*♦️पंचांग♦️*
*♦️ विक्रमसंवत्-2081♦️*
*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*♦️11अप्रैल 2024गुरुवार♦️*
*🔱॥ॐ श्री चंद्रघंटाय नमः॥🔱*
*🔱 गणगौर पूजन🔱*
*♦️मास - चैत्र शुक्ल पक्ष*
*♦️तिथि - तृतीया दोपहर 03.02:49 तक,तत्पश्चात चतुर्थी*
*♦️नक्षत्र कृत्तिका 25:37:01
पश्चात रोहिणी*
*♦️योग प्रीति 07:17:50 पश्चात सौभाग्य*
*♦️योग आयुष्मान 28:27:56*
*♦️करण गर 15:02:49
पश्चात विष्टिभद्र*
*♦️राहू काल 02:15 - 03:46 अशुभ*
*♦️सूर्योदय सुबह: 06:16:00*
*♦️सूर्यास्त सांय: 06:56:24*
*♦️दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*♦️चोघडिया, दिन♦️*
*शुभ 06:16 - 07:51 शुभ*
*रोग 07:51 - 09:26 अशुभ*
*उद्वेग 09:26 - 11:01 अशुभ*
*चर 11:01 - 12:36 शुभ*
*लाभ 12:36 - 14:11 शुभ*
*अमृत 14:11 - 15:46 शुभ*
*काल 15:46 - 17:21 अशुभ*
*शुभ 17:21 - 18:56 शुभ*
*♦️चोघडिया, रात♦️*
*अमृत 18:56 - 20:21 शुभ*
*चर 20:21 - 21:46 शुभ*
*रोग 21:46 - 23:11 अशुभ*
*काल 23:11 - 24:36 अशुभ*
*लाभ 24:36 - 26:01 शुभ*
*उद्वेग 26:01 - 27:25 अशुभ*
*शुभ 27:25- 28:50 शुभ*
*अमृत 28:50 - 30:15 शुभ*
*♦️विशेष मुहूर्त जाप अनुष्ठान:*
*♦️नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा को साहस और आत्मविश्वास देने वाली देवी माना जाता है. देवी भागवत पुराण के मुताबिक, मां दुर्गा का यह रूप शांति और समृद्धि देने वाला माना गया है।**♦️मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व:*
*मां चंद्रघंटा की पूजा से साधक को चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न होने का वरदान मिलता है।*
*♦️मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती हैं।*
*♦️मां चंद्रघंटा की पूजा से साधक में वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का भी विकास होता है।*
*♦️मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के मुख, नेत्र और सम्पूर्ण काया में कांति वृद्धि होती है।*
*♦️मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के स्वर में दिव्य-अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है।*
*♦️मां चंद्रघंटा को सफ़ेद चीज़ का भोग लगाना चाहिए, जैसे दूध या खीर. सेब, केला, दूध की मिठाई, खीर आदि का भोग लगाया जा सकता है।*
*♦️या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। ♦️*
*♦️ कुंडली का छठा भाव और नौकरी में बाधा ♦️*
*♦️ छठे घर में स्थित ग्रहों का सीधा संबंध इस बात से भी होता है कि जातक किस कार्य में लगा हुआ है, वह किन अधीनस्थ या निम्न तरह के लोगों के संपर्क में रहता है और उसे कौन सी बीमारी या अस्वस्थता झेलनी पड़ सकती है।
*♦️इसे त्रिक या दुष्ट भाव भी कहा जाता है। कुंडली के 12 भावों में से तीन भाव यानि 6वां, 8वां और 12वां भाव त्रिक अशुभ भाव हैं।
*♦️ 6ठा भाव में शुभ ग्रह आपके सेवा, नौकरी,करियर में शुभ और अनुकूल फल देते है। शुभ ग्रह स्थित होने के कारण जातक समय पर सेवानिवृत्त होता है और बहुत शांति से अपने समकक्ष या अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ सेवा अवधि को पूर्ण करते है।
*♦️लेकिन छठे भाव में स्थित अशुभ ग्रह निश्चित रूप से अधीनस्थों,समकक्षों,नौकरों और अन्य लोगों के कारण अशांति, परेशानियां, बाधाओं, परेशानियों, पदचयूत होने का सामना करना पड़ता है और उनके माध्यम से बहुत अधिक नुकसान भी होता है।त्रिपुर सुंदरी ज्योतिष
*♦️ कुछ अशुभ ग्रह युतियाँ हैं, जिनके कारण जबरन सेवानिवृत्ति या सेवा से अचानक बर्खास्तगी भी हो सकता है।
*♦️ये अशुभ ग्रह योग हैं:-
*♦️1- केतु और शनि छठे भाव में उग्र राशि में हों।
*♦️2- मंगल एवं शनि छठे भाव में उग्र राशि में हों।
*♦️3. छठे भाव में मंगल और राहु हिंसक राशि में हों।
*♦️4. केतु और मंगल छठे भाव में उग्र राशि में स्थित हों।
*♦️5. चंद्रमा और केतु छठे भाव में उग्र राशि में हों।
*♦️6. मंगल और चन्द्रमा छठे भाव में उग्र राशि में हों।
*♦️*♦️ हिंसक राशियाँ मेष, वृषभ, वृश्चिक और कुंभ हैं।♦️*
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*♦️यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के सेअनुसार है।*
*♦️आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*जनरुचि को ध्यान में रखकर दी जा रही है, उपाय और सलाहों को अपनी आस्था और विश्वास पर आजमाएं। हमारा उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*यह पंचांग निशुल्क नगर की जनता जनार्दन के सेवा में अलग अलग जगह से लेकर तैयार एवं नागौर के समय अनुसार है।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा 8387869068*