*🌷~ पंचांग ~🌷*
*🌷दिनांक - 29 मई 2024*
*🌷दिन - बुधवार*
*🌷तिथि ~ षष्ठी 01:39:05 pm पश्चात सप्तमी*
*🌷पक्ष कृष्ण*
*🌷नक्षत्र श्रवण 08:37:22पश्चात घनिष्ठा*
*🌷योग ऐन्द्र 23:32:40 पश्चात वैधृति*
*🌷करण वणिज 13:39:05 पश्चात बव*
*🌷 चन्द्र राशि मकर till 20:05:09*
चन्द्र राशि कुम्भ from 20:05:09*
*🌷सूर्य राशि ~ वृषभ*
*🌷राहू काल 12:33- 02:15अशुभ*
*🌷पंचक ¹ 20:05 - अहोरात्र अशुभ*
*🌷प्रदोष 19:23 - 21:24 शुभ*
*🌷सूर्योदय 05:42:33 *
*🌷सूर्यास्त 19:22:41*
*🌷दिन काल 13:40:08*
*🌷रात्री काल 10:19:37*
*🌷चंद्रास्त 10:55:37 *
*🌷चंद्रोदय 24:39:34*
*🌷दिशा शूल - उत्तरउत्तर दिशा में*
*🌷राहुवास - दक्षिण-पश्चिम दिशा में*
*🌷ब्रह्म मुहूर्त -04:19 ए. एम. से 05:00 ए. एम.*
*🌷अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं*
*🌷गोधूलि मुहूर्त 07:23 पी एम से 07:43 पी एम *
*🌷निशिता मुहूर्त -12:12 ए एम, मई 30 से 12:53 ए एम, मई 30*
*🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*लाभ 05:43 - 07:25 शुभ*
*अमृत 07:25 - 09:08 शुभ*
*काल 09:08 - 10:50 अशुभ*
*शुभ 10:50 - 12:33 शुभ*
*रोग 12:33 - 14:15 अशुभ*
*उद्वेग 14:15 - 15:58 अशुभ*
*चर 15:58 - 17:40 शुभ*
*लाभ 17:40 - 19:23 शुभ*
*🌷~चोघडिया, रात~🌷*
*उद्वेग 19:23 - 20:40 अशुभ*
*शुभ 20:40 - 21:58 शुभ*
*अमृत 21:58 - 23:15 शुभ*
*चर 23:15 - 24:33शुभ*
*रोग 24:33 - 25:50 अशुभ*
*काल 25:50 - 27:07 अशुभ*
*लाभ 27:07 - 28:25 शुभ*
*उद्वेग 28:25 - 29:42 अशुभ*
*🌷*🌷अभिजित को छोड़ कर २७ नक्षत्र और उनके १०८ चरणों पर विचार किया गया। १०८ मनकों की माला में अभिजित् का एक मनका सुमेरु है। इसका उल्लंघन नहीं किया जाता। यह चरणहीन है। २८ नक्षत्र हैं। चन्द्रमा २७ का भोग करता है, अभिजित का नहीं। इस विषय में शास्त्र प्रमाण है। अतः अभिजित् को नक्षत्र मण्डली से बहिष्कृत कर रहा हूँ। २८ की संख्या अशुभ है। भागवत में २८ नरकों का वर्णन आया है। इसके अतिरिक्त २८ की संख्या में २ का अंक शुक्र का तथा ८ का अंक मंगल का है। २८ में शुक्र को मंगल दूषित कर रहा है। वृष और वृश्चिक का साथ अशुभ परिणामी है। दूसरे प्रकार से, २८ + ९ = ३ आवृत्ति, १ शेष १ मंगल का अंक होने से अशुभ परिणामी है। जब कि २७ की संख्या में २ और ७ के दोनों अंक शुक्र के हैं। वृष और तुला का मेल शुक्र के स्वामित्व के कारण पूर्ण शुभ है। दूसरे प्रकार से, २७÷ ९= ३ आवृत्ति ० शेष शून्य असत् वा ब्रह्म है। अतः वरणीय है। नक्षत्रों की संख्या २७ मानने में यह एक रहस्य है।*
*🌷 सभी नक्षत्रों का कोई न कोई गोत्र होता है। अभिजित गोत्र होन है चन्द्रमा से अयुक्त, पादहीन, गोत्रहीन नक्षत्र का वर्णन करना मेरे लिये अभीष्ट नहीं है। फिर अभिजित् का किया क्या जाय ? इसे मूहूर्त की संज्ञा देना अधिक उपयुक्त है। इसे जाति परिवर्तन वा धर्मान्तरण माना जाय। यह नक्षत्र मूहूर्त का आवरण डाल कर अहोरात्र में एक बार आता है। दिन के मध्यभाग मे इसकी उपस्थिति होती है। यह मुहूर्त रूप से मध्याह में १ घटी पर्यन्त रहता है। इस अभिजित मुहूर्त में पुरुषोत्तम राम का जन्म हुआ है। अभिजित् मुहूर्त जातक का फल ऐसा कहा गया है ...*
*🌷"अतिसुललित कान्तिः सम्मतः सज्जनानां
ननु भवति विनीतश्चारुकीर्तिः सुरूपः ।
द्विजवरसुरभक्तिर्व्यक्तवाद मानवः स्याद् अभिजिति यदि सूतिर्भूपतिः स स्ववंशे ॥"*
*🌷जिसका जन्म अभिजित मुहूर्त में होता है, वह अत्यन्त शोभायमान कान्ति से युक्त तथा सत्पुरुषों द्वारा सम्मानित होता है। वह जातक निश्चय ही विनयी, सुन्दर कीर्तिमान, तथा सुरुपवान् होता है। वह द्विजश्रेष्ठ (ब्राह्मण) एवं देवता में भक्ति रखता है, प्रशस्त वक्ता होता है। वह अपने वंश में प्रमुख होता है।*
*🌷 दिन के मध्य में सूर्य दिग्बली होता है। सूर्य के बलवान् होने से जातक राजा वा राजतुल्य शासक/प्रशासक होता है। मेरा जन्म ज्येष्ठकृष्ण दशमी के दिन ठीक मध्याह्न काल (अभिजित मुहूर्त) में हुआ है। सूर्य के उच्चच्युत (वृष में प्रवेश) होने से इस मुहूर्त के सम्पूर्ण फल में हास स्पष्ट है। मध्याह्न जातक जातकों को मैंने शासन प्रशासन में प्रविष्ट होते हुए देखा है।*
*🌷२७ नक्षत्रों की सारणी में सब लोग वह रहे हैं। मैं इस में स्नान कर रहा हूँ। इसमें १०८ घाट हैं। हर घाट अनोखा है। इन घाटों की सुषमा किश्चित कथ्य है। श्री १०८ को मेरा प्रणाम ।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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