*🌤️ ~आज का पंचांग~🌤️*
🌤️ *दिनांक ~18 जुलाई 2024*
🌤️ *दिन ~ गुरुवार*
🌤️ *विक्रम संवत ~ 2081 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2080)*
🌤️ *शक संवत ~1946*
🌤️ *ऋतु ~ वर्षा ॠतु*
🌤️ *मास ~आषाढ*
🌤️ *पक्ष ~ शुक्ल*
🌤️ *तिथि ~ द्वादशी 20:43:56 शाम तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
🌤️ *नक्षत्र ~ ज्येष्ठा 27:24:21 तक तत्पश्चात मूल*
🌤️ *योग ~ शुक्ल 06:11:32 तक पश्चात ऐन्द्र*
🌤️ *करण बव 08:58:57 पश्चात कौलव 08:17:42*
🌤️ *चन्द्र राशि वृश्चिक till 27:24:21*
🌤️ चन्द्र राशि धनु from 27:24:21*
🌤️ *सूर्य राशि~ कर्क *
🌤️ *राहुकाल~हर जगह का अलग है- सुबह 02:23से सुबह 04:05 तक*
🌞 *सूर्योदय~05:53:08*
🌤️ *सूर्यास्त~ 19:29:21*
👉 *दिशाशूल - दक्षिण दिशा मे*
🌤️ *ब्रह्म मुहूर्त 04:29 ए एम से 05:10 ए एम*
🌤️ *अभिजित मुहूर्त~ 12:14 पी एम से 01:09 पी एम*
🌤️ *निशिता मुहूर्त~ 12:21 ए एम, जुलाई 19 से 01:02 ए एम, जुलाई 19*
🌤️ *व्रत विशेष:गुरु प्रदोष व्रत पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 18 जुलाई को रात 8:43:56 पीएम पर होगा और अगले दिन यानी 19 जुलाई 2024 को रात 07 बजकर 40:53 मिनट पर समाप्त होगा। इसलिए शिवपूजा के मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए 18 जुलाई को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा।*
*🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*शुभ 05:53 - 07:35 शुभ*
*रोग 07:35 - 09:17 अशुभ*
*उद्वेग 09:17 - 10:59 अशुभ*
*चर 10:59 - 12:41 शुभ*
*लाभ 12:41 - 14:23 शुभ*
*अमृत 14:23 - 16:05 शुभ
*काल 16:05 - 17:47 अशुभ*
*शुभ 17:47 - 19:29 शुभ*
*🌷~चोघडिया, रात~🌷*
*अमृत 19:29 - 20:47 शुभ*
*चर 20:47 - 22:05 शुभ*
*रोग 22:05 - 23:23 अशुभ*
*काल 23:23 - 24:42 अशुभ*
*लाभ 24:42 - 25:59 शुभ*
*उद्वेग 25:59 - 27:18 अशुभ*
*शुभ 27:18 - 28:36 शुभ*
*अमृत 28:36 - 29:54 शुभ*
*🌷शनि ग्रह का स्वरूप भाग 1
पुराणों के अनुसार शनि का जन्म सूर्य की दूसरी पत्नी छाया के गर्भ से हुआ था ।
भारतीय ज्योतिष के मतानुसार इसका व्यास71500 और दूसरे मत के अनुसार 74932 मील है।
यह अपनी दूरी पर 10.5 घंटे में घूमता है।
सूर्य की परिक्रमा करने में इसे प्रायः 29.5 वर्ष का समय लगता है ।
सामान्यतः यह एक राशि में प्राय: ढाई वर्ष तक भ्रमण करता है। सूर्य के समीप पहुंचने पर इसकी गति 60 मील प्रति घंटा ही रह जाती है।
अत्यंत मंद गति से चलने के कारण इसका नाम मंद तथा शनिश्चर पड़े हैं ।
यह आकाश मंडल का सबसे सुंदर ग्रह है।
इसके चारों ओर तीन बलय कंकड़ जैसे चौड़े ,परंतु एक दूसरे से अलग रहने वाले गोल चक्र है शनि अपने इन बलयो के साथ ही आकाश में भ्रमण करता है।
यह ग्रह अधिक चमकीला नहीं है।
तथापि अपनी नीली आभायुक्त झिलमिलाती चमक के कारण यह दर्शक के मन को मुग्ध कर देता है।
अन्य ग्रहों की तुलना में यह बहुत हल्का तथा बृहस्पति की तुलना में अधिक ठंडा है।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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