*♦️पंचांग♦️*
*♦️ विक्रमसंवत्-2081♦️*
*🔱॥'ॐ कूष्माण्डायै नम:॥🔱*
*♦️मास - चैत्र शुक्ल पक्ष*
*♦️रितु वसंत*
*♦️आयन उत्तरायण*
*♦️संवत्सर क्रोधी*
*♦️संवत्सर (उत्तर) कालयुक्त*
*♦️तिथि - चतुर्थी रात्रि 01.11:20 तक,तत्पश्चात पंचमी*
*♦️ नक्षत्र रोहिणी 24:49:54 पश्चात मृगशीर्षा*
*♦️योग शोभन 24:32:33 पश्चात सौभाग्य *
*♦️करण विष्टि भद्र 13:11:20 बालव*
*♦️चन्द्र राशि मिथुन*
*♦️सूर्य राशि मेष*
*♦️राहू काल 11:01 से 12:36 तक अशुभ*
*♦️सूर्योदय 06:14:58 *
*♦️सूर्यास्त 06:56:55*
*♦️अभिजित 12:11 - 13:01 शुभ*
*♦️होरा, दिन शुक्र 06:15 - 07:18*
*♦️चोघडिया, दिन♦️*
*चर 06:15 - 07:50 शुभ*
*लाभ 07:50 - 09:25 शुभ*
*अमृत 09:25 - 11:01 शुभ*
*काल 11:01 - 12:36 अशुभ*
*शुभ 12:36 - 14:11 शुभ*
*रोग 14:11 - 15:46 अशुभ*
*उद्वेग 15:46 - 17:22 अशुभ*
*चर 17:22 - 18:57 शुभ*
*♦️चोघडिया, रात♦️*
*रोग 18:57 - 20:22 अशुभ*
*काल 20:22 - 21:46 अशुभ*
*लाभ 21:46 - 23:11 शुभ"
*उद्वेग 23:11 - 24:35 अशुभ*
*शुभ 24:35 - 26:00 शुभ*
*अमृत 26:00 - 27:25 शुभ*
*चर 27:25 - 28:49 शुभ*
*रोग 28:49 - 30:14 अशुभ*
*♦️दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*♦️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:30 तक*
*♦️ निशिता मुहूर्त- रात्रि 12.13 अप्रैल 09 से रात्रि 12.58 अप्रैल 09 तक*
*♦️व्रत पर्व विवरण- विनायक चतुर्थी, लक्ष्मी पंचमी*
*♦♦नवरात्रि का चतुर्थ दिवस: पढ़ें मां कूष्मांडा की पूजन विधि, श्लोक, मंत्र एवं भोग♦♦*
*♦शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा-आराधना की जाती है। अपनी मंद, हल्की हंसी द्वारा अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा जाता है। संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं। बलियों में कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है। इस कारण से भी मां कूष्माण्डा (कूष्मांडा) कहलाती हैं।♦*
*♦♦ मां कूष्मांडा की पूजन विधि, मंत्र एवं भोग-♦♦*
*नवरात्रि में इस दिन भी रोज की भांति सबसे पहले कलश की पूजा कर माता कूष्मांडा को नमन करें।*
*इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है।♦*
*♦देवी को लाल वस्त्र, लाल पुष्प, लाल चूड़ी भी अर्पित करना चाहिए।♦*
*♦मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित करें कि, उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहे। अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो इस दिन मां से खास निवेदन कर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए। ♦*
*♦♦देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। ♦♦*
*मां कूष्मांडा को विविध प्रकार के फलों का भोग अपनी क्षमतानुसार लगाएं। पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें।♦*
*♦♦देवी कूष्मांडा योग-ध्यान की देवी भी हैं। देवी का यह स्वरूप अन्नपूर्णा का भी है। उदराग्नि को शांत करती हैं। इसलिए, देवी का मानसिक जाप करें। देवी कवच को पांच बार पढ़ना चाहिए।♦♦*
*♦ध्यान जाप प्रसन्न करने के मंत्र-*
*श्लोक-♦*
*।।सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।।*
*।।दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥*
*♦सरल मंत्र- 'ॐ कूष्माण्डायै नम:।।♦*
*♦मां कूष्मांडा की उपासना का मंत्र- ♦*
*♦देवी कूष्मांडा की उपासना इस मंत्र के उच्चारण से की जाती है-*
*♦कुष्मांडा:* *ऐं ह्री देव्यै नम:*
*वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।*
*सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥♦*
*♦मंत्र: या देवि सर्वभूतेषू सृष्टि रूपेण संस्थिता*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।♦*
*♦अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे मां, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।♦*
*♦प्रसाद- माता कूष्मांडा के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद देना चाहिए। इससे माता की कृपा स्वरूप उनके भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि और कौशल का विकास होता है। और इस अपूर्व दान से हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाता है। ♦*
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*♦️यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के सेअनुसार है।*
*♦️आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*जनरुचि को ध्यान में रखकर दी जा रही है, उपाय और सलाहों को अपनी आस्था और विश्वास पर आजमाएं। हमारा उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*यह पंचांग निशुल्क नगर की जनता जनार्दन के सेवा में अलग अलग जगह से लेकर तैयार एवं नागौर के समय अनुसार है।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*
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