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पंचांग - 24-06-2024

 *🌷~पंचांग~🌷*

jyotish


   *🌷दिनांक ~24 जून 2024*
   *🌷दिन~ सोमवार*
   *🌷विक्रम संवत् ~2081*
   *🌷अयन ~उत्तरायण*
   *🌷ऋतु ~ग्रीष्म*
   *🌷मास ~ ज्येष्ठ*
   *🌷पक्ष ~ शुक्ल*
   *🌷तिथि ~     तृतीया    01:22:32 रात्रि तत्पश्चात चतुर्थी *
   *🌷नक्षत्र ~              उत्तराषाढा    15:53:01 तत्पश्चात             श्रवण*
  *🌷योग~              ऐन्द्र    11:50:02 तत्पश्चात वैधृति*
  *🌷करण~                वणिज    14:25:29 तत्पश्चात     बव*
  *🌷चन्द्र राशि       मकर*
  *🌷सूर्य राशि    ~   मिथुन*
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  *🌷राहु काल ~ हर जगह का अलग है-  दोपहर बाद: 07:27से  09: 10पी एम तक*
  *🌷सूर्योदय ~ 05:43:15*
  *🌷सूर्यास्त ~ 07:31:53*
  *🌷दिशा शूल ~ पूर्व दिशा में*
  *🌷ब्राह्ममुहूर्त ~ प्रातः 04:21 से 05:01 तक*
  *🌷अभिजीत मुहूर्त ~ 12:10 पी एम से 01:05 पी एम*
  *🌷निशिता मुहूर्त~ रात्रि 12:17 जून 25 से रात्रि 12:58 जून 25 तक*
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   *🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*अमृत    05:43 - 07:27    शुभ*
*काल    07:27 - 09:10    अशुभ*
*शुभ    09:10 - 10:54    शुभ*
*रोग    10:54 - 12:38    अशुभ*
*उद्वेग    12:38 - 14:21    अशुभ*
*चर    14:21 - 16:05    शुभ*
*लाभ    16:05 - 17:48    शुभ*
*अमृत    17:48 - 19:32    शुभ*

   *🌷~चोघडिया,रात~🌷*
*चर    19:32 - 20:48    शुभ*
*रोग    20:48 - 22:05    अशुभ*
*काल    22:05 - 23:21    अशुभ*
*लाभ    23:21 - 24:38*    शुभ*
*उद्वेग    24:38 - 25:54    अशुभ*
*शुभ    25:54 - 27:11    शुभ*
*अमृत    27:11 - 28:27    शुभ*
*चर    28:27 - 29:44    शुभ*
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 *💐व्रत विशेष पर्व विवरण - *
 *💐 भिक्षा, दक्षिणा, दान तथा त्याग 💐
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*💐चारों का स्वरूप अलग अलग है।*

*💐 भिक्षा *

*💐दी जाती है बिना स्वयं की किसी कामना पूर्ति के लिए भिक्षुक को। मुख्य है भिक्षुक की उदरपूर्ति के लिए दी गई अन्नादि सामग्री।*

*💐यह एक पुण्य है भिक्षा देने वाले के लिए, जिससे इस जन्म के प्रतिदिन के व्यवसाय में, व्यवहार में, अनजाने में किए गए पाप कर्मों का शमन होता है।*

*💐 दक्षिणा*

*💐दी जाती है गुरु अथवा पुरोहित को, संकल्पित पूजा, यज्ञ, विद्याध्ययन आदि के उपरांत, जिससे कर्मफल उपलब्ध हो जाता है गुरु, पुरोहित को।*

*💐शिष्य तथा यज्ञकर्त्ता भी बंधन मुक्त हो जाता है किसी भी प्रकार के उपकार से दक्षिणा देने के उपरांत।*

*💐 दान*

*💐दिया जाता है कर्म में दोष की निवृत्ति हेतु। कर्म दोष ग्रहों के विपरीत प्रभाव से प्रत्यक्ष होता है, जन्मजन्मांतरों के संचित एवं प्रारब्ध कर्म संस्कारों के फलित होने से।*

*💐सुपात्र को ही दिया गया दान फलित होता है पुण्य रूप में। सुपात्र का अर्थ है, जिसे उस दान की आवश्यकता है, जैसे प्यासे को जल, आदि।*

*💐सुपात्र न मिलने पर दान द्रव्य रूप में किसी विष्णु अथवा निर्देशित देव मंदिर में अर्पित किया जाता है।*

*💐 त्याग*

*💐श्रेष्ठ है चारों में। विषयों का त्याग मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। इसी हेतु संन्यास लेते हैं त्यागी साधक।*

*💐विषयों का त्याग मानसिक होता है, न कि भौतिक। जीवन जब तक है, भौतिक प्राकट्य रहेगा। विषयों में आसक्ति का न होना, मोह का न होना, बताया जाता है। जितनी सरलता से कहा गया है, उतना ही कठिन है इसका पालन।*

*💐कर्म तो होंगे जीवन में तथा कर्म विषय जनित ही है। इसलिए, कर्त्तव्य कर्म करने को स्वधर्म पालन माना गया है तथा इसमें कोई कर्म दोष नहीं है। लेकिन कर्मफल में अनासक्ति, अनाश्रित होना आवश्यक है।*

*💐कर्मफल का त्याग ही त्याग है, मोक्ष मार्ग पर अग्रसर होने के लिए। इससे नए कर्म संस्कारों का उदय नहीं होता है तथा जन्म-मृत्यु के शाश्वत चक्र से बंधनमुक्त होना संभव है।*

*💐यही श्रीमद्भगवद्गीता का कर्मयोग सिद्धांत है !!💐*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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