*⛅तिथि एकादशी 20:38:12*
*⛅पक्ष कृष्ण
*⛅नक्षत्र पूर्वभाद्रपदा 10 :06:15*
*⛅योग ऐन्द्र 11:02:14*
*⛅करण बव 10:02:39*
*⛅करण बालव 20:38:12*
*⛅वार शनिवार
*⛅माह (अमावस्यांत) चैत्र
*⛅माह (पूर्णिमांत) वैशाख
*⛅चन्द्र राशि कुम्भ
till16:37:15
*⛅चन्द्र राशि मीन from04:37:15*
*⛅सूर्य राशि मेष
*⛅रितु ग्रीष्म
*⛅आयन उत्तरायण
*⛅संवत्सर क्रोधी
*⛅संवत्सर (उत्तर) कालयुक्त
*⛅ विक्रम संवत 2081
*⛅गुजराती संवत 2080
*⛅शक संवत 1946
*⛅कलि संवत 5125
*⛅सौर प्रविष्टे 21, वैशाख
*⛅सूर्योदय 05:55:10
*⛅सूर्यास्त 19:09:53
*⛅दिन काल 13:12:24
*⛅रात्री काल 10:45:00
*⛅ चंद्रास्त 03:13:32
*⛅ चंद्रोदय 03:49:21*
*⛅राहु काल-हर जगह का अलग है - सुबह 09:14 से दोपहर 10:53 तक*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
*काल 05:55 - 07:34 अशुभ*
*शुभ 07:34 - 09:14 शुभ*
*रोग 09:14 - 10:53 अशुभ*
*उद्वेग 10:53 - 12:32 अशुभ*
*चर 12:32 - 14:11 शुभ*
*लाभ 14:11 - 15:50 शुभ*
*अमृत 15:50 - 17:30 शुभ*
*काल 17:30 - 19:09 अशुभ*
*⛅चोघडिया, रात⛅*
*लाभ 19:09 - 20:30 शुभ*
*उद्वेग 20:30 - 21:50 अशुभ*
*शुभ 21:50 - 23:11 शुभ*
*अमृत 23:11 - 24:32 शुभ*
*चर 24:32 - 25:52 शुभ*
*रोग 25:52 - 27:13 अशुभ*
*काल 27:13 - 28:34 अशुभ*
*लाभ 28:34 - 29:54 शुभ*
कुसुमा ( क़ुसुम ) योग
ज्योतिषाचार्य शर्मा की कलम से - ज्योतिष मैं कुसुमा योग का बड़ा ही महत्व है जातक पारिजात के अनुसार इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त होते हैं। ऐसा व्यक्ति महान नेता होता है और अपार ज्ञान प्राप्त करता है। वह सुखी, भाग्यशाली, बुद्धिमान और प्रभावशाली होता है।
कुसुमा योग का निर्माण-
स्थिर लग्ने भृगौ केन्द्रे त्रिकोणेन्द्रौ शुभेत्रे । मनस्थांगते सुआरे योगो यं कुसुमो भवेत् ।।
कुसुम योग तब बनता है जब कुण्डली में लग्न स्थिर राशि का हो. कुसुम योग के निर्माण के लिए शुक्र केंद्र में, चंद्रमा त्रिकोण भाव में और शनि दशम भाव में होना चाहिए। कुछ लोगों के अनुसार लग्न स्थिर राशि न होकर चर राशि होनी चाहिए।
एक अन्य मत के अनुसार बृहस्पति को स्थिर राशि में होना चाहिए। कुसुम योग के निर्माण के लिए शनि दसवें घर में, सूर्य दूसरे घर में और चंद्रमा पांचवें या नौवें घर में होना चाहिए।
त्रिफला के अनुसार: लग्नसप्तमगे चंद्रे चंद्रदष्टमगे रवौ । गुरुना स्थित्यते लग्ने कुसुमो योग ईरित ।।
कुसुम योग तब बनता है जब चंद्रमा सातवें घर में हो, सूर्य चंद्रमा से आठवें घर में हो और बृहस्पति लग्न में हो।
कुसुम योग का प्रभाव-
जातक पारिजात के अनुसार : दाता महिमंडलनाथबंद्यो भोगी महावंशराजमुख्य । लोके महाकीर्तियुक्त प्रतापी नाथो नाराणं कुसुमोद्रव स्यात् ||
कुसुम योग व्यक्ति को कोमल हृदय से उदार बनाता है। इस योग वाले व्यक्ति का जन्म प्रतिष्ठित परिवार में होता है। उसे यश, सम्मान और सफलता प्राप्त होती है। व्यक्ति की यह स्थिति ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती है।
इस योग वाला व्यक्ति राजा के समान जीवन व्यतीत करता है। वह अपने परिवार या समाज का एक सफल नेता हो सकता है। कुसुम योग आमतौर पर उदार, बुद्धिमान और कुशल लोगों की कुंडलियों में पाया जाता है।
कुसुम योग तब बनता है जब कुण्डली में लग्न स्थिर राशि का हो. स्थिर राशियाँ मेष, कर्क, तुला और मकर हैं। कुसुम योग के निर्माण के लिए शुक्र केंद्र में, चंद्रमा त्रिकोण भाव में और शनि दशम भाव में होना चाहिए। कुछ विद्वानों के अनुसार लग्न में चर राशि होनी चाहिए। चर राशियाँ वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ हैं।
कुसुम योग के प्रभाव से व्यक्ति राजा के समान जीवन व्यतीत करता है। वह बहुत सफल हो सकता है. आधुनिक समय में व्यक्ति उच्च पद पर या मंत्री भी हो सकता है। इस योग वाला व्यक्ति आमतौर पर खुश और विनम्र होता है। यह योग कुंडली को मजबूती प्रदान करता है। कुसुम योग आमतौर पर उदार, बुद्धिमान और कुशल लोगों की कुंडलियों में पाया जाता है।
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