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पंचांग - 31-05-2024

 *🌷~ पंचांग ~🌷*

jyotish

*🌷दिनांक - 31 मई 2024*
*🌷दिन -  शुक्रवार*
*🌷तिथि    ~ अष्टमी    09:37:34 पश्चात नवमी*
*🌷पक्ष    कृष्ण*
*🌷शतभिष    06:12:47 पश्चात  पूर्वभाद्रपदा    28:47:04 *
*🌷योग        विश्कुम्भ    18:03:12 पश्चात     प्रीति*
*🌷करण    कौलव    09:37:34 पश्चात     गर*
*🌷    चन्द्र राशि       कुम्भ    till 23:09:10*
*🌷     चन्द्र राशि       मीन    from 23:09:10*
*🌷सूर्य राशि    ~  वृषभ*
*🌷राहू काल    10:50- 12:33अशुभ*
*🌷पंचक ²    अहोरात्र    अशुभ*
*🌷प्रदोष    19:24 - 21:25    शुभ*
*🌷सूर्योदय    05:42:06*
*🌷सूर्यास्त    19:23:41*
*🌷दिन काल    13:41:35*
*🌷रात्री काल    10:18:13*
*🌷चंद्रास्त    01:04:14    *
*🌷चंद्रोदय    25:49:16*
*🌷दिशा शूल -  पश्चिम दिशा में*
 *🌷राहुवास    - दक्षिण-पूर्व दिशा में*
*🌷ब्रह्म मुहूर्त    -04:19 ए. एम. से 05:00 ए. एम.*
*🌷अभिजित मुहूर्त- 12:05.00 to 01:55*
*🌷गोधूलि मुहूर्त    07:24 पी एम से 07:44 पी एम *
*🌷निशिता मुहूर्त    -12:12 ए एम, मई 31 से 12:53 ए एम,जून 01*
*🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*चर    05:42 - 07:25    शुभ*
*लाभ    07:25 - 09:08    शुभ*
*अमृत    09:08 - 10:50    शुभ*
*काल    10:50 - 12:33    अशुभ*
*शुभ    12:33 - 14:16    शुभ*
*रोग    14:16 - 15:58    अशुभ*
*उद्वेग    15:58 - 17:41    अशुभ*
*चर    17:41 - 19:24    शुभ*
         चोघडिया, रात
*रोग    19:24 - 20:41    अशुभ*
*काल    20:41 - 21:58    अशुभ*
*लाभ    21:58 - 23:16    शुभ*
*उद्वेग    23:16 - 24:33    अशुभ*
*शुभ    24:33 - 25:50    शुभ*
*अमृत    25:50 - 27:07    शुभ*
*चर    27:07 - 28:25    शुभ*
*रोग    28:25 - 29:42    अशुभ*
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🔺 सूर्य पूर्व दिशा और "ग्रीष्म" ऋतु (ग्रीष्म ऋतु) पर शासन करता है। जन्म कुंडली में सूर्य जातक के पिता का प्रतिनिधित्व करता है। महिला की कुंडली में सूर्य उसके पति को दर्शाता है (एक अन्य विचारधारा है कि बृहस्पति महिला की कुंडली में उसके पति का प्रतिनिधित्व करता है)। सेवा में सूर्य प्रशासनिक मुखिया या सरकार को दर्शाता है।
🔺सूर्य हमें प्रतिरोध और जीवन शक्ति की शक्ति प्रदान करता है।  जीवन की सांस को नियंत्रित करता है।  हमारी चेतना पर शासन करता है और व्यक्तित्व को दर्शाता है। बल और आत्म इच्छा देता है और व्यक्ति को दृढ़ और निर्णायक बनाता है।
🔺 सूर्य की प्रकृति गरम, शुष्क, पौरुष तथा जीवनदायी है। वह अपनी युति के साढ़े आठ डिग्री के दायरे में किसी भी ग्रह की प्रकृति और प्रभाव को आत्मसात करने की शक्ति रखता है।
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🔺सूर्य स्वास्थ्य, महत्वपूर्ण सिद्धांत, सामान्य समृद्धि और उच्च पद, पद और पदवी के पद, सरकारी मामले और अधिकारी, नए उपक्रम, प्रचार, लोकप्रियता, श्रेष्ठ या अभिमानी और घृणित व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है।
🔺सूर्य पक्ष, पीठ के ऊपरी भाग, हृदय, पुरुष की दाहिनी आंख और महिला की बाईं आंख को नियंत्रित करता है। इनका दिन रविवार है, धातु सोना और रंग नारंगी है।
🔺 यदि सूर्यदेव प्रतिकूल स्वभाव या अशुभ पहलुओं या संगति से बाधित नहीं है और कुंडली में स्थिति से प्रतिष्ठित है, तो सूर्य एक स्वभाव प्रदान करता है जो महत्वाकांक्षी, गर्व, उदार, स्पष्टवादी, उदार, मानवीय, दृढ़ और सम्माननीय है। सूर्य द्वारा शासित पुरुष शासक पद की आकांक्षा रखते हैं और अपने ईमानदार स्वभाव से दूसरों को अपनी क्षमताओं के प्रति सम्मान के साथ प्रेरित करते हैं, इसलिए वे आमतौर पर विश्वास, जिम्मेदारी और सम्मान की स्थिति प्राप्त करते हैं। जहां वे पूरी तरह से घर पर होते हैं और बहुत संतोषजनक ढंग से व्यावहारिक कार्यान्वयन करने में सक्षम होते हैं।
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🔺यदि जन्म के समय सूर्य प्रतिकूल स्थिति में हो और अन्यथा नीच स्थिति में हो, तो जातक अत्यधिक बलशाली, प्रभुतापूर्ण, दबंग, सकारात्मक रूप से अहंकारी और फिजूलखर्ची होने की प्रवृत्ति वाला होता है, जिससे ज्वरयुक्त सूजन प्रकृति की बीमारी, नेत्र पीड़ा और हृदय विकार के साथ-साथ हानि भी हो सकती है। इन जातकों की आवेगशीलता के कारण पद, प्रतिष्ठा या सम्मान की हानि होती है।
🔺सूर्य का रत्न हीरा और माणिक है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है। वह मेष राशि में उच्च का और तुला राशि में नीच का होता है। मेष राशि का 10 डिग्री उच्चतम उत्थान बिंदु है और तुला का 10 डिग्री उसका निम्नतम दुर्बलता बिंदु है। सिंह राशि का प्रारंभिक 20 अंश उसका मूलत्रिकोण है और शेष 10 अंश स्वक्षेत्र है। सूर्य के मित्र चंद्रमा, मंगल और बृहस्पति हैं। शुक्र और शनि इनके शत्रु हैं. बुध उसके प्रति तटस्थ है।


सूर्य ग्रह शांति के अचूक एवं प्रभावी उपाय

🔴 सूर्यदेव को सृष्टि का संचालक माना जाता है। सूर्यदेव की समय के अनुसार उपासना करने से, सूर्यदेव सब कुछ प्रदान करते है , जैसे- दीर्घायु, आरोग्य, धन, ऐश्वर्य, पशु, मित्र, स्त्री, पुत्र तथा अनेकानेक उन्नति के व्यापक क्षेत्र व आठ प्रकार के भोग इत्यादि।
🔴 कुंडली में अगर सूर्य ग्रह खराब हो तो व्यक्ति का मनोबल कमजोर होता है। घर में पिता और कार्यक्षेत्र में अधिकारियों से परेशानी बनी रहती है।
 सेहत भी आए दिन खराब ही रहती है। जातक का भाग्‍योदय जन्‍म स्‍थान पर संभव नहीं होता है।

🔴 सूर्य ग्रह से संबंधित कई उपाय हैं, जिन्हें करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यदि आप सूर्य के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं तो नीचे दिए गए उपाय अवश्य करें। यह सभी आजमाए हुए फलित उपाय है।

🔴   सूर्य कृत समस्त अरिष्ट के शमानार्थ सूर्य मंत्र का विधिवत अनुष्ठान एवं “आदित्य हृदय स्त्रोत” (वाल्मीकि कृत रामायण से) का पाठ सर्वोत्तम होता है। यह सूर्य पीड़ा को समाप्त करने के लिए अमोघ अस्त्र है। इससे समस्त शारीरिक व्याधियों, शत्रु बाधा, विभागीय और सरकारी कार्य विभाग में विवाद आदि में निश्चित लाभ मिलता है।
🔴    सूर्य यदि पाप ग्रहों के साथ हो, विशेष रुप से शनि या राहु की युति में हो तो विधिवत रूप से रुद्राभिषेक करना या कराना चाहिए।
🔴   नेत्र व्याधियों में सूर्य नमस्कार सहित नेत्रोपनिषद का नित्य पाठ करें।
🔴   सूर्य कृत समस्त अरिस्टों के नाश के लिए नवग्रह कवच सहित सूर्य कवच एवं सूर्य सतनाम का पाठ भी पर्याप्त शुभ प्रभाव देता है। शिव अर्चन एवं महामृत्युंजय जप का साधन सर्व अरिष्टनाशक होता है।
🔴    संक्रांति के दिन तुलादान भी सूर्य शांति में लाभदायक है।
🔴  प्रतिदिन लाल चंदन एवं केसर मिश्रित जल से सूर्याजली देना व गायत्री जप करना भी श्रेयस्कर होता है।
🔴   सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए सूर्योदय के समय जब आधा ही सूर्य निकले तब लाल पुष्प डालकर सूर्य को नियमित रूप से जल से अर्ध्य दें।
🔴   यदि आत्मबल बढ़ाना हो, अभीष्ट सिद्धि हो या धन प्राप्ति की इच्छा हो तो माणिक युक्त सूर्य यंत्र स्वर्ण धातु में धारण करें।
🔴  रविवार का व्रत 5 या 11 बार रखना।
🔴   हरिवंश पुराण की कथा करना या सुनना व सूर्य को मीठा डालकर अर्ध्य देना।
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🔴  कनक, गुड़, तांबा आदि का दान करना।
🔴   गुड को बहते हुए पानी में बहाना तथा चाल-चलन ठीक रखना।
🔴   घर का दरवाजा पूर्व की ओर रखना एवं घर का आंगन खुला रखना।
🔴   बंदर को गुड़ और चने देना या बंदर को पालना।
🔴 भूरी चीटियों को तिरचोली डालना, सूर्यास्त से पहले।
🔴   चारपाई के पायो में तांबे की कील गाड़ना।
🔴 ब्लैक मार्केटिंग करने वाले स्मगलर या सटोरियों से मित्रता ना रखना।
🔴  ग्यारह रविवार दोपहर में केवल दही भात का सेवन करना।
🔴 11 या 21 रविवार तक कमल के लाल फूलों को गणपति जी पर चढ़ावे।
🔴    स्वर्णा पात्र में जल पीवें तथा ताम्रपत्र में रात्रि में गारनेट और केसर डालकर जल भर दें एवं प्रातः सूर्य को अर्ध्य देकर वही जल पी लेवें।
🔴    सूर्य के होरा में निर्जल रहे एवं रविवार को नमक का त्याग करें
🔴 सूर्य पीड़ा की विशेष शांति हेतु इलायची, साठी, चावल, मधु अमलतास, कमल, कुमकुम और देवदार मिलाकर सात रविवार तक स्नान करें।
🔴  माणिक्य लाल धारण करना माणिक्य के अभाव में रातड़ी या ताँबा धारण करना।
 🔴   घर में स्वर्ण बिंदु युक्त “श्री यंत्र” स्थापित करें एवं श्री सूक्त के 15 श्लोकों का नियमित पाठ करें।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको  केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*

 

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