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पंचांग - 22-07-2024

 *🌤️ ~आज का पंचांग~🌤️*
  *🌤️*दिनांक ~22 जुलाई 2024*
🌤️ *दिन ~ सोमवार*
🌤️ *विक्रम संवत ~ 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार  2080)*
🌤️ *शक संवत ~1946*

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🌤️ *अयन ~ दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु ~ वर्षा ॠतु*
🌤️ *मास  ~आषाढ*
🌤️ *पक्ष ~ शुक्ल*
🌤️ *तिथि ~ प्रथम    13:11:04 शाम  तक तत्पश्चात  द्वितीय*
🌤️ *नक्षत्र  ~     श्रवण    22:20:04 तक तत्पश्चात धनिष्ठा    *
🌤️ *योग ~     प्रीति    17:56:52 तक पश्चात     आयुष्मान*
🌤️ *करण        कौलव    13:11:04 पश्चात गर*
🌤️ *चन्द्र राशि~       मकर    *
🌤️ *सूर्य राशि~       कर्क*
🌤️*राहुकाल~हर जगह का अलग है- सुबह 07:37से सुबह 09:18 तक*
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🌞 *सूर्योदय~05:55:10*
🌤️ *सूर्यास्त~ 19:27:41*

*🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*अमृत    05:55 - 07:37    शुभ*
*काल    07:37 - 09:18    अशुभ*
*शुभ    09:18 - 10:59    शुभ*
*रोग    10:59 - 12:41    अशुभ*
*उद्वेग    12:41 - 14:23    अशुभ*
*चर    14:23 - 16:05    शुभ*
*लाभ    16:05 - 17:46    शुभ*
*अमृत    17:46 - 19:28    शुभ*

 *🌷~चोघडिया, रात~🌷*
*चर    19:28 - 20:46    शुभ*
*रोग    20:46 - 22:05    अशुभ*
*काल    22:05 - 23:23    अशुभ*
*लाभ    23:23 - 24:42    शुभ*
*उद्वेग    24:42 - 26:00    अशुभ*
*शुभ    26:00 - 27:19    शुभ*
*अमृत    27:19 - 28:37    शुभ*
*चर    28:37 - 29:56    शुभ*
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👉 *दिशाशूल - पूर्व दिशा मे*
🌤️ *ब्रह्म मुहूर्त    04:31 ए एम से 05:12 ए एम*
🌤️ *अभिजित मुहूर्त~    12:14 पी एम से 01:09 पी एम*
🌤️ *निशिता मुहूर्त~    12:21 ए एम, जुलाई 23 से 01:03 ए एम, जुलाई 23*
🌤️*आज का विशेष: सावन विशेष:*
भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं सावन में विशेष महत्व है।
सावन का शुभारंभ  आज ही यानि 22 जुलाई २०२४  से होने गया है. सावन में लोग . शिव मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है. शिवलिंग की पूजा का क्या महत्व है और उससे क्या लाभ होते हैं, इसके बारे में शिव पुराण में बताया गया है.
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इस साल सावन महीने का शुभारंभ  सावन में लोग भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं. शिव मंदिरों में शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है, रुद्राभिषेक भी करते हैं. पवित्र नदियों का जल शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. सावन के अलावा आप पूरे साल भी शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं. सावन में शिव पूजा का महत्व इसलिए अधिक होता है क्यों​​​कि श्रावण मास भोलेनाथ का प्रिय माह है. शिवलिंग की पूजा का क्या महत्व है और उससे क्या लाभ होते हैं, इसके बारे में शिव पुराण में बताया गया है.


शिवलिंग का महत्व
शिव पुराण के अनुसार, हर व्यक्ति के कीर्तन, श्रवण और मनन करना पाना आसान नहीं होता है. इसके लिए योग्य गुरु की आवश्यकता होती है. गुरु के मुख से ​निकलने वाली वाणी व्यक्ति के शंकाओं का समाधान करती है. गुरु जिस प्रकार से शिव तत्व का वर्णन करते हैं, उसी प्रकार से व्यक्ति को शिव के रूप-स्वरूप दर्शन, गुण आदि का पता चलता है. तभी भक्त कीर्तन कर पाता है.

श्रावण मास में खास है पार्थिव शिवलिंग की पूजा, जानें अर्थ, बदल जाता है भाग्य!

यदि ऐसा कर पाना संभव न हो तो भक्त को चाहिए कि वह भगवान शंकर के शिवलिंग और मूर्ति की स्थापना करके रोज उनकी पूजा करें. ऐसा करके वह इस संसार सागर से पार हो सकता है. कलापूर्ण भगवान शिव की ​मूर्ति की पूजा करने की आज्ञा वेदों में भी दी गई है. अन्य देवी-देवताओं की मूर्ति की पूजा होती है, जबकि भगवान शिव के शिवलिंग और ​मूर्ति दोनों की ही पूजा करते हैं.


शिवलिंग का प्रकाट्य भगवान शिव के ब्रह्मरूपता का बोध कराने के लिए हुआ. शिवलिंग शिव जी का स्वरूप है और वह उनके सामीप्य की प्राप्ति कराने वाला है.

शिवलिंग पूजा के फायदे
शिव पुराण में भगवान शिव ब्रह्म देव और भगवान विष्णु से कहते हैं ​कि लिंग रुप में प्रकट होकर वे काफी बड़े हो गए थे. अत: लिंग के कारण यह भूतल ‘लिंग स्थान’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ. संसार के लोग इसका दर्शन और पूजन कर सकें, इसलिए यह अनादि और अनंत ज्योति स्तंभ या ज्योतिर्मय लिंग अत्यंत छोटा हो जाएगा.

उन्होंने बताया कि यह ज्योतिर्मय लिंग सभी प्रकार के भोग उपलब्ध कराने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला एकमात्र साधन है. इसका दर्शन, स्पर्श और ध्यान जीवों को जन्म और मरण के कष्ट से मुक्ति देने वाला है.
​शिवलिंग जहां पर प्रकट हुआ, उस स्थान को अमर स्थान के नाम से जाना जाएगा, जहां बड़े—बड़े तीर्थ प्रकट होंगे. उस स्थान पर रहने या मृत्यु को प्राप्त करने से जीवों को मोक्ष प्राप्त होगा.

जो भी व्यक्ति शिवलिंग की स्थापना करके उसकी पूजा करता है, उसे शिव की समानता की प्राप्ति हो जाती है. वह अपने आराध्य के साथ एकत्व का अनुभव करता हुआ संसार सागर से मुक्त हो जाता है. वह जब जीवित रहता है तो परमानंद की अनुभूति करता हुआ शरीर का त्याग करके शिव लोक प्राप्त करता है अर्थात् वह शिव के स्वरूप वाला हो जाता है.



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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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