*📗📒 हिंदू नववर्ष व नवरात्रि पंचांग 📗📒*
*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*जय श्री राम🚩राम🚩राम🚩*
*🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️*
*♦️लब्ध्वा शुभं नववर्षेऽस्मिन् कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्॥♦️*
*♦️भावार्थइसी तरह, नया साल आपके लिए हर दिन, हर पल मंगलमय हो।*
*♦️सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु।*
सर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु।।♦️*
*♦️~बुधवार चैत्र द्वितीया का 10 अप्रैल 2024 पंचांग~♦️*
*♦️दिनांक - 10 अप्रैल 2024*
*♦️दिन - बुधवार*
*♦️विक्रम संवत् - 2081*
*♦️मास - चैत्र*
*♦️पक्ष - शुक्ल*
*♦️तिथि - द्वितीया शाम 05.31:48 तक, तत्पश्चात तृतीया*
*♦️नक्षत्र भरणी 27:04:38 पश्चात कृतिका*
*♦️योग विश्कुम्भ 10:36:18 पश्चात प्रीति *
*♦️करण बालव 06:57:58 पश्चात गर 15:02:49*
*♦️राहू काल 12:36 - 14:11 अशुभ*
*♦️सूर्योदय सुबह: 06:17:02*
*♦️सूर्यास्त सांय: 06:55:53*
*♦️दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*♦️विशेष मुहूर्त जाप अनुष्ठान:
*♦️ब्रह्रा मुहूर्त- सुबह 04:48 से 05: 33 तक*
*♦️अभिजीत मुहूर्त- सुबह 12:12 से दोपहर 01:02तक*
*♦️निशिता काल: रात्रि 12:14से 12:59 तक*
*♦️व्रत पर्व विवरण- चेटीचंड, श्री झूलेलाल जी जयंती।*
*♦️विशेष - द्वितीय को बृहति (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।*
*♦️चैत्र नवरात्रि (9अप्रैल से 17 अप्रैल 2024)♦️*
*♦️10 अप्रैल 2024 नवरात्रि दिन 2 द्वितीया मां ब्रह्मचारिणी पूजा*
*♦️ नवरात्रि की द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं । इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है । साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं ।*
*♦️दूसरा दिन ब्रह्मचारिणी ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।*
*♦️10 अप्रैल 2024 नवरात्रि दिन 2 द्वितीया देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से मंगल दोष खत्म होता है।*
*♦️ नवरात्रि की द्वितीया तिथि यानी दूसरे दिन माता दुर्गा को शक्कर का भोग लगाएं । इससे उम्र लंबी होती है ।*
*♦️चोघडिया, दिन♦️*
*लाभ 06:17 - 07:52 शुभ*
*अमृत 07:52 - 09:27 शुभ*
*काल 09:27 - 11:02 अशुभ*
*शुभ 11:02 - 12:36 शुभ*
*रोग 12:36 - 14:11 अशुभ*
*उद्वेग 14:11 - 15:46 अशुभ*
*चर 15:46 - 17:21 शुभ*
*लाभ 17:21 - 18:56 शुभ*
*♦️चोघडिया, रात♦️*
*उद्वेग 18:56 - 20:21 अशुभ*
*शुभ 20:21 - 21:46 शुभ*
*अमृत 21:46 - 23:11 शुभ*
*चर 23:11 - 24:36 शुभ*
*रोग 24:36 - 26:01 अशुभ*
*काल 26:01 - 27:26 अशुभ*
*लाभ 27:26 - 28:51 शुभ*
*उद्वेग 28:51 - 30:16 अशुभ*
*♦️ ज्योतिषीय जानकारी♦️*
*♦️त्रिखल दोष : एक भयानक दोष*
*♦️त्रिखल दोष मुख्यत: दो प्रकार को होता है, जिनमें से एक दोष की चर्चा आमतौर पर अधिक की जाती है। यह है, जब किसी घर में तीन पुत्रियों के बाद पुत्र संतान का जन्म हो या तीन पुत्रों के बाद पुत्री संतान का जन्म हो तो त्रिखल दोष होता है। यह दोष शुभ और अशुभ दोनों प्रकार के फल देता है।*
*♦️तीन पुत्र के बाद पुत्री जन्म का फल*
*♦️यदि किसी के घर में तीन पुत्र संतान के बाद कन्या का जन्म हुआ हो तो यह शुभ संकेत माना जाता है। जिस दिन से कन्या का जन्म होता है उसी दिन से घर में बरकत शुरू हो जाती है। यदि घर के मुखिया के पास आजीविका को कोई साधन ना हो। उसके पास कोई नौकरी या व्यापार नहीं हो तो पुत्री जन्म के बाद से उसे आय के साधन प्राप्त होना शुरू हो जाते हैं। व्यापार में वृद्धि होना शुरू हो जाती है।*
*♦️लेकिन इस प्रकार की कन्या का जन्म उसकी माता के लिए शुभ नहीं होता है। कन्या जन्म के बाद से माता शारीरिक रोगों से पीड़ित हो जाती है। उसे बार-बार बीमारियां घेर लेती हैं और इन बीमारियों से कभी छुटकारा नहीं मिलता। एक बीमारी दूर होते ही दूसरी हो जाती है।*
*♦️तीन पुत्रियों के बाद पुत्र जन्म का फल*
*♦️तीन पुत्रियों के जन्म के बाद यदि पुत्र का जन्म हुआ हो तो यह उस बच्चे के पिता और परिवार के लिए ठीक नहीं होता है। पुत्र के जन्म के बाद से घर में लगातार कोई न कोई परेशानी आने लगती है। आर्थिक हानि होती है। व्यापार-व्यवसाय लगातार गिरने लगता है। कोई भी काम पूरा नहीं होता। कार्यों में रूकावटें आती हैं।*
*♦️ऐसे पुत्र के जन्म से पिता तथा नाना के पक्ष को भय, रोग एवं धनहानि होती है। पिता को लगातार मानसिक तनाव बना रहता है। विवादित स्थितियां बनती रहती हैं। इस दोष में जन्में पुत्र को भी जीवन में कई बार मृत्युतुल्य कष्टों का सामना करना पड़ता है।*
*♦️ दोनों स्थितियों के अलावा एक अन्य प्रकार का त्रिखल दोष भी होता है*
*♦️उपरोक्त वर्णित दोनों स्थितियों के अलावा एक अन्य प्रकार का त्रिखल दोष भी होता है। इसके अनुसार किसी जातक की जन्मकुंडली में त्रिखल दोष तब बनता है जब एक ही ग्रह तीन अलग-अलग परिस्थितियों में मौजूद होता है।*
*♦️ उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति के जन्म समय में सूर्य कृतिका, उत्तराषाढ़ा या उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में हो तथा जन्मकुंडली में सूर्य पहले या दसवें भाव में स्थित हो तो त्रिखल दोष का निर्माण होता है। क्योंकि इन नक्षत्रों का स्वामी सूर्य है। प्रथम और दशम भाव का कारक ग्रह भी सूर्य है। इस प्रकार की स्थिति हो तो भी त्रिखल दोष होता है।*
*♦️ दोष का निवारण अत्यंत जरूरी*
*♦️जब त्रिखल दोष हो तो इसका निवारण करवाना अत्यंत जरूरी है। इसके लिए बालक या बालिका के जन्म के 11वें दिन विशेष पूजा करवाई जाती है, जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है।*
*♦️आमतौर पर जन्म के 10 दिन तक सूतक माना जाता है। यह पूजा सूतक समाप्ति के बाद 11वें दिन करवाई जाती है।*
*♦️ इसके लिए शुभ मुहूर्त में पति-पत्नी शुद्ध आसन पर पूर्वाभिमुख होकर, संकल्प पूर्वक गणपति पूजन, नवग्रह पूजन आदि करें। उसके बाद कलश स्थापना करते हुए उसके ऊपर ताम्रपात्र रखकर उस पर श्रीहरि की स्वर्ण या ताम्र की मूर्ति स्थापित करके पूजा की जाती है। विधिपूर्वक त्रिखला दोष शांति कर्म की कर्मकांडी पंडित से करवाएं।*
*♦️त्रिखल पूजा के बाद दान में तीन प्रकार के अन्न्, तीन वस्त्र, तीन धातु (सोना, चांदी, तांबा) तथा साथ में गुड़, एक लाल पर्ण व नारियल और दक्षिणा सहित संकल्प पूर्वक पुत्र/पुत्री और उसकी माता का हाथ लगवा कर मंदिर में या कुल ब्राह्मण को दान करना चाहिए।*
*♦️यदि त्रिखल दोष के बारे में जानकारी ना हो और बाद में पता लगे तो कोई डरने या घबराने की बात नहीं है, बाद में भी यह पूजा करवाई जा सकती है।*
▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮
*♦️यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के सेअनुसार है।*
*♦️आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*जनरुचि को ध्यान में रखकर दी जा रही है, उपाय और सलाहों को अपनी आस्था और विश्वास पर आजमाएं। हमारा उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*यह पंचांग निशुल्क नगर की जनता जनार्दन के सेवा में अलग अलग जगह से लेकर तैयार एवं नागौर के समय अनुसार है।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🔯