*पांच दिवसीय सनातन धर्म व ज्योतिष महा सम्मेलन श्री लंका में हुआ संपन्न*
रामायण पर हुए शोध पत्रों का वाचन,ज्योतिष पर हुए व्याख्यान,
विद्वत प्रतिभाओं को किया सम्मानितकोलंबो / श्रीलंका
25 से 29 जुलाई 2024 भगवान परशुराम राष्ट्रीय पंडित परिषद् ट्रस्ट द्वारा श्रीलंका में अंतरर्राष्ट्रीय सनातन धर्म व ज्योतिष महा सम्मेलन का आगाज *25 जुलाई को प्रथम दिवस* श्रीलंका के निमांगो स्थित भगवान मुरुगन (स्वामी कार्तिकेय) मंदिर में मंत्रोचार के साथ शुरू हुआ। साथ ही मानवरी (भगवान शंकर) मंदिर,रावण का किला, मुनेश्वरम मंदिरों में भ्रमण कर रामायण से जुड़े प्रसंगो पर शोध किया। *26 जुलाई द्वितीय दिवस* का आगाज श्रीलंका के ट्रैंकोमाली स्थित कोणेश्वरम मंदिर,में मंत्रोचार के साथ आगाज हुआ।उसके बाद 51शक्ति पीठों में एक शांकरी देवी शक्ति पीठ,(जहां सती की नूपुर गिरी थी),भगवान पद्मनाभ स्वामी,हर्बल गार्डन,चाय बागानों व अन्य मंदिरों में भ्रमण कर रामायण से जुड़े सभी स्थानों का पर्यटन कर शोध किया।तथा विदेशी धरा से सनातन संस्कृति को संजोया गया। तथा भारत सरकार को शोध पत्र सौंपा जाएगा। इस आयोजन में "मानव जीवन में प्रभु श्रीराम की प्रासंगिता,"रामायण में श्रीलंका का वर्णन, "ज्योतिष विषयों पर चयनित शोध पत्रों को पुस्तक में प्रकाशित किया जाएगा।
*27 जुलाई को तृतीय दिवस* चिन्मय आश्रम स्थित भक्त हनुमान मंदिर में सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ पूर्वक कार्यक्रम का आगाज हुआ।संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेश गौड़ ने बताया कि यह स्थान रामायण से जुड़े मेघनाथ द्वारा हनुमान जी को नाग फांस में बांधे ऐतिहासिक प्रसंग से जुड़ा है।उसके बाद जेम्स म्यूजियम में राशि रत्नों पर शोध किया।पंडित सुरेश गौड़ ने बताया कि ज्योतिष में राशि रत्नों का बड़ा महत्व है।ज्योतिषियों द्वारा ग्रहों के दुष्प्रभाव की शुभता हेतू राशि धारण की सलाह दी जाती है।उसके बाद अन्य मंदिरों में भ्रमण कर रामायण से जुड़े प्रसंगों पर शोध किया।
*28 जुलाई को चतुर्थ दिवस* सीता जी के अग्नि परीक्षा स्थल पर श्री सूक्त पाठ के मंत्रोचार पूर्वक कार्यक्रम का श्री गणेश हुआ। जहां से सीताजी के चरण रज(मिट्टी)का भाल पर तिलक लगाया। उसके बाद अशोक वाटिका में सीता मंदिर जहां सीता मां मंदिर स्थित रामदूत हनुमान पद चिन्ह मंदिर में सामूहिक रूप से रामायण का पाठ हुआ।संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेश गौड़ ने बताया कि यह स्थान रामायण से जुड़े सीता जी के अशोक वाटिका स्थित स्थल का पता लगाने आए हनुमान जी के पद चिन्ह मंदिर का है। जहां आज भी हनुमान जी के पद चिन्ह विद्यमान है।यह स्थल रामायण जुड़े ऐतिहासिक प्रसंग से जुड़ा है।
जिस पर शोध किया।पंडित गौड़ ने बताया कि इस स्थल पर माता सीता की गोदी में हनुमान जी ने भगवान राम की दी गई निशानी के रूप मुद्रिका डालकर देव भाषा संस्कृत में अपना परिचय दिया। जिसका वर्णन रामायण में उल्लेख मिलता है।पंडित गौड़ ने बताया कि संस्कृत का मानव समाज में बड़ा महत्व है।रामदूत हनुमान का संस्कृत के संरक्षण में अद्वितीय योगदान रहा।उसके बाद अन्य मंदिरों में भ्रमण कर रामायण से जुड़े स्थलों का भ्रमण कर शोध किया।
*29 जुलाई को पंचम दिवस* का श्री गणेश दीप प्रज्वलन व मंगलाचरण के साथ समारोह पूर्वक आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्रीलंका सरकार के निवृतमान शिक्षा मंत्री वेलु सामी राधाकृष्ण व अति विशिष्ट अतिथि श्री लंका सरकार के निवृतमान केंद्रीय राज्य मंत्री सिसीरा जयाकोडी थे।इस मौके मुख्य अतिथि वेलु सामी राधाकृष्ण ने कहा कि वर्तमान में सनातन संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता है। यहां रामायण से जुड़े स्थल आज ही विद्यमान है।उन्होंने रामायण से जुड़े स्थलों के शोध कार्य के लिए आए परिषद् ट्रस्ट के विद्वानों की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए संस्था के प्रयासों की सराहना की।उन्होंने सीता मां मंदिर के जीर्णोद्धार के व संरक्षण के लिए आह्वान किया।इस पर संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेश गौड़ ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए संस्था द्वारा 10 लाख रुपए देने की घोषणा की।इस राशि को ॐ शिव शंकर यात्रा संघ के संचालक श्याम चतुर्वेदी के माध्यम से देने के लिए प्रभारी नियुक्त किया। यह सीता मंदिर नुवारा एलिया (अशोक वाटिका)क्षेत्र में है।जहां सीता मां मंदिर स्थित रामदूत हनुमान पद चिन्ह मंदिर भी है। यह स्थान रामायण से जुड़े सीता जी के अशोक वाटिका स्थित स्थल का है।यह स्थल रामायण के ऐतिहासिक प्रसंग से जुड़ा है।जिस पर शोध किया।इस स्थल पर माता सीता की गोदी में हनुमान जी ने भगवान राम की दी गई निशानी के रूप में मुद्रिका डालकर देव भाषा संस्कृत में अपना परिचय दिया। जिसका वर्णन रामायण में उल्लेख मिलता है।संस्था के राष्ट्रीय संरक्षक बजरंगलाल शर्मा के सानिध्य में राष्ट्रीय संरक्षक डॉ.नरोत्तम पुजारी की अध्यक्षता में एवम संस्था की महिला प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय प्रभारी गुरुमाता ज्योति पुजारी के विशेष अतिथि में कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस मौके मुख्य वक्ता के रूप में कार्षणी डॉ.भरत महाराज,ज्योतिषाचार्य पंडित कौशल दत्त शर्मा ने सारगर्भित शोध पूर्ण पत्र वाचन कर व्याख्यान दिए।इस मौके संस्था के चंडीगढ़ प्रभारी डॉ.पंडित रोहित पंत,हरियाणा प्रभारी डॉ.बलजीत शास्त्री, यूपी प्रभारी डॉ,विनायक पुलह,राजस्थान प्रभारी हरिप्रसाद गौड़,प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. पुष्पदत्त दवे, म.प्र.महिला प्रकोष्ठ प्रभारी संगीता भट्ट, चूरू प्रभारी हेमेंद्र पारीक, गाजियाबाद प्रभारी कृष्ण कुमार शर्मा,एडवोकेट सुधा शर्मा, शिक्षाविद् सुषमा पाण्डेय ने शोध पत्रो का वाचन किया।इस मौके संस्था के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आचार्य सुरेश शर्मा को गत 30 वर्षो से ज्योतिष क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने व संस्था में सक्रिय योग दान देने पर *लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड* देकर सम्मानित किया।आचार्य ताराचंद शास्त्री ने बताया कि श्रीलंका में 5 दिन की रामायण यात्रा में अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन व विद्वत सम्मान समारोह आयोजित किया गया जिसमें तीन श्रेणी के सम्मान से विद्वानों को प्रशस्ति पत्र,दुपट्टा,स्मृति चिन्ह,गोल्ड मेडल से सम्मानित किया।संस्था के राष्ट्रीय महासचिव आचार्य ओपी शास्त्री ने बताया कि संस्था के 50 सदस्यों दल दिल्ली हवाई अड्डा से प्रस्थान कर श्रीलंका के भंडार नायके हवाईअड्डा (कोलंबो) पहुंचे। यहां श्रीलंका यात्रा में रामायण प्रसंगों से जुड़े सभी स्थानों का पर्यटन कर शोध किया गया।तथा विदेशी धरा से सनातन संस्कृति को संजोया गया।यह शोध पत्र भारत सरकार को शोध पत्र सौंपा जाएगा।
इस मौके संस्था के भारत,श्रीलंका,नेपाल,
जर्मनी के आए सदस्य मौजूद थे।इस रामायण यात्रा का प्रबंधन देश की प्रतिष्ठत यात्रा कंपनी ॐ शिव शंकर यात्रा संघ ने किया।साथ ही इसके संचालक श्याम चतुर्वेदी व गाइड विकास यादव की सराहनीय सेवाएं रही।