*🌷~पंचांग~🌷*
*🌷 विक्रमसंवत्~2081🌷*
*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*🌷28 अप्रैल 2024 गुरुवार🌷
* *🌷~मास~वैशाख कृष्ण पक्ष*
*🌷~रितु~ ग्रीष्म*
*🌷~आयन~ उत्तरायण*
*🌷~संवत्सर क्रोधी (उत्तर) कालयुक्त*
*🌷~गुजराती संवत 2080*
*🌷~शक संवत 1946*
*🌷~कलि संवत 5125*
*🌷~सौर प्रविष्टे 2, वैशाख *
*🌷~नागौर(राजस्थान), भारत*
*🌷~ कृष्ण पक्ष, *
*🌷~तिथि~वैशाख कृष्ण पक्ष, चतुर्थी 08:21:0तत्पश्चात पंचमी*
*🌷~नक्षत्र मूल 04:47:53
तत्पश्चात पूर्वाषाढा*
*🌷~ योग सिद्ध 03:22:21 पश्चात साध्य*
*🌷~करण बालव 8:21:09पश्चात बालव*
*🌷~चन्द्र राशि वृश्चिक till 28:27:03*
*🌷~चन्द्र राशि धनु *
*🌷~सूर्य राशि मेष*
*🌷~सूर्योदय 05:59:54*
*🌷~सूर्यास्त 07:05:31*
*🌷~राहू काल 05:27 - 07:06 अशुभ*
*🌷~दिशा शूल ~ पश्चिम *
*🌷~राहु वास ~ उत्तर*
*🌷~ब्रह्म मुहूर्त 04:32 ए एम से 05:15 ए एम*
*🌷~अभिजित मुहूर्त 12:06 पी एम से 12:59 पी एम*
*🌷~निशिता मुहूर्त 12:11 ए एम, अप्रैल 27 से 12:54 ए एम, अप्रैल 28*
*❣️चोघडिया, दिन❣️*
*उद्वेग 05:59 - 07:38 अशुभ*
*चर 07:38 - 09:16 शुभ*
*लाभ 09:16 - 10:55 शुभ*
*अमृत 10:55 - 12:33 शुभ*
*काल 12:33 - 14:11 अशुभ*
*शुभ 14:11 - 15:49 शुभ*
*रोग 15:49 - 17:27 अशुभ*
*उद्वेग 17:27 - 19:06 अशुभ*
*❣️चोघडिया, रात❣️*
*शुभ 19:06 - 20:27 शुभ*
*अमृत 20:27 - 21:49 शुभ*
*चर 21:49 - 23:11 शुभ*
*रोग 23:11 - 24:32* अशुभ*
*काल 24:32 - 25:54 अशुभ*
*लाभ 25:54 - 27:16 शुभ*
*उद्वेग 27:16 - 28:37 अशुभ*
*शुभ 28:37 - 29:59 शुभ*
*❣️अश्लेषा नक्षत्र❣️*
*( HYDRAE )*
*❣️स्त्री संज्ञक
*❣️स्वामी – बुध
*❣️अंग – ठुड्डी
*❣️देवता – सर्प
🔹वृक्ष – नाग केशर , चन्दन
🔹अक्षर – डी , डू , डे , डो
🔹 मंत्र – ॥ ॐ नमोSस्तु सर्पेभ्यो ये के च पृथ्विमनु: ये अन्तरिक्षे ये दिवि तेभ्य: सर्पेभ्यो नम: । ॐ सर्पेभ्यो नम: ॥
♦️अश्लेशा नक्षत्र के अंत की 2 घड़ी ( 48 मिनट ) तक विशेष गंडमूल नक्षत्र माना जाता है । अतः जन्म के बाद इसकी शांति अवश्य करवाएँ । ♦️
अश्लेषा नक्षत्र का अधिदेवता सर्प है । अत : सर्प की तरह भयंकर , फुकारने वाले जातक होते हैं । इन लोगों का क्रोध सदा नाक पर रखा रहता है । थोड़ा सा छेड़ते ही ये तुरन्त उत्तेजित हो जाते है । दूसरों को चकमा देने में ये माहिर होते हैं । इनकी आंखें प्रायः छोटी , लेकिन खतरनाक दिखती है । क्रूर व सख्त आचरण इनकी पहचान होती है । ( पराशर )
इन लोगों का व्यसन भी जल्दी पड़ते हैं । स्वभाव से देने के इच्छुक , मिल बाँट कर खाने वाले , दोस्तों के दोस्त होते हैं । बेकार के कामों में धन खर्च करना इनका स्वभाव होता है ।
( वराह )
आश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातक-जातिकाओं के लिए कहा गया है कि उनकी दृष्टि भेदक होती है। उनकी दृष्टि मात्र में एक शक्ति होती है जो सामने वाले को प्रभावित किये बिना नहीं छोडती । आश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातक भाग्यशाली, हष्ट-पुष्ट होते हैं तथापि वे रुग्ण व्यक्तित्व का आभास दिलाते हैं । वे वाचाल भी होते हैं तथापि उनकी वाणी में लोगों को मुग्ध करने की शक्ति होती है । उनमें निहित बुद्धिमानी एवं नेतृत्व की क्षमता उन्हें शीर्षस्थ पर पहुँचने की प्रेरणा देती है । इस नक्षत्र में जातक किसी भी बात पर आँख मूंदकर विश्वास नहीं करते । उन्हें अपनी स्वतंत्रता में किसी का भी कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं होता । आश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातकों में एक विशेषता यह भी होती है कि आँख मूंदकर उनका अनुसरण करने बाले लोगों के हित के लिए वे किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। यद्यपि वे न किसी से विश्वासघात करते हैं, और न किसी को धोखा देना पसंद करते हैं । उनका उग्र स्वभाव लोगों को उनका विरोधी बना देता है और अवसर मिलते ही ऐसे लोग उन्हें धोखा देने से नहीं चूकते। आश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातकों की शैक्षिक रुचि के विषय अक्सर कला एवं वाणिज्य व्यवसाय के होते हैं । ऐसे जातकों की पत्नियां अक्सर उन्हें समझ नहीं पाती । दूसरे उसमें स्वार्थपरता की भावना भी अधिक होती है । ऐसे जातकों को नशे से बचने की सलाह दी गयी है।
♦️आश्लेषा नक्षत्र में जन्मी जातिकाएं विशेष सुंदर नहीं होती । वे नैतिकता के उच्च आदर्शों से प्रेरित होती हैं । उनमें आत्म संयम एवं लज्जा की भावना भी प्रचुर मात्रा में होती है । वे कार्यदक्ष होती हैं । घरेलू कामकाज में भी और अवसर मिलने पर प्रशासनिक कार्यों में भी ।
👉 प्रथम चरण में बड़ा शरीर , स्वच्छ आँखें , बहुत प्रतापी , गोरा रंग , सुन्दर नाक , अच्छा वक्ता व बड़े दाँत होते हैं ।
👉द्वितीय चरण में छितरे खुले बालों वाला , कम रोमों वाला , गोलमटोल सा शरीर , पिण्डली पर खूब नसें दिखती हैं । दूसरों के घर में रहने वाला अर्थात् किरायेदार या रखवाला ।
👉 तृतीय चरण में कांटे के समान सिर वाला अर्थात् शिर में उभार वाला , खराब कारीगर , आकर्षक मुख व भुजाएं व शरीर , कछुए के समान धीमा चलने वाला , बीच से चपटी नाक , त्वचा विकार से युक्त होता है ।
👉चौथे चरण में गोरा , मछली के समान आँखें , चर्बीयुक्त शरीर , कोमल पैर , भारी जाँघ , पतले टखने व घुटनों वाला , लम्बी तुड्डी , लम्बे होंठ , भारी व चौड़ी छाती होती है ।
♦️ कारकत्व ♦️
झूठे , जुआरी , वायदा व्यापारी , शेयर सट्टा करने वाले , धातु व्यवसायी , दवा निर्माण कार्य , कैमिस्ट , मुकद्मा , विवाह कराने वाले , व्यापारी , रत्न व्यवसायी , कृत्रिम वस्तुएं बनाने वाले , नकलची , फोटो व्यवसायी , फोटो स्टेट , जड़ी बूटी व्यवसाय , फल , सर्पपालक , सर्प साधने वाले जहरीले जन्तुओं को पालने वाले , ठग , शल्य चिकित्सक , चिकित्सकीय जाँच करने वाले , मोटे अनाज के व्यवसायी
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यह फलादेश अलग - अलग ग्रन्थों से लिया गया है । यह एक सामान्य जानकारी है । कोई आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन से सभी बातें मिलान करें । नक्षत्र , ग्रह , राशि के साथ सम्पूर्ण कुंडली विश्लेषण के बाद आखिरी निर्णय होता है ।
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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