तृतीया को सातुड़ी तीज भी मनाई जाती है।ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. इस दिन शादीशुदा महिलाएं और कुंवारी लड़कियां व्रत करती हैं और शाम के समय शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।
इसी कड़ी में स्त्रियों के सुख सौभाग्य वृद्धि के लिए श्रवण शुक्ला तीज(मधु श्रावणी का) भाद्रपद कृष्ण तीज( कज्जली) और भाद्रपद शुक्ल तीज हरतालिका व्रत का विशेष महत्व है ।जिसे गौरी व्रत रहते हैं। इसमें उमा महेश्वर का पूजन का विधान मुख्य है देशाचार के अनुसार अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग तीज का प्रचार है। यहां मारवाड़ में कजली (सातुड़ी)  तीज का व्रत विशेष रूप से मनाया जाता है।
इस वर्ष का निर्णय सागर के पंचांग में द्वितीय को कजली व्रत लिखा है। उससे भ्रम की स्थिति बन गई है। धर्मशास्त्र के अनुसार द्वितीय को व्रत सर्व था त्याज्य है।
इसके लिए एक सूत्र लिखा गया है।
द्वितीया शेष संयुक्ता, या करोति विमोहिता।।
सा वैधव्य मवाप्नोति प्रवदन्ति मनीषिणः ॥
चतुर्थी सहिता यातु सा तृतीया फलप्रदा।।   
अवैधव्य करा स्त्रीणां पुत्र पौत्र प्रवर्धिनी ।।
भाद्रस्य कज्जलीकृष्णा शुक्ला च हरितालिका ।।
शास्त्रानुसार मुहुर्त्तमात्र घड़ी की तृतीया ( परातिथि ) ग्राह्य ली गई है क्योंकि द्वितिया पितामह की और चतुर्थी पुत्र की तिथि है । अतः द्वितिया का योग निषेध और चतुर्थी का योग श्रेष्ट होता है यानि चतुर्थी युक्त तृतिया श्रेष्ट मानी गई है। अतः इस वर्ष तारीख
21-08-2024 बुधवार को सिंजारा होगा। एवं
22-8-2024 गुरुवार को सातूड़ी तीज एवं चतुर्थी व्रत मनाना श्रेष्ठ एवं शुभप्रद है।
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