*🌷~पंचांग~🌷*
*🌷दिनांक ~03 जुलाई 2024*
*🌷दिन~ बुधवार*
*🌷विक्रम संवत् ~2081*
*🌷अयन ~उत्तरायण*
*🌷ऋतु ~ग्रीष्म*
*🌷मास ~ आषाढ़*
*🌷पक्ष ~ कृष्ण पक्ष*
*🌷तिथि ~द्वादशी 07:09:49 तत्पश्चात त्रयोदशी 05:53:31*
*🌷नक्षत्र ~ रोहिणी 28:06:25 तत्पश्चात मृगशीर्षा*
*🌷योग~ शूल 09:00:21 तत्पश्चात गण्ड*
*🌷करण~ तैतुल 07:09:49 तत्पश्चात वृद्वि *
*🌷चन्द्र राशि वृषभ *
*🌷सूर्य राशि ~ मिथुन*
*🌷राहु काल ~ हर जगह का अलग है-
दोपहर बाद: 12:39से 02:23 पी एम तक*
*🌷सूर्योदय ~ 05:46:18:*
*🌷सूर्यास्त ~ 07:32:25*
*🌷दिशा शूल ~ उत्तर दिशा में*
*🌷ब्राह्ममुहूर्त ~ प्रातः 04:23 से 05:04 तक*
*🌷अभिजीत मुहूर्त ~ कोई नहीं*
*🌷निशिता मुहूर्त~ रात्रि १२:१९ july 0४ से रात्रि 0१:०० july 03 तक*
*🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*लाभ 05:46 - 07:30 शुभ*
*अमृत 07:30 - 09:13 शुभ*
*काल 09:13 - 10:56 अशुभ*
*शुभ 10:56 - 12:39 शुभ*
*रोग 12:39 - 14:23 अशुभ*
*उद्वेग 14:23 - 16:06 अशुभ*
*चर 16:06 - 17:49 शुभ*
*लाभ 17:49 - 19:32 शुभ*
*🌷~चोघडिया,रात~🌷*
*उद्वेग 19:32 - 20:49 अशुभ*
*शुभ 20:49 - 22:06 शुभ*
*अमृत 22:06 - 23:23 शुभ*
*चर 23:23 - 24:40 शुभ*
*रोग 24:40 - 25:56 अशुभ*
*काल 25:56 - 27:13 अशुभ*
*लाभ 27:13 - 28:30 शुभ*
*उद्वेग 28:30 - 29:47 अशुभ*
*🪷🚩जय श्री सीताराम*🚩🪷
*💐मित्रों, तारीख 03 जुलाई 2024 दिन बुधवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष कि द्वादशी 07:09:49तिथि है। आज त्रयोदशी का पावन व्रत है।।*
*💐पुराणों के मुताबिक, सूर्य देव हर सुबह अपने रथ पर सवार होकर पूर्व दिशा से दिन का प्रकाश लेकर आते हैं. सूर्य के रथ में सात घोड़े होते हैं जिनके नाम हैं- गायत्री, भ्राति, उस्निक, जगति, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति. शास्त्रों के मुताबिक, ये सात घोड़े सप्ताह के सातों दिनों को दर्शाते हैं. सूर्य के रथ में एक ही पहिया होता है जिसे संवत्सर कहा जाता है*
*💐साधना, ध्यान, मन्त्र जप आदि के नियम
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*💐👉 जिस आसन पर आप अनुष्ठान, पूजा या साधना करते है उसे कभी पैर से नहीं सरकाना चाहिए, कुछ लोगो कि आदत होती है कि आसन पर बैठने के पहले खड़े खड़े ही आसन को पैर से सरका कर अपने बैठने के लिए व्यवस्थित करते है, ऐसा करने से आसन दोष लगता है और उस आसन पर कि जाने वाली साधनाये सफल नहीं होती है,अतः आसन को केवल हाथो से ही बिछाये।
*💐👉 अपनी जप माला को कभी खुटी या कील पर न टांगे, इससे माला कि सिद्धि समाप्त हो जाती है, जप के पश्चात् या तो माला को किसी डिब्बी में रखे,गौ मुखी में रखे या किसी वस्त्र आदि में भी लपेट कर रखी जा सकती है, जिस माला पर आप जाप कर रहे है उस पर किसी अन्य कि दृष्टि या स्पर्श न हो इसलिए उसे साधना के बाद वस्त्र में लपेट कर रखे, इससे वो दोष मुक्त रहेगी, साथ ही कुछ लोगो कि आदत होती है जिस माला से जप करते है उसे ही दिन भर गले में धारण करके भी रहते है, जब तक किसी साधना में धारण करने का आदेश न हो जप माला को कभी धारण ना करे।
*💐👉 साधना के मध्य जम्हाई आना,छिक आना,गैस के कारन वायु दोष होना,इन सभी से दोष लगता है, और जाप का पुण्य क्षीण होता है। इस दोष से मुक्ति हेतु आप जप करते समय किसी ताम्र पात्र में थोडा जल तथा कुछ तुलसी पत्र डालकर रखे, जब भी आपको जम्हाई या छीक आये या वायु प्रवाह कि समस्या हो,तो इसके तुरंत बाद पात्र में रखे जल को मस्तक तथा दोनों नेत्रो से लगाये इससे ये दोष समाप्त हो जाता है साथ ही साधको को नित्य सूर्य दर्शन कर साधना में उत्पन्न हुए दोषो कि निवृति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। इससे भी दोष समाप्त हो जाते है, साथ ही यदि साधना काल में हल्का भोजन लिया जाये तो इस प्रकार कि समस्या कम ही उत्पन्न होती है।
*💐👉 ज्यादातर देखा जाता है कि कुछ लोग बैठे बैठे बिना कारन पैर हिलाते रहते है या एक पैर के पंजे से दूसरे पैर के पंजे या पैर को आपस में अकारण रगड़ते रहते है ऐसा करने से साधको को सदा बचना चाहिए, क्युकी जप के समय आपकी ऊर्जा मूलाधार से सहस्त्रार कि और बढ़ती है परन्तु सतत पैर हिलाने या आपस में रगड़ने से वो ऊर्जा मूलाधार पर पुनः गिरने लगती है क्युकी आप देह के निचले हिस्से में मर्दन कर रहे है और ऊर्जा का सिद्धांत है जहा अधिक ध्यान दिया जाये ऊर्जा वहाँ जाकर स्थिर हो जाती है इसलिए ही तो कहा जाता है कि जप करते समय आज्ञा चक्र या मणिपुर चक्र पर ध्यान लगाना चाहिए। अतः अपने इस दोष को सुधारे।
*💐👉 साधना काल में अकारण क्रोध करने से बचे,साथ ही यथा सम्भव मौन धारण करे और क्रोध में अधिक ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने से बचे इससे संचित ऊर्जा का नाश होता है और सफलता शंका के घेरे में आ जाती है।
*💐👉 साधक जितना भोजन खा सकते है उतना ही थाली में ले यदि आपकी आदत है अन्न जूठा फेकने कि है तो इस आदत में सुधार करे क्युकी अन्नपूर्णा शक्ति तत्त्व है, अन्न जूठा फेकने वालो से शक्ति तत्त्व सदा रुष्ट रहता है और शक्ति तत्त्व कि जिसके जीवन में कमी हो जाये वो साधना में सफल हो ही न नहीं सकता है क्युकी शक्ति ही सफलता का आधार है।
*💐👉 हाथ पैर कि हड्डियों को बार बार चटकाने से बचे ऐसा करने वाले व्यक्ति अधिक मात्रा में जाप नहीं कर पाते है क्युकी, उनकी उंगलिया माला के भार को अधिक समय तक सहन करने में सक्षम नहीं होती है और थोड़े जाप के बाद ही उंगलिओ में दर्द आरम्भ हो जाता है साथ ही पुराणो के अनुसार बार बार हड्डियों को चटकाने वाला रोगी तथा दरिद्री होता है अतः ऐसा करने से बचे ।
*💐👉 मल त्याग करते समय बोलने से बचे,आज के समय में लोग मल त्याग करते समय भी बोलते है, गाने गुन गुनाते है, गुटखा खाते है, या मोबाइल से बाते करते है आपकी आदत ऐसी है तो ये सब करने से बचे क्युकी ऐसा करने से जिव्हा संस्कार समाप्त हो जाता है और ऐसी जिव्हा से जपे गए मंत्र कभी सफल नहीं होते है। आयुर्वेद तथा स्वास्थ्य कि दृष्टि से भी ऐसा करना ठीक नहीं है
अतः ऐसा ना करे।
*💐👉 यदि आप कोई ऐसी साधना कर रहे है, जिसमे त्राटक करने का नियम है तो आप नित्य बादाम के तैल कि मालिश अपने सर में करे और नाक के दोनों नथुनो में एक एक बूंद बादाम का तेल डाले। इससे सर में गर्मी उत्पन्न नहीं होगी और नेत्रो पर पड़े अतिरक्त भार कि थकान भी समाप्त हो जायेगी। साथ ही आवला या त्रिफला चूर्ण का सेवन भी नित्य करे तो सोने पर सुहागा।
*💐👉 जप करते समय अपने गुप्तांगो को स्पर्श करने से बचे साथ ही माला को भूमि से स्पर्श न होने दे , यदि आप ऐसा करते है तो जाप कि तथा माला कि ऊर्जा भूमि में समा जाती है ।
*💐👉 जब जाप समाप्त हो जाये तो आसन से उठने के पहले आसन के निचे थोडा जल डाले और इस जल को मस्तक तथा दोनों नेत्रो पर अवश्य लगाये। ऐसा करने से आपके जप का सफल होता है।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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