*🌷~ पंचांग ~🌷*
*🌷दिनांक - 06 जून 2024*
*🌷दिन - गुरुवार*
*🌷तिथि ~ तिथि अमावस्या 06:06:38 pm पश्चात प्रथमा *
*🌷पक्ष ~ कृष्ण*
*🌷नक्षत्र~ रोहिणी 20:15:28*पश्चात मृगशीर्षा*
*🌷योग~ धृति 22:07:45* पश्चात शूल*
*🌷करण~बव 16:44:27 पश्चात कोलव*
*🌷 चन्द्र राशि~ मिथुन *
*🌷सूर्य राशि ~वृषभ*
*🌷राहू काल 02:17- 14:00:अशुभ*
*🌷प्रदोष 19:26 - 21:27 शुभ*
*🌷सूर्योदय 05:41:18*
*🌷सूर्यास्त 19:26:28*
*🌷दिन काल 13:45:09*
*🌷रात्री काल 10:14:47*
*🌷चंद्रास्त 19:36:58 *
*🌷चंद्रोदय 06:16:20*
*🌷दिशा शूल - दक्षिण में*
*🌷राहुवास - दक्षिण दिशा में*
*🌷ब्रह्म मुहूर्त -04:18 ए. एम. से 04:59 ए. एम.*
*🌷अभिजित मुहूर्त- 12:06.00 to 01:02*
*🌷गोधूलि मुहूर्त 07:27 पी एम से 07:47 पी एम*
*🌷निशिता मुहूर्त -12:14 ए एम, जून 03 से 12:54 ए एम, जून 06*
*🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*शुभ 05:41 - 07:24 शुभ*
*रोग 07:24 - 09:08 अशुभ*
*उद्वेग 09:08 - 10:51 अशुभ*
*चर 10:51 - 12:34 शुभ*
*लाभ 12:34 - 14:17 शुभ*
*अमृत 14:17 - 16:00 शुभ*
*काल 16:00 - 17:43 अशुभ*
*शुभ 17:43 - 19:26 शुभ*
*🌷~चोघडिया,रात~🌷*
*अमृत 19:26 - 20:43 शुभ*
*चर 20:43 - 22:00 शुभ*
*रोग 22:00 - 23:17 अशुभ*
*काल 23:17 - 24:34 अशुभ*
*लाभ 24:34 - 25:51 शुभ*
*उद्वेग 25:51 - 27:08 अशुभ*
*शुभ 27:08 - 28:24 शुभ*
*अमृत 28:24 - 29:41शुभ*
*🌷~आज का विशेष*
*🌷~ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की *अमावस्या तिथि को ज्येष्ठ *अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा और इस बार यह शुभ तिथि 6 जून दिन गुरुवार को है। साल में 12 अमावस्या आती हैं लेकिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन वट सावित्री और शनि जयंती पर्व भी मनाया जाएगा और पितृ दोष व ग्रह दोष से राहत पाने के लिए यह दिन बेहद शुभ होता है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान, तर्पण, पिंडदान, जप-तप, पूजन, दान आदि करने का विधान है।
ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और परिजनों पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व, पूजा विधि, मुहूर्त और काम के उपाय...*
*ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन वट सावित्री व्रत और शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है इसलिए इस तिथि का महत्व बढ़ जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पिंडदान, तर्पण और पितरों के नाम का भोजन कराने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और पितरों के आशीर्वाद से परिवार में उन्नति बनी रहती है।
अमावस्या तिथि के स्वामी पितर हैं इसलिए इस दिन पितरों ने नाम की पूजा व तर्पण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन भगवान विष्णु, शनिदेव और बरगद के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है। इस दिन न्याय के देवता कहने जाने वाले शनिदेव की जयंती मनाई जाती है इसलिए शनिदेव की विधिवत रूप से पूजा अर्चना करने से शनि के अशुभ प्रभाव में कमी आती है और सभी कष्ट दूर होते हैं। वहीं महिलाएं भी इस दिन पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्रि व्रत भी रखती हैं। इसलिए उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्याको पुण्य फलदायी और बहुत पवित्र माना गया है।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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