*🌷~पंचांग~🌷*
*🌷 विक्रमसंवत्~2081🌷*
*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*🌷21अप्रैल2024 रविवार🌷*
*🌷~मास~ चैत्र शुक्ल पक्ष*
*🌷~रितु~ बसंत*
*🌷~आयन~ उत्तरायण*
*🌷~संवत्सर~ क्रोधी (उत्तर) कालयुक्त*
*🌷~गुजराती संवत 2080*
*🌷~शक संवत 1946*
*🌷~कलि संवत 5125*
*🌷~सौर प्रविष्टे 2, वैशाख *
*🌷~नागौर(राजस्थान), भारत*
*🌷~ शुक्ल पक्ष, चैत्र*
*🌷~तिथि~चैत्र शुक्ल पक्ष, त्रयोदशी 01:10:50 pm तक तत्पश्चात चतुर्दशी *
*🌷~नक्षत्र उत्तर फाल्गुनी 17:07:09 हस्त*
*🌷~योग व्याघात 02:42:41*
*🌷~करण कौलव 11:57:22*
*🌷~चन्द्र राशि कन्या
*🌷~सूर्य राशि मेष*
*🌷~सूर्योदय 06:06:07*
*🌷~सूर्यास्त 07:01:41*
*🌷~राहू काल 05:25 - 07:02अशुभ*
*🌷~ दिशा शूल~ पश्चिम*
*🌷~ब्रह्म मुहूर्त 04:37AM से 05:21AM*
*🌷~अभिजित मुहूर्त 12:08Pm एम से 01:00 pm*
*🌷~निशिता मुहूर्त 12:11AM, अप्रैल 21 से 12:55 AM, अप्रैल 22*
*🌷~गोधूलि मुहूर्त 07:02Pm से 07:24pm*
*🌷~चोघडिया, दिन~🌷*
*उद्वेग 06:06 - 07:43 अशुभ*
*चर 07:43 - 09:20 शुभ*
*लाभ 09:20 - 10:57 शुभ*
*अमृत 10:57 - 12:34 शुभ*
*काल 12:34 - 14:11 अशुभ*
*शुभ 14:11 - 15:48 शुभ*
*रोग 15:48 - 17:25 अशुभ*
*उद्वेग 17:25 - 19:02 अशुभ*
*🌷~चोघडिया, रात~🌷*
*शुभ 19:02 - 20:25 शुभ*
*अमृत 20:25 - 21:48 शुभ*
*चर 21:48 - 23:11 शुभ*
*रोग 23:11 - 24:33 अशुभ*
*काल 24:33 - 25:56 अशुभ*
*लाभ 25:56 - 27:19 शुभ*
*उद्वेग 27:19 - 28:42 अशुभ*
*शुभ 28:42 - 30:05 शुभ*
*🌷~*🌷~ हिंदू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और मंत्र*
*🌷~प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखने से पारिवारिक सुख मिलता है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। अप्रैल के महीने में 21 तारीख को प्रदोष व्रत है, इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त क्या होगा और कैसे भगवान शिव की पूजा आपको करनी चाहिए, आइए जानते हैं।*
*🌷~हर हिंदू माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को शिव भक्तों के द्वारा प्रदोष व्रत रखा जाता है, और शिव जी की आराधना की जाती है। चैत्र माह हिंदू कैलेंडर का पहला महीना है और इस महीने त्रयोदशी तिथि 21 अप्रैल को है। यानि इसी दिन हिंदू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या है और कैसे भगवान शिव की आराधना आपको करनी चाहिए, आइए जानते हैं विस्तार से।*
*🌷~प्रदोष व्रत तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त*
*पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 अप्रैल को रात्रि 10 बजकर 40:59 मिनट से शुरू हो जाएगी। त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 22 अप्रैल को 1 बजकर 10 मिनट 50यानि देर रात्रि में होगी। उदयातिथि को ध्यान में रखते हुए प्रदोष व्रत 21 अप्रैल को ही रखा जाएगा।*
*🌷~प्रदोष काल में शिव पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- 21 अप्रैल शाम 6 बजकर 50 मिनट से 9 बजकर 1 मिनट तक*
*🌷~प्रदोष व्रत पूजा-विधि और मंत्र*
*चैत्र माह को पड़ने वाला हिंदू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत 21 अप्रैल, रविवार के दिन है। इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन पूजा करने से आपको भगवान शिव और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर आपको स्नान आदि के बाद सूर्य को जल का अर्घ्य देना चाहिए और उसके बाद शिव पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। प्रदोष व्रत में सांय कालीन पूजा का महत्व अधिक है, इसलिए सुबह के समय व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान शिव की आरती कर लेनी चाहिए और इसके बाद सांय काल में विधिवत पूजा आपको करनी चाहिए।*
*🌷~शाम के समय भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर के सामने धूप-दीप दिखाकर उन्हें फल-फूल आदि अर्पित करते हुए षोडषोपचार से पूजा आरंभ करनी चाहिए। शिव जी को बेलपत्र, धतुरा, आक के फूल भी अतिप्रिय हैं इसलिए ये चीजें भी उनको अर्पित कर सकते हैं। इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जप आप कर सकते हैं। पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ आपको करना चाहिए और साथ ही शिव जी का ध्यान भी कुछ समय के लिए करना चाहिए। अंत में पूजा समाप्ति से पहले भगवान शिव की आरती करें। पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद वितरण घर के लोगों में करें और स्वयं भी खाएं, प्रसाद के रूप में आप खीर, सूजी आदि बना सकते हैं।*
*🌷~भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन मंत्रों का करें जप *
"ऊँ नमः शिवाय।*
*ऊँ नमो भगवते रुद्राय नमः*
*ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्।।*
*ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥*
*🌷~प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा आराधना करने से पारिवारिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है। ये व्रत जितना सांसारिक लोगों के लिए लाभदायक है उतना ही आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले लोगों के लिए भी। इस दिन शिव जी की आराधना से भक्त का आध्यात्मिक उत्थान होता है।*
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*🌷~यह पंचांग नागौर (राजस्थान) सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्यौहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*हमारा उद्देश्य मात्र आपको जानकारी देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य
लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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