*🌷~पंचांग~🌷*
*🌷दिनांक ~20 जून 2024*
*🌷दिन~ गुरुवार*
*🌷विक्रम संवत् ~2081*
*🌷अयन ~उत्तरायण*
*🌷ऋतु ~ग्रीष्म*
*🌷मास ~ ज्येष्ठ*
*🌷पक्ष ~ शुक्ल*
*🌷तिथि ~ त्रयोदशी 07:49:29 पश्चात चतुर्दशी*
*🌷नक्षत्र ~ अनुराधा 18:09:02 तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*🌷योग~ साध्य 20:10:53 तत्पश्चात शुभ*
*🌷करण~ तैतुल 07:49:29 तत्पश्चात वणिज*
*🌷चन्द्र राशि~ वृश्चिक*
*🌷सूर्य राशि ~ मिथुन*
*🌷राहु काल ~ हर जगह का अलग है- दोपहर बाद: 02:20 से 04:04 पी एम तक*
*🌷सूर्योदय ~ 05:42:18*
*🌷सूर्यास्त ~ 07:31:09*
*🌷दिशा शूल ~ दक्षिण दिशा में*
*🌷ब्राह्ममुहूर्त ~ प्रातः 04:20 से 05:00 तक*
*🌷अभिजीत मुहूर्त ~ 12:09 पी एम से 01:04 पी एम*
*🌷 सर्वार्थ सिद्धि योग 05:41 ए एम से 06:10 पी एम*
*🌷निशिता मुहूर्त~ रात्रि 12:17 जून २1 से रात्रि 12:57 जून २1तक*
*🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*शुभ 05:42 - 07:26 शुभ*
*रोग 07:26 - 09:10 अशुभ*
*उद्वेग 09:10 - 10:53 अशुभ*
*चर 10:53 - 12:37 शुभ*
*लाभ 12:37 - 14:20 शुभ*
*अमृत 14:20 - 16:04 शुभ*
*काल 16:04 - 17:48 अशुभ*
*शुभ 17:48 - 19:31 शुभ*
*🌷~चोघडिया,रात~🌷*
*अमृत 19:31 - 20:48 शुभ*
*चर 20:48 - 22:04 शुभ*
*रोग 22:04 - 23:20 अशुभ*
*काल 23:20 - 24:37 अशुभ*
*लाभ 24:37 - 25:53 शुभ*
*उद्वेग 25:53 - 27:10 अशुभ*
*शुभ 27:10 - 28:26 शुभ*
*अमृत 28:26 - 29:43 शुभ*
*🌷व्रत पर्व विवरण -
*🌷विशेष -
🚩अशुभ एवं निर्बल मंगल के उपाय
🚩ग्रहों की प्रतिकूलता मनुष्य और वायुमंडल के बीच ऊर्जा प्रवाह को प्रभावित करती है। इसके असंतुलन से विभिन्न प्रकार के रोग एवं विकार उत्पन्न होते हैं।
🚩सौरमंडल में मंगल ग्रह का अपना ही स्थान है। मंगल ग्रह पृथ्वी को कई आपदाओं से भी बचाता है। मंगल ग्रह पृथ्वी को शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से भी बचाता है। मंगल के कारण ही समुद्र में मूंगे की पहाड़ियाँ पैदा होती हैं और उसी के कारण प्रकृति में लाल रंग होता है। मंगल गर्म प्रकृति का ग्रह है। इसे अपराध का ग्रह भी माना जाता है। मंगल का अशुभ प्रभाव विवाह और वैवाहिक जीवन में सबसे अधिक दिखाई देता है। मंगल दोष, जिसे मंगली के नाम से जाना जाता है, कई पुरुषों और महिलाओं को जीवन भर अविवाहित रहने का भी कारण बनता है।
🚩 मंगल से प्रभावित व्यक्ति राजनयिक या राजदूत आदि होते हैं या उच्च पदों पर कार्यरत होते हैं। इनमें विशेष नेतृत्व शक्ति होती है।निडर होते हैं, किसी भी प्रकार का जोखिम उठा सकते हैं। खिलाड़ी, वायु सेना, थल सेना, नौसेना अध्यक्ष और उच्च पदस्थ राजनेता मंगल ग्रह से प्रभावित माने जाते हैं। मंगल को भौम, कुज आदि नामों से भी जाना जाता है। नवग्रहों में मंगल को सेनापति कहा गया है।
🚩शारीरिक रूप से प्रभावित लोग स्वस्थ और मध्यम लंबाई के होते हैं। कमर पतली, छाती चौड़ी, बाल घुंघराले और आंखें लाल होती हैं।
🚩मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है। मंगल को मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का भी स्वामित्व प्राप्त है। मंगल छठे और तीसरा भाव का कारक ग्रह है।
कर्क और सिंह लग्न के लिए मंगल कुंडली में विशेष कारक माना जाता है और मिथुन और कन्या लग्न में मंगल विशेष भयानक हो जाता है।
मंगल मकर राशि में उच्च का और कर्क राशि में नीच का होता है। कुंडली में मंगल जिस भाव में स्थित होता है वह अपनी स्थिति के अनुसार उस भाव से संबंधित कार्यों को मजबूत करता है।
🚩शुभ मंगल, मंगलकारी और अशुभ मंगल अप्रभावी कार्य करते हैं। मंगल शक्ति, साहस, क्रोध, युद्ध, दुर्घटना, षडयंत्र, रोग, विवाद, भूमि संबंधी कार्य आदि का कारक ग्रह है। मंगल तांबा, खनिज, सोना, मूंगा, हथियार, भूमि आदि का प्रतिनिधित्व करता है।
🚩मंगल पित्त कारक है एवं बेहद गर्म होता है और उत्तेजना पैदा करता है। यह सिर, मज्जा, पित्त, हीमोग्लोबिन और गर्भाशय को नियंत्रित करता है। अत: इससे संबंधित सभी रोग मंगल के प्रकोप से ही होते हैं। मंगल दुर्घटना, चोट, मोच, जलन, सर्जरी, उच्च रक्तचाप, पत्थर, हथियार और जहर से नुकसान पहुंचाता है। गर्मी से होने वाले मंगल रोग, विषैले रोग, अल्सर, कुष्ठ, खुजली, रक्त संबंधी रोग, गर्दन और वात रोग। , रक्तचाप, मूत्र रोग, ट्यूमर, कैंसर, बवासीर, अल्सर, दस्त, आकस्मिक रक्तस्राव, कटना, फोड़े, फुंसी, बुखार, चोट आदि।
🚩मंगल-शनि की युति होने पर रोग, रक्त विकार, कुष्ठ रोग आदि से कष्ट होने की संभावना अथवा चोट लगने से कष्ट होता है।
🚩यदि अशुभ गुरु-मंगल या चंद्र-मंगल की युति हो तो पीलिया रोग से कष्ट होता है।
🚩यदि मंगल-राहु या केतु-मंगल की युति हो तो शरीर में ट्यूमर या कैंसर से पीड़ित होने की संभावना बढ़ जाती है।
♦️मंगल मानव शरीर में नस-धमनियों का फटना, अस्थि मज्जा रोग, रक्तस्राव, गर्भपात, मासिक धर्म की अनियमितता, सूजाक और दुर्घटना तथा जलन का प्रतीक है। मंगल किसी भी व्यक्ति के शरीर में रक्त, उत्तेजना, बाहु, कठोरता, साहस, शीघ्रता होती है। मंगल के अशुभ होने पर रक्त एवं पेट के रोग, नासूर, पित्ताशय, वात रोग तथा फोड़े-फुंसी तथा यकृत के रोग भी हो सकते हैं।
🚩जब भी मंगल अशुभ हो जाता है तो इस कारण जातक आतंकवादी, दुराचारी, षडयंत्रकारी और विद्रोही बन जाता है। मंगल ग्रह की शांति के लिए शिव पूजा और मूंगा रत्न धारण करने का भी विधान है।
🚩अगर आपकी कुंडली में मंगल दोष है या आपकी तरक्की में मंगल के कारण बाधा आ रही है तो आप रक्तदान करके शांति पा सकते हैं।
रक्तदान मंगल दोष से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है। रक्तदान से रक्त शुद्धि होती है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। इस तरह की कई बीमारियां दूर रहती हैं। शास्त्रों में दान को भी महान बताया गया है। रक्त मंगल का कारक है। इसके दान से मंगल (भौम) दोष से मुक्ति मिलती है। जिन लोगों के लग्न में 3, 11 या 6, 12वें स्थान में मंगल हो उन्हें विशेष रूप से रक्तदान करना चाहिए।
इससे जीवन में शांति आती है। रक्तदान से रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम हो जाती है। इस तरह दिल से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है। साथ ही उच्च रक्तचाप के कारण लकवा या ब्रेन हैमरेज की भी संभावना नहीं रहती है। यह ऑक्सीजन पार्लर की तरह काम करता है। अस्थि मज्जा से नए रक्त कण आने पर शरीर तरोताजा और स्वस्थ महसूस करता है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर, पल्स रेट, बुखार, हेपेटाइटिस बी व सी, मलेरिया, एचआईवी, हीमोग्लोबिन, ब्लड ग्रुप की भी जाँच हो जाती है।
🚩अशुभ मंगल से होने वाले कुछ प्रमुख रोग/रोग-
---उच्च रक्तचाप।
----वात रोग।
---फोड़े फुंसी
---घाव या चोट
---बार-बार बुखार आता रहता है।
---शरीर में कम्पन होता रहता है।
--- गुर्दे में पथरी।
---मनुष्य की शारीरिक शक्ति कम हो जाती है।
--- शरीर के जोड़ काम नहीं करते।
----मंगल रक्त संबंधी रोगों का कारण बनता है। खून की कमी है अशुद्धि।
--- बच्चे पैदा करने में परेशानी।
🚩 रक्तदान मंगल दोष से मुक्ति पाने का भी एक माध्यम है, जिससे रक्तदाता को चोरी, अग्निकांड और अन्य आकस्मिक भय नहीं सताता।
🚩यहां दिए गए सभी रोग ग्रहों की दशा के साथ-साथ गोचर में भी अशुभ होते हैं इसलिए ग्रहों का फल, इन योगों पर आप कुंडली देखकर विचार कर सकते हैं। ऐसा करने से आप होने वाली बीमारियों का अंदाजा लगाकर स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रह सकते हैं।
🚩मंगल दोष निवारण के लिए इन चीजों का दान करें--- मूंगा, गेहूं, मसूर की दाल, लाल कपड़ा, कनेर का फूल, गुड़, तांबा, लाल चंदन, केसर.
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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