🗓आज का पञ्चाङ्ग🗓
*⛅दिनांक - 26 जुलाई 2024*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2081*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - षष्ठी रात्रि 11:29:49 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद दोपहर 02:29 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - सुकर्मा रात्रि 01:30:43 जुलाई 27 तक तत्पश्चात धृति*
*⛅राहु काल-हर जगह का अलग है- प्रातः 11:07 से दोपहर 12:46 तक*
*⛅चन्द्र राशि ~ मीन*
*⛅सूर्य राशि ~ कर्क*
*⛅सूर्योदय - 05:57:15*
*⛅सूर्यास्त - 07:25:41*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:14 तक*
*⛅ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 01:09*
*⛅निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:31 जुलाई 27 से रात्रि 01:03 जुलाई 27 तक*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - सर्वार्थ सिद्धि योग एवं अमृत सिद्धि योग (दोपहर 02:30 जुलाई 26 से प्रातः 06:08 जुलाई 27 तक)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती फल खाने या दातुन मुंह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
👌❤️ चोघडिया, दिन❤️👌
चर 05:57 - 07:38 शुभ
लाभ 07:38 - 09:19 शुभ
अमृत 09:19 - 11:00 शुभ
काल 11:00 - 12:41 अशुभ
शुभ 12:41 - 14:23 शुभ
रोग 14:23 - 16:04 अशुभ
उद्वेग 16:04 - 17:45 अशुभ
चर 17:45 - 19:26 शुभ
👌❤️ चोघडिया, रात ❤️👌
रोग 19:26 - 20:45 अशुभ
काल 20:45 - 22:04 अशुभ
लाभ 22:04 - 23:23 शुभ
उद्वेग 23:23 - 24:42 अशुभ
शुभ 24:42 - 26:01 शुभ
अमृत 26:01 - 27:20 शुभ
चर 27:20 - 28:39 शुभ
रोग 28:39 - 29:58 अशुभ
👉मंगल का मुख्य दोष क्या है
👌❤️अकेला मंगल कभी तलाक नहीं करवाता 👈
मांगलिक दोष पर कैसे विचार करना चाहिए।
इस पर विचार करते हैं।
जो मैंने अपने चिंतन मनन और अनुभव में पाया है उसको आप लोगों के सामने रख रहे हैं ।
अब गलत है या सही इसकी हम गारंटी नहीं लेते।
हम कोई बड़े विद्वान नहीं है जो अनुभव प्राप्त करते हैं आप लोगों के सामने रख देते हैं ।
जरूरी नहीं आप हमारी बात से सहमत हो।
सहमत असहमति अपनी-अपनी होती है उसमें मुझे कोई बुराई नहीं है।
👉❤️मंगल गर्म ग्रह है। अग्नि तत्वों का ग्रह है अखंड ऊर्जावान है जब ऊर्जा अनियंत्रित हो जाती है।
तो विनाशक हो जाती है ।
ऊर्जा सहनशक्ति के बाहर हो जाती है तो विनाशक हो जाती है यही इसका सबसे बड़ा अवगुण है।
और नियंत्रित ऊर्जा होने पर यह सर्वाधिक शुभकारी फल देने में समर्थ होता है ❤️👌
इसको यदि परमाणु ऊर्जा से तुलना करें।
तो इसका विवेचन ज्यादा अच्छी तरह से समझ में आ सकता है।
हर ग्रह का नैसर्गिक प्रभाव होता है और नैसर्गिक प्रभाव पूरी तरह से कभी खत्म नहीं हो सकता उसमें परिवर्तन अवश्य हो सकता है।
✍️❤️इसका प्रमुख अवगुण है।
जहां बैठेगा और जहां दृष्टि डालेगा।
कौन जीव कारकों का गर्म मिजाज होगा।❤️
वह जल्दबाज होंगे अचानक आवेश में आ जाएंगे तुरंत प्रतिक्रिया देंगे पूरी बात बिना सुने जवाब दे देंगे
अब इस स्वभाव के कारण यदि कोई घटना घटती है तो घट जाए ❤️👌
इसीलिए ज्योतिष में लग्न चतुर्थ सप्तम अष्टम और द्वादश भाव में बैठे हुए मंगल को मांगलिक दोष बताया गया है।
दक्षिण भारत में द्वितीय भाव के मंगल को भी मांगलिक दोष के अंतर्गत गिना जाता है ।
क्योंकि इन स्थानों पर बैठने के कारण जहां मंगल बैठा है और जहां उसकी दृष्टि है वहां के जीव कारक मंगल के गुनो से प्रभावित होंगे।
👌और यदि शत्रु भाव पर मंगल बैठेगा या उसकी दृष्टि होगी तो उसे भाव में अधिक बेचैनी पैदा होगी👌
विपरीत स्वभाव के कारण वहां के जीव कारक को अपने क्रोध के अनियंत्रित होने के कारण अधिक कष्ट भोगना पड़ेगा।
मंगल की गर्मी सहन न करने के कारण मंगल से संबंधित रोगों का भी सामना करना पड़ सकता है ।
यह अलग-अलग कुंडली की अलग-अलग स्थित है।
👌✍️घोषित मांगलिक स्थान के अलावा अन्य स्थानों पर बैठे हुए मंगल का भी प्रभाव हमने मांगलिक दोष की तरह देखा है।❤️👌
❤️👌जैसे दशम भाव में बैठे हुए मंगल को बहुत ही अधिक शुभ कारी माना गया है। क्योंकि ऐसा व्यक्ति बहुत अधिक कर्मठ होता है।
इसलिए जीवन में अत्यधिक उन्नति भी करता है❤️👌
❤️👌लेकिन दशम भाव में बैठे हुए मंगल की दृष्टि लग्न चतुर्थ और पंचम भाव तीनों जगह होती है यदि इन्हीं स्थानों पर सप्तम का स्वामी भी बैठा हो और कहीं चंद्रमा भी बैठा हो तो सप्तम भाव का स्वामी यानी आपके जीवनसाथी का स्वभाव भी उग्र हो जाएगा और आपका स्वभाव भी उग्र हो जाएगा और दोनों में तू तू में होगी
अब यदि शनि और शनि और राहु जैसे ग्रहों का प्रभाव भी इनमें सम्मिलित हो जाए तो यह तलाक भी करवा देते हैं
🙏अकेले मंगल तलाक नहीं करवाता ✍️
मंगल का कार्य ना तो तलाक करवाना है
ना जीवन साथी को मृत्यु देना है ।अब उसके स्वभाव के कारण और साथ में कोई अन्य ग्रहों का दुष्प्रभाव भी जुड़ जाए तो तलाक जैसी घटना या जीवनसाथी की मृत्यु की घटना हो सकती है/
अकेला मंगल केवल आपके स्वभाव को उग्र बनाकर आपको आपके जीवन में आवेश में आकर गलत निर्णय लेने के लिए बाध्य कर सकता है ।
दूसरे लोगों के साथ बदतमीजी करने के लिए बाध्य कर सकता है।
इसके कारण जो नुकसान हो ।
वह किसी भी रूप में आ सकते हैं।
इसलिए जब मांगलिक दोष पर विचार करें।
तब देखना यह है कि मंगल के स्वभाव से जो परेशानी पैदा होती हैं।
वह परेशानी किस ग्रह के योग के कारण कम हो रहे हैं और किस ग्रह के योग के कारण बढ़ रही हैं ।
जैसे जब मंगल के ऊपर गुरु का प्रभाव जाएगा
तो गुरु अपने ज्ञान के द्वारा मंगल की अनियंत्रित ऊर्जा को नियंत्रित करने की कोशिश करेगा।
लेकिन पूरी तरह से नहीं कर पाएगा ।
यदि उसे सोचने समझने का समय मिलेगा ।
तब गुरु का प्रभाव उसे पर कम करेगा और उसने जल्दबाजी में कोई उत्तर दे दिया तो वह मंगल का ही उत्तर होगा उसमें गुरु का प्रभाव नहीं होगा। ✍️❤️
लेकिन यदि गुरु के ऊपर मंगल का प्रभाव हुआ तो गुरु से संबंधित जीव कारक भी अपने ज्ञान में उत्तेजना का समावेश पाएंगे ऐसा नहीं होता है कि केवल गुरु का प्रभाव मंगल पर जाएगा मंगल का प्रभाव गुरु पर नहीं जाएगा।
निष्कर्ष
हमको केवल इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि मंगल जहां बैठा है ।
और जहां दृष्टि डाल रहा है ।
उसके कारण उस भाव का कितना नाश हो रहा है ।
और कितना बचाव हो रहा है
❤️✍️और इसको केवल स्वभाव के ऊपर होने वाले परिवर्तन के रूप में ही ज्यादा देखें। ❤️👌
जब यह राहु के प्रभाव में आ जाता है तो अधिक उग्र हो जाता है
❤️👌जब यह चंद्रमा से संबंध बनाता है।
तो जातक के मन में क्रोध की उत्पत्ति करता है
इसीलिए चंद्रमा से मंगल को मांगलिक माना जाता है❤️
जब यह शुक्र से संबंध बनाता है तो आपका दांपत्य जीवन में गर्मी प्रदान करता है अब कितनी और किस प्रकार का प्रभाव होगा यह अन्य ग्रहों पर आधारित होगा
👌❤️इसलिए मंगल का प्रमुख दोष है
❤️ क्रोध और आवेश ❤️
यह खुराफात करने वाला ग्रह नहीं है आक्रमण करने वाला ग्रह है
जब इसके साथ किसी खुराफात वाले ग्रह का संबंध बनता है।
तो यह चोर डकैत जैसे कार्य करता है ।
और यदि इसी पर अच्छा प्रभाव बनता है और कुंडली में राजयोग बनता है तो यह पुलिस अधिकारी के योग भी बनता है।
मंगल और राहु की युति भी डाकू के की कुंडली में भी पाई जाती है ।
और पुलिस अधिकारियों की कुंडली में भी पाई जाती है।
कुछ पुलिस अधिकारी डकैतों से काम नहीं होते कुछ ज्यादा ही होते हैं।
👌❤️ लेकिन लग्न पर चंद्रमा पर और चतुर्थ भाव पर ग्रहों के प्रभाव का अंतर इनको अलग-अलग लाइन में ले जाता है❤️👌
पुलिस अधिकारी के लिए भी तुरंत आक्रामक होने की आवश्यकता होती है।
और वही लक्षण डकैत का भी होता है ।
तो मंगल राहु की युति दोनों के लिए उपयोगी है। लेकिन अलग-अलग स्वभाव के व्यक्तियों के लिए यह अलग-अलग प्रकार के कार्य करती है ।
👌❤️और किसी भी व्यक्ति के स्वभाव को जचने के लिए लग्न चंद्र और चतुर्थ भाव को जांचना आवश्यक होता है 👌❤️
यदि स्वभाव व्यक्ति का अच्छा है।
और मंगल राहु की युति होगी तो व्यक्ति उसे अनियंत्रित ऊर्जा का भी सदुपयोग करेगा ।
आपने देखा होगा आईआईटी के इंजीनियर भी आतंकवादी बन जाते हैं
धन्यवाद जितना लिखो उतना कम है पूरा तो हो नहीं पाता इसलिए इसको यहीं विराम देते हैं
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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