जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग का निर्णय
*बीमा क्लेम की राशि नहीं देने पर एचडीएफसी लाइफ पर लगाया हर्जाना*
नागौर, 05 अगस्त, 2024// जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, नागौर ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बिना किसी ठोस चिकित्सकीय साक्ष्य के किसी के बीमा प्रस्ताव से पूर्व या बीमा प्रस्ताव के समय गंभीर बीमारी से मृत्यु का निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है एवं इस आधार पर बीमा क्लेम खारिज करना सेवादोष एवं अनुचित व्यापार व्यवहार का कृत्य है।
मामले के अनुसार खारड़ा कला, नावां निवासी श्रवणराम ने आयोग के समक्ष परिवाद पेश कर बताया कि उसकी पत्नी रतनी देवी ने एचडीएफसी लाइफ को प्रीमियम अदा कर अठारह लाख का बीमा करवाया। बीमा से पूर्व उसके पूर्ण स्वस्थ होने की चिकित्सकीय रिपोर्ट के आधार पर ही उसका बीमा प्रस्ताव स्वीकार किया गया। दुर्भाग्य से 07 अप्रेल, 2023 को अचानक रतनीदेवी का देहांत होने पर उन्होंने बीमा कम्पनी के यहां बीमादावा पेश किया, जिसे बीमा कम्पनी ने बीमा प्रस्ताव से पूर्व उसे गंभीर बीमारी होने का तथ्य छिपाने के आधार पर बीमा क्लेम देने से इंकार कर दिया।
*आयोग का निर्णय* आयोग के अध्यक्ष नरसिंह दास व्यास, सदस्य बलवीर खुडखुडिया व चन्द्रकला व्यास ने सुनवाई के बाद अपने निर्णय में कहा है कि बीमा प्रस्ताव से पूर्व या बीमा प्रस्ताव भरते समय बीमित मृतका श्रीमती रतनीदेवी किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित रही हो, ऐसा कोई चिकित्सकीय दस्तावेज बीमा कम्पनी प्रदर्श चिन्हांकित कराकर साबित नहीं करा पाई। ऐसे में उसे बीमा प्रस्ताव भरते समय किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होना नहीं माना जा सकता। अत: अब बीमा कम्पनी एचडीएफसी लाइफ, परिवादी श्रवणराम को उसकी बीमित पत्नी की मृत्यु उपरांत बीमा क्लेम राशि अठारह लाख रूपये एवं इस पर आयोग में परिवाद संस्थापन तिथि से भुगतान तक नौ प्रतिशत सालाना साधारण ब्याज दर सहित दो माह में अदा करें। साथ ही मानसिक वेदना एवं परिवाद व्यय के निमित्त पांच पांच हजार रूपये कुल दस हजार रुपए की राशि भी बीमा कम्पनी द्वारा परिवादी को अदा की जावेगी।