📕📗📒 📖पंचांग 📕📗📒
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🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱
मंगलवार चैत्र कृष्ण अष्टमी का 2 अप्रैल 2024पंचांग ~♦️*
*♦️दिनांक - 2 अप्रैल 2024*
*♦️दिन - मंगलवार*
*♦️विक्रम संवत् - 2080*
*♦️अयन - उत्तरायण*
*♦️ऋतु - वसंत*
*♦️मास - चैत्र*
*♦️पक्ष - कृष्ण*
*♦️तिथि - अष्टमी रात्रि 08:08:17 तक तत्पश्चात नवमी*
*♦️नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा रात्रि 10:47:47 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*♦️योग - परिघ शाम 6:33:59 तक तत्पश्चात शिव*
*♦️राहु काल-हर जगह का अलग है - सुबह 03:45 से दोपहर 05:19 तक*
*♦️सूर्योदय - 06:25:36*
*♦️सूर्यास्त - 06:51:48*
*♦️दिशा शूल - उत्तरदिशा*
*♦️शुभ काल♦️*
*♦️अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 बजे से दोपहर 01:04 बजे तक*
*♦️ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 04:52 – प्रातः 05:38 तक*
*♦️निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 03:01:01 तक*
*♦️अमृत काल - 06:05 PM - 07:40 PM*
*♦️व्रत पर्व विवरण - शीतलाअष्टमी ,*
*♦️विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है ।*
*🔴हर साल चैत्र मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी होली के आठ दिन बाद शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है।चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला माता का त्यौहार मनाया जाता है।*
*♦️शीतलाष्टमी माहात्म्य♦️*
*♦️शीतला सप्तमी - अष्टमी हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें शीतला माता का व्रत एवं पूजन किया जाता है। शीतलाष्टमी का पर्व होली के सम्पन्न होने के पश्चात मनाया जाता है। देवी शीतला की पूजा चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से आरंभ होती है।*
*♦️अष्टमी के दिन शीतला मां की पूजा अर्चना की जाती है तथा पूजा के पश्चात बासी ठंडा खाना ही माता को भोग लगया जाता है जिसे बसौड़ा कहा जाता हैं। वही बासी भोजन प्रसाद रूप में खाया जाता है तथा यही नैवेद्य के रूप में समर्पित सभी भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।*
*♦️अनेक धर्म ग्रंथों में शीतला देवी के संदर्भ में वर्णित है। स्कंद पुराण में शीतला माता के विषय में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार देवी शीतला चेचक जैसे रोग की देवी हैं, यह हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाडू) तथा नीम के पत्ते धारण किए होती हैं तथा गर्दभ की सवारी किए यह अभय मुद्रा में विराजमान हैं। शीतला माता के संग ज्वरासुर ज्वर का दैत्य, हैजे की देवी, चौंसठ रोग, घेंटुकर्ण त्वचा रोग के देवता एवं रक्तवती देवी विराजमान होती हैं इनके कलश में दाल के दानों के रूप में विषाणु या शीतल स्वास्थ्यवर्धक एवं रोगाणुनाशक जल होता है।*
*♦️स्कन्द पुराण में इनकी अर्चना स्तोत्र को शीतलाष्टक के नाम से व्यक्त किया गया है। मान्यता है कि शीतलाष्टक स्तोत्र की रचना स्वयं भगवान शिव जी ने लोक कल्याण हेतु की थी। इस पूजन में शुद्धता का पूर्ण ध्यान रखा जाता है। इस विशिष्ट उपासना में शीतलाष्टमी के एक दिन पूर्व देवी को भोग लगाने के लिए बासी खाने का भोग बसौड़ा उपयोग में लाया जाता है।
मान्यतानुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन बासी वस्तुओं का नैवेद्य शीतला माता को अर्पित किया जाता है। इस दिन व्रत उपवास किया जाता है तथा माता की कथा का श्रवण होता है।*
*♦️ कथा समाप्त होने पर मां की पूजा अर्चना होती है तथा शीतलाष्टक को पढ़ा जाता है, शीतलाष्टक शीतला देवी की महिमा को दर्शाता है, साथ ही साथ शीतला माता की वंदना उपरांत उनके मंत्र का उच्चारण किया जाता है जो बहुत अधिक प्रभावशाली मंत्र है* :-
*♦️वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।। मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।♦️*
*♦️पूजा को विधि विधान के साथ पूर्ण करने पर सभी भक्तों के बीच मां के प्रसाद बांटा जाता है इस प्रकार पूजन समाप्त होने पर भक्तजन माता से सुख शांति की कामना करते हैं। संपूर्ण उत्तर भारत में शीतलाष्टमी त्यौहार, बसौड़ा के नाम से भी विख्यात है। इस दिन के बाद से बासी भोजन खाना बंद कर दिया जाता है। इस व्रत को करने से देवी प्रसन्न होती हैं और व्रती के कुल में समस्त शीतलाजनित दोष दूर हो जाते हैं, में दाहज्वर, पीतज्वर, चेचक, दुर्गन्धयुक्त फोडे, नेत्र विकार आदि रोग दूर होते हैं।*
*♦️शीतला माता की पूजा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ और आषाढ के कृष्ण पक्ष की अष्टमी शीतला देवी की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होती है। इसलिए यह दिन शीतलाष्टमी के नाम से विख्यात है। आज के समय में शीतला माता की पूजा स्वच्छता की प्रेरणा देने के कारण महत्वपूर्ण है।*
*♦️देवी शीतला की पूजा से पर्यावरण को स्वच्छ व सुरक्षित रखने की प्रेरणा प्राप्त होती है तथा ऋतु परिवर्तन होने के संकेत मौसम में कई प्रकार के बदलाव लाते हैं और इन बदलावों से बचने के लिए साफ सफाई का पूर्ण ध्यान रखना होता है। शीतला माता स्वच्छता की अधिष्ठात्री देवी हैं और इसी संदर्भ में शीतला माता की पूजा से हमें स्वच्छता की प्रेरणा मिलती है।*
*♦️चेचक रोग जैसे अनेक संक्रमण रोगों का यही मुख्य समय होता अत: शीतला माता की पूजा का विधान पूर्णत: महत्वपूर्ण एवं सामयिक है।*
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*♦️यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के सेअनुसार है।*
*♦️आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*जनरुचि को ध्यान में रखकर दी जा रही है, उपाय और सलाहों को अपनी आस्था और विश्वास पर आजमाएं। हमारा उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*यह पंचांग निशुल्क नगर की जनता जनार्दन के सेवा में अलग अलग जगह से लेकर तैयार एवं नागौर के समय अनुसार है।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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