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पंचांग - 21-06-2024

 *🌷~पंचांग~🌷*

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   *🌷दिनांक ~21 जून 2024*
   *🌷दिन~ शुक्रवार*
   *🌷विक्रम संवत् ~2081*
   *🌷अयन ~उत्तरायण*
   *🌷ऋतु ~ग्रीष्म*
   *🌷मास ~ ज्येष्ठ*
   *🌷पक्ष ~ शुक्ल*
   *🌷तिथि ~ चतुर्दशी    07:31:09 पश्चात पूर्णिमा*
 *🌷वट सावित्री पूर्णिमा व्रत आज है।*
   *🌷नक्षत्र ~      ज्येष्ठा    18:17:39 तत्पश्चात         मूल*
*🌷योग~          शुभ    18:40:40 तत्पश्चात मूल*
*🌷करण~            वणिज    07:31:09 तत्पश्चात बव*
*🌷चन्द्र राशि       वृश्चिक    till 18:17:39*
*🌷चन्द्र राशि       धनु    from 18:17:39*
*🌷सूर्य राशि    ~   मिथुन*
*🌷राहु काल ~ हर जगह का अलग है-  दोपहर बाद: 02:20 से  04:04 पी एम तक*
*🌷सूर्योदय ~ 05:42:31*
*🌷सूर्यास्त ~ 07:31:21*
*🌷दिशा शूल ~ पश्चिम दिशा में*
*🌷ब्राह्ममुहूर्त ~ प्रातः 04:20 से 05:01 तक*
*🌷अभिजीत मुहूर्त ~ 12:09 पी एम से 01:05 पी एम*
*🌷निशिता मुहूर्त~ रात्रि 12:17 जून 22 से रात्रि 12:57 जून 22 तक*
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 *🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*चर    05:43 - 07:26    शुभ*
*लाभ    07:26 - 09:10    शुभ*
*अमृत    09:10 - 10:53    शुभ*
*काल    10:53 - 12:37    अशुभ*
*शुभ    12:37 - 14:21    शुभ*
*रोग    14:21 - 16:04    अशुभ*
*उद्वेग    16:04 - 17:48    अशुभ*
*चर    17:48 - 19:31    शुभ*

 *🌷~चोघडिया,रात~🌷*
*रोग    19:31 - 20:48    अशुभ*
*काल    20:48 - 22:04    अशुभ*
*लाभ    22:04 - 23:21    शुभ*
*उद्वेग    23:21 - 24:37    अशुभ*
*शुभ    24:37 - 25:53    शुभ*
*अमृत    25:53 - 27:10 शुभ*
*चर    27:10 - 28:26    शुभ*
*रोग    28:26 - 29:43    अशुभ*
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*🌷व्रत विशेष पर्व विवरण - वट सावित्री पूर्णिमा व्रत आज है।*
*🌷 ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ यह श्लोकांश योगेश्वर श्रीकृष्ण के श्रीमुख से उद्गीरित श्रीमद्भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय के पचासवें श्लोक से उद्धृत है। श्लोक इस प्रकार है*

*🌷 “बुद्धियुक्तो जहातीह उभे सुकृतदुष्कृते। तस्माद्योगाय युज्यस्व योग: कर्मसु कौशलम्”।।*
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*🌷 श्लोक के उत्तरार्ध पर यदि गौर करें तो दो बातें स्पष्ट होती हैं। पहली योग की परिभाषा एवं दूसरी योग हेतु प्रभु का स्पष्ट निर्देश। उनका उपदेश है कि ‘योगाय’ अर्थात् योग के लिए अथवा योग में, ‘युज्यस्व’ अर्थात् लग जाओ। कहने का तात्पर्य है कि ‘योग में प्रवृत्त हो जाओ’ यानि कि ‘योग करो’।*

*🌷 योग की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है और इसकी उत्‍पत्ति हजारों वर्ष पहले हुई थी। ऐसा माना जाता है कि जब से सभ्‍यता शुरू हुई है तभी से योग किया जा रहा है। अर्थात प्राचीनतम धर्मों या आस्‍थाओं  के जन्‍म लेने से काफी पहले योग का जन्म हो चुका था। योग विद्या में शिव को "आदि योगी" तथा "आदि गुरू" माना जाता है।*
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*🌷 भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। इसके पश्चात पतञ्जलि ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया। इस रूप को ही आगे चलकर सिद्धपंथ, शैवपंथ, नाथपंथ, वैष्णव और शाक्त पंथियों ने अपने-अपने तरीके से विस्तार दिया।*

*🌷 योग से सम्बन्धित सबसे प्राचीन ऐतिहासिक साक्ष्य सिन्धु घाटी सभ्यता से प्राप्त वस्तुएँ हैं जिनकी शारीरिक मुद्राएँ और आसन उस काल में योग के अस्तित्व के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। योग के इतिहास पर यदि हम दृष्टिपात करे तो इसके प्रारम्भ या अन्त का कोई प्रमाण नही मिलता, लेकिन योग का वर्णन सर्वप्रथम वेदों में मिलता है और वेद सबसे प्राचीन साहित्य माने जाते है।*
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🌷 पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 21 जून 2015 को पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन करोड़ों लोगों ने विश्व में योग किया जो कि एक रिकॉर्ड था। योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली प्रकार है, जिसके माध्याम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है। यही कारण है कि योग से शा‍रीरिक व्याधियों के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती है।*

 *🌷 योग शब्द की उत्पत्त‍ि संस्कृति के युज से हुई है, जिसका मतलब होता है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन। योग लगभग दस हजार साल से भी अधिक समय से अपनाया जा रहा है।*
 
*🌷 वैदिक संहिताओं के अनुसार तपस्वियों के बारे में प्राचीन काल से ही वेदों में इसका उल्लेख मिलता है। सिंधु घाटी सभ्यता में भी योग और समाधि को प्रदर्श‍ित करती मूर्तियां प्राप्त हुईं। हिन्दू धर्म में साधु, संन्यासियों व योगियों द्वारा योग सभ्यता को शुरू से ही अपनाया गया था, परंतु आम लोगों में इस विधा का विस्तार हुए अभी ज्यादा समय नहीं बीता है। बावजुद इसके, योग की महिमा और महत्व को जानकर इसे स्वस्थ्य जीवनशैली हेतु बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है, जिसका प्रमुख कारण है व्यस्त, तनावपूर्ण और अस्वस्थ दिनचर्या में इसके सकारात्मक प्रभाव।*
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  *🌷 योग की प्रामाणिक पुस्तकों जैसे शिवसंहिता तथा गोरक्षशतक में योग के चार प्रकारों का वर्णन मिलता है -*

 
*🌷 1 मंत्रयोग, जिसके अंतर्गत वाचिक, मानसिक, उपांशु आर अणपा आते हैं।*
 
*🌷 2 हठयोग *
 
*🌷 3 लययोग*
 
*🌷 4 राजयोग, जिसके अंतर्गत ज्ञानयोग और कर्मयोग आते हैं।*
 
*🌷 व्यापक रूप से पतंजलि औपचारिक योग दर्शन के संस्थापक माने जाते हैं। पतंजलि के योग, बुद्धि नियंत्रण के लिए एक प्रणाली है, जिसे राजयोग के रूप में जाना जाता है। पतंजलि के अनुसार योग के 8 सूत्र बताए गए हैं, जो निम्न प्रकार से हैं - *
 
*🌷 1 यम - इसके अंतर्गत सत्य बोलना, अहिंसा, लोभ न करना, विषयासक्ति न होना और स्वार्थी न होना शामिल है।*
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*🌷 2 नियम - इसके अंतर्गत पवित्रता, संतुष्ट‍ि, तपस्या, अध्ययन, और ईश्वर को आत्मसमर्पण शामिल हैं।*
*🌷 3 आसन - इसमें बैठने का आसन महत्वपूर्ण है*
*🌷 4 प्राणायाम - सांस को लेना, छोड़ना और स्थगित रखना इसमें अहम है।*

*🌷 5 प्रत्याहार - बाहरी वस्तुओं से, भावना अंगों से प्रत्याहार।*
*🌷 6 धारणा - इसमें एकाग्रता अर्थात एक ही लक्ष्य पर ध्यान लगाना महत्वपूर्ण है।*
*🌷 7 ध्यान - ध्यान की वस्तु की प्रकृति का गहन चिंतन इसमें शामिल है।*
*🌷 8 समाधि - इसमें ध्यान की वस्तु को चैतन्य के साथ विलय करना शामिल है। इसके दो प्रकार हैं- सविकल्प और अविकल्प।* अविकल्प में संसार में वापस आने का कोई मार्ग नहीं होता। अत: यह योग पद्धति की चरम अवस्था है।*  
 
*🌷 भगवद्‍गीता में योग के जो तीन प्रमुख प्रकार बताए गए हैं वे निम्न हैं-*
 
*🌷 1 कर्मयोग- इसमें व्यक्ति अपने स्थिति के उचित और कर्तव्यों के अनुसार कर्मों का श्रद्धापूर्वक निर्वाह करता है।*
 2 भक्ति योग- इसमें भगवत कीर्तन प्रमुख है। इसे भावनात्मक आचरण वाले लोगों को सुझाया जाता है।*
 
*🌷 3 ज्ञान योग- इसमें ज्ञान प्राप्त करना अर्थात ज्ञानार्जन करना शामिल है।*
 
*🌷 वर्तमान में योग को शारीरिक, मानसिक व आत्मिक स्वास्थ्य व शांति के लिए बड़े पैमाने पर अपनाया जाता है। 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी और 21 जून 2015 को प्रथम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। प्रथम बार विश्व योग दिवस के अवसर पर 192 देशों में योग का आयोजन किया गया जिसमें बहुत संख्या में  मुस्लिम देशों ने  भी भाग लिया।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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