*🌷~पंचांग~🌷*
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विक्रमसंवत्~2081🌷*
*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*🌷दिनांक - 21 मई 2024 मंगलवार🌷
* *🌷~मास~वैशाख शुक्लपक्ष*
*🌷~रितु~ ग्रीष्म*
*🌷~आयन~ उत्तरायण*
*🌷~संवत्सर क्रोधी (उत्तर) कालयुक्त*
*🌷~गुजराती संवत 2080*
*🌷~शक संवत 1946*
*🌷~कलि संवत 5125*
*🌷~सौर प्रविष्टे 2,वैशाख*
*🌷~नागौर(राजस्थान), भारत*
*🌷~ कृष्ण पक्ष,*
*🌷~तिथि~वैशाख शुक्ल पक्ष,
त्रयोदशी 05:39:02 पी एम पश्चात चतुर्दशी*
*🌷~नक्षत्र चित्रा 29:45:10 पश्चात स्वाति*
*🌷~ योग व्यतिपत 12:34:26 पश्चात वरियान*
*🌷~करण तैतुल 17:39:03
पश्चात गर *
*🌷~चन्द्र राशि तुला*
*🌷~सूर्य राशि वृषभ *
*🌷~सूर्योदय 05:45:10*
*🌷~सूर्यास्त 07:18:26*
*🌷~राहू काल 03:55
04:37 अशुभ*
*🌷~प्रदोष काल 07:18 - 21:22 शुभ*
*🌷~दिशा शूल ~ उत्तर दिशा*
*🌷~राहु वास ~ पश्चिम दिशा*
*🌷~ब्रह्म मुहूर्त 04:21 ए एम से 05:02 ए एम*
*🌷~अभिजित मुहूर्त ~ 12:05 पी एम से 12:59 पी एम*
*🌷~निशिता मुहूर्त 12:11 ए एम, से may 22 12:52 ए एम, may22*
*🌷~व्रत पर्व विवरण - नृसिंह जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस जयंती का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है। भगवान श्रीनृसिंह शक्ति तथा पराक्रम के प्रमुख देवता हैं। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं एवं धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी तिथि को भगवान विष्णु ने 'नृसिंह अवतार' लेकर दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। भगवान विष्णु ने अधर्म के नाश के लिए कई अवतार लिए तथा धर्म की स्थापना की।*
*🌷~विशेष - *🌹ॐ नमो नारायण 🌹*
*आप सभी को नरसिंह जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें*
*नृसिंह जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है। इस जयंती का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्त्व है।*
*नरसिंह नर + सिंह* *("मानव-सिंह")* *को पुराणों में भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। जो आधे मानव एवं आधे सिंह के रूप में प्रकट होते हैं, जिनका सिर एवं धड तो मानव का था लेकिन चेहरा एवं पंजे सिंह की तरह थे[वे भारत में, खासकर दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा एक देवता के रूप में पूजे जाते हैं जो विपत्ति के समय अपने भक्तों की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।*
*बिहार राज्य के पूर्णिया जिला के बनमनखी में सिकलीगढ़ धरहरा गांव हैं। बताया जाता है कि इसी गांव में भगवान नरसिंह अवतरित हुए थे और यही वो गांव है जहां भक्त प्रह्लाद की बुआ होलिका अपने भतीजे को गोद में लेकर आग में बैठी थी।* *मान्यता के मुताबिक यहीं से होलिकादहन की परंपरा की शुरुआत हुई थी।*
*ऐसी मान्यता है कि प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का किला सिकलीगढ़ में था। गांव के बड़े बुजुर्गों की माने तो अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए खंभे से भगवान नरसिंह ने अवतार लिया था।* *मान्यता है कि उस खंभे का एक हिस्सा जिसे माणिक्य स्तंभ के नाम से जाना जाता है वो आज भी मौजूद है।* *इसी स्थान पर प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का वध हुआ था।* *खास बात ये है कि माणिक्य स्तंभ 12 फीट मोटा है और करीब 65 डिग्री पर झुका हुआ है।*
*ओम नमो भगवते वासुदेवाय* 🙏🏽🌹🌹🚩🚩❤️❤️
*❣️चोघडिया, दिन❣️*
*रोग 05:45 - 07:27 अशुभ*
*उद्वेग 07:27 - 09:08 अशुभ*
*चर 09:08 - 10:50 शुभ*
*लाभ 10:50 - 12:32 शुभ*
*अमृत 12:32 - 14:13 शुभ*
*काल 14:13 - 15:55 अशुभ*
*शुभ 15:55 - 17:37 शुभ*
*रोग 17:37 - 19:18 अशुभ*
*❣️चोघडिया, रात❣️*
*काल 19:18 - 20:37 अशुभ*
*लाभ 20:37 - 21:55 शुभ*
*उद्वेग 21:55 - 23:13 अशुभ*
*शुभ 23:13 - 24:32 शुभ*
*अमृत 24:32* - 25:50 शुभ*
*चर 25:50 - 27:08 शुभ*
*रोग 27:08 - 28:26 अशुभ*
*काल 28:26 - 29:45 अशुभ*
*❣️❣️❣️❣️❣️❣️*
*❣️ कथा❣️*
*❣️नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक है। नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के इस अवतरण की कथा इस प्रकार है-*
*❣️प्राचीन काल में कश्यप नामक ऋषि हुए थे, उनकी पत्नी का नाम दिति था। उनके दो पुत्र हुए, जिनमें से एक का नाम 'हरिण्याक्ष' तथा दूसरे का 'हिरण्यकशिपु' था। हिरण्याक्ष को भगवान विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा हेतु वराह रूप धरकर मार दिया था। अपने भाई कि मृत्यु से दुखी और क्रोधित हिरण्यकशिपु ने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए अजेय होने का संकल्प किया। सहस्त्रों वर्षों तक उसने कठोर तप किया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उसे अजेय होने का वरदान दिया। वरदान प्राप्त करके उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। लोकपालों को मारकर भगा दिया और स्वत: सम्पूर्ण लोकों का अधिपति हो गया। देवता निरूपाय हो गए थे। वह असुर हिरण्यकशिपु को किसी प्रकार से पराजित नहीं कर सकते थे।*
*❣️भक्त प्रह्लाद का जन्म*
*अहंकार से युक्त हिरण्यकशिपु प्रजा पर अत्याचार करने लगा। इसी दौरान हिरण्यकशिपु कि पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम 'प्रह्लाद' रखा गया।* *एक राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी प्रह्लाद में राक्षसों जैसे कोई भी दुर्गुण मौजूद नहीं थे तथा वह भगवान नारायण का भक्त था। वह अपने पिता हिरण्यकशिपु के अत्याचारों का विरोध करता था।*
*हिरण्यकशिपु का वध*
*भगवान-भक्ति से प्रह्लाद का मन हटाने और उसमें अपने जैसे दुर्गुण भरने के लिए हिरण्यकशिपु ने बहुत प्रयास किए। नीति-अनीति सभी का प्रयोग किया, किंतु प्रह्लाद अपने मार्ग से विचलित न हुआ। तब उसने प्रह्लाद को मारने के लिए षड्यंत्र रचे, किंतु वह सभी में असफल रहा। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर संकट से उबर आता और बच जाता था। अपने सभी प्रयासों में असफल होने पर क्षुब्ध हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर जिन्दा ही जलाने का प्रयास किया। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती, परंतु जब प्रह्लाद को होलिका की गोद में बिठा कर अग्नि में डाला गया तो उसमें होलिका तो जलकर राख हो गई, किंतु प्रह्लाद का बाल भी बाँका नहीं हुआ। इस घटना को देखकर हिरण्यकशिपु क्रोध से भर गया। उसकी प्रजा भी अब भगवान विष्णु की पूजा करने लगी थी। तब एक दिन हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद से पूछा कि बता- "तेरा भगवान कहाँ है?" इस पर प्रह्लाद ने विनम्र भाव से कहा कि "प्रभु तो सर्वत्र हैं, हर जगह व्याप्त हैं।"* *क्रोधित हिरण्यकशिपु ने कहा कि "क्या तेरा भगवान इस स्तम्भ (खंभे) में भी है?"*
*प्रह्लाद ने हाँ में उत्तर दिया। यह सुनकर क्रोधांध हिरण्यकशिपु ने खंभे पर प्रहार कर दिया। तभी खंभे को चीरकर श्रीनृसिंह भगवान प्रकट हो गए और हिरण्यकशिपु को पकड़कर अपनी जाँघों पर रखकर उसकी छाती को नखों से फाड़ डाला और उसका वध कर दिया। श्रीनृसिंह ने प्रह्लाद की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि आज के दिन जो भी मेरा व्रत करेगा, वह समस्त सुखों का भागी होगा एवं पापों से मुक्त होकर परमधाम को प्राप्त होगा। अत: इस कारण से इस दिन को "नृसिंह जयंती-उत्सव" के रूप में मनाया जाता है।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*🌷~ अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*🌷~हमारा उद्देश्य मात्र आपको जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*🌷~पंचांग को यदि जीवन में ठीक ढंग से follow किया जाए तो दुःख, कष्ट, रोग, विफलता और भयंकर दुखों से मुक्ति का मार्ग मिलता है, तथा जीवन आनंद, सुख, अच्छे स्वास्थ्य सफलता और आध्यात्मिक विकास भी मिलता हैं।*
*🌷~राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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