*हमारे जीवन में सावधानी हि सबसे बड़ी साधना - आचार्य श्री राधेश्याम शास्त्री*
नागौर रामपोल सत्संग भवन में रामनामी महंत मुरली राम महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे चातुर्मास सत्संग समारोह के दौरान धर्म सभा को संबोधित करते हुए कथावाचक आचार्य श्री राधेश्याम शास्त्री महाराज वृंदावन वाले ने कहा कि जियो भगवान का अंश है आनंद स्वरूप चेतन विकार रहित है जीव का प्रभाव नित्य निरंतर नदी के समान होना चाहिए जितनी सारी नदियां हैं पहाड़ों से निकलते हैं और चलते-चलते समुद्र में लीन हो जाती हैं हम आपको नदियों से सीख लेना चाहिए जैसे नदियों का उद्गम ऊंचाई से प्रगट होकर समुद्र में लीन हो जाती है इस प्रकार जीव अंत में भगवान में लीन हो जाते हैं लेकिन हमारे जीवन में समस्या क्या है कि हम चलते-चलते रुक जाते हैं जरा सा कहीं सुख देखा धन का सुख परिवार का सुख बस उसे सुख में डूब जाते हैं इसी सुख के कारण हम परमात्मा को भूल जाते हैं जीव तो आनंद स्वरूप है आनंद की खोज में भटकता है लेकिन आनंद नहीं मिलता है सुख मिलता है हमारे जीवन में सुख टिकाऊ नहीं है सुख मिला है तो दुख निश्चित है जब जीवन में दुख आता है तो पुरानी पुरानी बातें याद आती है हम पछताते हैं यदि सुखों में संसार की आसक्ति में नहीं भटकते तो अब तक हम समुद्र में लेने हो जाते हैं माना कि परमात्मा मिल जाते हमें कितने-कितने जन्म भटकना पड़े लेकिन हमारे कर्मों के प्रभाव में जरा सी चौक होने पर कितने-कितने जन्म भटकते हैं यह हमारी असावधानी का कारण है हमारे जीवन में सावधानी ही सबसे बड़ी साधना है रामपोल मे कल 26 अगस्त को रामनामी महंत मुरलीराम महाराज के पावन सानिध्य में चातुर्मास के दौरान श्री दरियाव जी महाराज का जन्मोत्सव बडी धुमधाम के साथ मनाया जाएगा इस मौके पर नन्दकिशोर बजाज, नंदलाल प्रजापत, कांतिलाल कसारा,मांगीलाल लौहीया, राजाराम राठी, सहित अनेक भक्त जन मौजूद रहे l