*🌷~ पंचांग ~🌷*
*🌷दिनांक - 24 मई 2024*
*🌷दिन - शुक्रवार*
*🌷तिथि ~ प्रथम 19:24:17 pm पश्चात द्वितीय*
*🌷पक्ष शुक्ल*
*🌷नक्षत्र नक्षत्र अनुराधा 10:09:12 पश्चात ज्येष्ठा*
*🌷योग योग शिव 11:19:56 पश्चात सिद्ध*
*🌷करण करण बालव 07:27:01 पश्चात तैतुलकरण*
*🌷चन्द्र राशि वृश्चिक*
*🌷सूर्य राशि ~ वृषभ*
*🌷राहू काल 10:50 - 12:32अशुभ*
*🌷सूर्योदय 05:44:01 *
*🌷सूर्यास्त 19:20:04*
*🌷दिन काल 13:36:03 *
*🌷रात्री काल 10:23:36*
*🌷चंद्रास्त 06:19:02 *
चंद्रोदय 08:24:35*
*🌷दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*🌷राहु वास -दक्षिण-पूर्व*
*🌷ब्रह्म मुहूर्त -04:20 ए एम से 05:01 ए एम*
*🌷अभिजित मुहूर्त- 12:05 पी एम से 12:59 पी एम*
*🌷सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:43 ए एम से 10:10 ए एम, मई 25*
*🌷निशिता मुहूर्त -12:11 ए एम, मई 24 से 12:53 ए एम, मई 25*
*🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*चर 05:44 - 07:26 शुभ*
*लाभ 07:26 - 09:08 शुभ*
*अमृत 09:08 - 10:50 शुभ*
*काल 10:50 - 12:32 अशुभ*
*शुभ 12:32 - 14:14 शुभ*
*रोग 14:14 - 15:56 अशुभ*
*उद्वेग 15:56 - 17:38 अशुभ*
*चर 17:38 - 19:20 शुभ*
*🌷~ चोघडिया, रात ~🌷*
*रोग 19:20 - 20:38 अशुभ*
*काल 20:38 - 21:56 अशुभ*
*लाभ 21:56 - 23:14 शुभ*
*उद्वेग 23:14 - 24:32 अशुभ*
*शुभ 24:32 - 25:50 शुभ*
*अमृत 25:50 - 27:08 शुभ*
*चर 27:08 - 28:26 शुभ*
*रोग 28:26 - 29:44 अशुभ*
*🌷~ भगवान विष्णु के अनन्य भक्त देवर्षि नारद जी के जन्म अवतरण की हार्दिक शुभकामनाएं *
*🌷~कौन हैं देवर्षि नारद, इन्हें क्यों कहा जाता है सृष्टि का सबसे पहला पत्रकार?~🌷*
*🌷~ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को देवर्षि नारद जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को नारद जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष नारद जयंती का पर्व 24 मई को मनाया जाएगा। महाभारत में नारद जी का विशेष महत्व बताया गया है। शास्त्रों की मानें तो नारद जी को ब्रह्मा जी के सात मानस पुत्रों में से एक माना गया है।*
🌷~देवर्षि नारद जी ने ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया था।*
*🌷~नारद जी भगवान विष्णु के भक्तों में से एक हैं।*
*🌷~नारद जयंती 24 मई को है।
धार्मिक मान्यता है कि ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को देवर्षि नारद जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को नारद जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष नारद जयंती का पर्व 24 मई को मनाया जाएगा। महाभारत में नारद जी का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि नारद जयंती के दिन देवर्षि नारद जी आराधना करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन सदैव सुखमय रहता है। चलिए जानते हैं देवर्षि नारद जी के बारे में विस्तार से।**🌷~शास्त्रों की मानें तो नारद जी को ब्रह्मा जी के सात मानस पुत्रों में से एक माना गया है। नारद जी हाथ में वीणा लिए हुए हैं। वह जगत के पालनहार भगवान विष्णु के परम भक्त थे। उनको तीनों लोकों में वायु मार्ग के द्वारा आने जाने का वरदान मिला हुआ था। इसलिए वह विष्णु जी की महिमा का बखान तीन लोकों में किया करते थे। इसी कारण उन्हें तीनों लोकों को खबर रहती थी। यही वजह है कि उन्हें सृष्टि का पहला पत्रकार भी माना जाता है। उन्होंने कठिन तपस्या के द्वारा ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया था।*
*🌷~मिला था ये श्राप नारद मुनि को अपने पिता ब्रह्मा जी से भी एक श्राप मिला था। पुराणों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने नारद मुनि को सृष्टि के कामों में उनका हाथ बटाने और विवाह करने के लिए कहा था, लेकिन लेकिन उन्होंने अपने पिता ब्रह्मा की आज्ञा का पालन करने से मना कर दिया और विष्णु जी की भक्ति में लीन रहे, जिसकी वजह से ब्रह्मा जी ने उन्हें श्राप दिया कि तुम आजीवन अविवाहित रहोगे।*
*🌷~पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 23 मई को शाम 07 बजकर 23 मिनट से होगा और वहीं इसका समापन अगले दिन 24 मई को शाम 07 बजकर 24:17 मिनट पर होगा। ऐसे में नारद जयंती का पर्व 24 मई को मनाया जाएगा।*
*🌷~शुक्रवार विशेष*
*🌷~ शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी और शुक्र देव को समर्पित माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करने से सुख-समृद्धि बनी रहती है और धन का लाभ मिलता है. शुक्र देव की कृपा से जीवन में सुख-सौंदर्य और रोमांस बना रहता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र देव की कृपा हो तो व्यक्ति जीवन में कभी भी किसी भी तरह की कमी नहीं होती. शुक्रवार के दिन कुछ कार्यों को करने की मनाही है, जिनको करने से मां लक्ष्मी साधक से रुष्ट हो सकती हैं. शुक्रवार के दिन कुछ चीज़ें खरीदना भी अशुभ माना जाता है.*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको केवल जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*