*🌷~पंचांग~🌷*
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विक्रमसंवत्~2081🌷*
*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*🌷17 मई 2024 शुक्रवार🌷
* *🌷~मास~वैशाख शुक्लपक्ष*
*🌷~रितु~ ग्रीष्म*
*🌷~आयन~ उत्तरायण*
*🌷~संवत्सर क्रोधी (उत्तर) कालयुक्त*
*🌷~गुजराती संवत 2080*
*🌷~शक संवत 1946*
*🌷~कलि संवत 5125*
*🌷~सौर प्रविष्टे 2, वैशाख *
*🌷~नागौर(राजस्थान), भारत*
*🌷~ कृष्ण पक्ष, *
*🌷~तिथि~वैशाख शुक्ल पक्ष,
नवमी 08:48:19पश्चात दशमी*
*🌷~नक्षत्र~ पूर्व फाल्गुनी 21:17:03 उत्तर फाल्गुनी*
*🌷~ योग व्याघात 09:19:35 पश्चात हर्शण*
*🌷~करण कौलव 08:48:19
पश्चात गर *
*🌷~चन्द्र राशि सिंह till 28:03:47*
*🌷~चन्द्र राशि कन्या from 28:03:47*
*🌷~सूर्य राशि वृषभ *
*🌷~सूर्योदय 05:46:59*
*🌷~सूर्यास्त 07:16:12*
*🌷~राहू काल 10:50
12:32 अशुभ*
*🌷~प्रदोष काल19:16 - 21:20 शुभ*
*🌷~दिशा शूल ~ पश्चिम दिशा*
*🌷~राहु वास ~ दक्षिण-पूर्व दिशा*
*🌷~ब्रह्म मुहूर्त 04:22 ए एम से 05:05 ए एम*
*🌷~अभिजित मुहूर्त ~ 12:05 पी एम से 12:59 पी एम*
*🌷~निशिता मुहूर्त 12:10 ए एम, अप्रैल 27 से 12:52 ए एम, अप्रैल 28*
*🌷~व्रत पर्व विवरण - शुक्रवार के व्रत के कुछ नियम ये हैं:
इस दिन आटे का सेवन नहीं करना चाहिए।*
*तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए*
*घर को साफ़ रखना चाहिए
व्रती किसी का अपमान नहीं करेगा और न ही किसी से लड़ाई-झगड़ा करेगा*
*खट्टी चीज़ें नहीं खानी चाहिए
मदिरा नहीं पीनी चाहिए*
*मांसाहारी चीज़ें नहीं खानी चाहिए*
*उधार नहीं लेना चाहिए और न ही देना चाहिए*
*🌷~विशेष - नवमी को लौकी खाना गौ मांस के समान त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*❣️चोघडिया, दिन❣️*
*चर 05:47 - 07:28 शुभ*
*लाभ 07:28 - 09:09 शुभ*
*अमृत 09:09 - 10:50 शुभ*
*काल 10:50 - 12:32 अशुभ*
*शुभ 12:32 - 14:13 शुभ*
*रोग 14:13 - 15:54 अशुभ*
*उद्वेग 15:54 - 17:35 अशुभ*
*चर 17:35 - 19:16 शुभ*
*❣️चोघडिया, रात❣️*
*रोग 19:16 - 20:35 अशुभ*
*काल 20:35 - 21:54 अशुभ*
*लाभ 21:54 - 23:13 शुभ*
*उद्वेग 23:13 - 24:31 अशुभ*
*शुभ 24:31 - 25:50 शुभ*
*अमृत 25:50 - 27:09 शुभ*
*चर 27:09 - 28:28 शुभ*
*रोग 28:28 - 29:46 अशुभ*
*❣️❣️❣️❣️❣️❣️*
*❣️ *🌷~अगर किसी जातक की जन्म कुंडली में किसी ग्रह पर पाप पर प्रभाव हो या कुयोग में हो या किसी भाव में ग्रह जनित कुयोग हो तो व्यक्ति किसी न किसी रोग से ग्रसित होता है। अब आपको देखना चाहिये कि किस ग्रह के कारण कौनसा रोग हो सकता है।*
*❣️ *🌷~ सूर्य - पित्त कुपित नेत्र विकार, अस्थिज्वर, अस्थिभंग,कर्णरोग, जलन, हृदयरोग, चित्तव्याकुलता, अनि-शस्त्र-
काष्ठ-वाहन चोट, मस्तिष्क विकार, विविध ज्वर ।*
*❣️ *🌷~ चन्द्र - रक्त विकार, रक्तचाप, रक्त अल्पता, जलोदर,उन्माद, मति विभ्रम मानसिक प्रकोप, मानस अस्थिरता, शीत ज्वर, जुकाम, कफ विकार, पागलपन गतिमति ।*
*❣️ *🌷~मंगल - पित्त प्रकोप, जलना, गिरना, गुप्त विकार,शिरशूल, मुख रोग, उदर विकार, फोड़े फुन्सी, आन्त्र रोग,बवासीर, खुजली, अल्सर, टाइफाइड-मोतीझरा, स्नायु दुर्बलता ।*
*❣️ *🌷~बुध - वात-पित्त-कफ-चर्म-कर्ण आदि विकार, भ्रान्ति,गले एवं नासिका रोग, घाव का नहीं भरना, बौद्धिक असन्तुलन, पीलीया, खुजली, गुप्त रोग, उदर रोग, मधुमेह,मंदाग्नि, संग्रहणी, चेचक कुष्ठ, वाणि विकार, दाद, पक्षाघात*
*❣️ *🌷~गुरू- गठिया कमर वायु कफ मुख आदि विकार, शोध- सूजन, स्थूलता, दुर्बलता, पैर विकार, कब्ज, लीवर,कमर, कर्ण - विकार ।*
*❣️ *🌷~शुक्र - वीर्य - मूत्र विषयक रोग, गुप्त रोग, स्नायविक दुर्बलता, मधुमेह कामान्ध वासना रोग, शीघ्रपतन, स्वप्न दोष, धातुक्षय, कफ-वायु विकार, कब्ज नेत्र रोग ।*
*❣️ *🌷~शनि - पांव, घुटने, संधि स्थान विकार, पेट-मज्जा दुर्बलता,चोट मोच संघात, रक्ताल्पता, वायु विकार, अंगवक्रता, पक्षाघात,गंजापन, केश न्यूनता, उन्माद, हृदय रोग।*
*❣️ *🌷~ राहु - विविध अंग पीड़ा, रक्ताल्पता, त्वचा, मानस रोग,संक्रामक व्याधि, बवासीर, पशु विष जीव आदि से पीड़ा,वाहन पीड़ा, हाथ पैर सूजन, हृदय विकार ।*
*❣️ *🌷~केतु- कामवासना सम-विषम से व्यथा, व्यवहार विकार,पाचन कमजोरी, गर्भपात, पथरी, गुप्त रोग एवं असाध्य रोग,खांसी, सर्दी, जुकाम तथा वात पित्त जनित रोग विकार।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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