*राम🚩राम🚩राम🚩राम🚩*
*🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️*
*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*♦️~शनिवार त्रयोदशी 23 मार्च 2024 का पंचांग~♦️*
*♦️दिनांक - 23 मार्च 2024*
*♦️दिन - शनिवार*
*♦️विक्रम संवत् - 2080*
*♦️अयन - उत्तरायण*
*♦️ऋतु - वसंत*
*♦️मास - फाल्गुन*
*♦️पक्ष - शुक्ल*
*♦️तिथि - त्रयोदशी अहोरात्र तक तत्पश्चात 23 मार्च 2024 त्रयोदशी 07:16:58तक पश्चात चतुर्दशी*
*♦️नक्षत्र पूर्व फाल्गुनी 31:32:41*
*♦️योग शूल 19:32:43पश्चात गण्ड*
*♦️करण तैतुल 07:16:58*
*♦️करण गर 20:35:39*
*_♦️राहु काल-हर जगह का अलग है - सुबह 09:39 से 11:10 तक*
*_♦️सूर्योदय - 06:36:37*
*_♦️सूर्यास्त - 06:46:42*
*_♦️दिशा शूल - पूर्व*
*_♦️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:01 से 05:48 तक*
*_♦️अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:17 से 01:06 तक*
*_♦️निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:05 तक*
चोघडिया, दिन
काल 06:37 - 08:08 अशुभ
शुभ 08:08 - 09:39 शुभ
रोग 09:39 - 11:10 अशुभ
उद्वेग 11:10 - 12:42 अशुभ
चर 12:42 - 14:13 शुभ
लाभ 14:13 - 15:44 शुभ
अमृत 15:44 - 17:15 शुभ
काल 17:15 - 18:47 अशुभ
चोघडिया, रात
लाभ 18:47 - 20:15 शुभ
उद्वेग 20:15 - 21:44 अशुभ
शुभ 21:44 - 23:13 शुभ
अमृत 23:13 - 24:41* शुभ
चर 24:41* - 26:10* शुभ
रोग 26:10* - 27:38* अशुभ
काल 27:38* - 29:07* अशुभ
लाभ 29:07* - 30:36* शुभ
*♦️नवविवाहित न देखें होली : नवविवाहित लड़कियों के लिए होलिका दहन की आग को देखना मना है क्योंकि होलिका दहन की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। यानी कि आप अपने पुराने साल के शरीर को जला रहे हैं। इसलिए नवविवाहित महिलाओं के लिए होलिका की अग्नि को देखना ठीक नहीं माना जाता है। यह उनके वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं होता है।*
*♦️. गर्भवती महिला या प्रसूता महिला न देखें होली : गर्भवती महिलाओं को होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए और न ही उन्हें होली की अग्नि को देखना चाहिए। ऐसा करना गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि वे महिला भी इन नियमों का पालन करें जो हाल ही में मां बनी हैं।_*
*♦️1. होलिका दहन : .....मार्च की रात्रि में शुभ मुहूर्त में होलिका दहन होगा। होलिका दहन के पूर्व होलिका के डांडे के आसपास लकड़ी और कंडे, भरभोलिये जमाकर रंगोली बनाई जाती। होलिका दहन के पहले होली के डांडा को निकाल लिया जाता है। उसकी जगह लकड़ी का डांडा लगाया जाता है। फिर विधिवत रूप से होली की पूजा की जाती है और अंत में उसे जला दिया जाता है।_*
*♦️2. होलिका पूजा सामग्री : थाली में रोली, कुमकुम, कच्चा सूत, चावल, कर्पूर, साबूत हल्दी और मूंग रखें। इसके बाद थाली में दीपक, फूल और माला भी रखें। थाली में 3 नारियल और कुछ बताशे रखें। फिर थाली में बड़गुल्लों की माला भी रखें। इस दिन कंडे, भरभोलिये (उपलों की माला), रंगोली, सूत का धागा, पांच तरह के अनाज, चना, मटर, गेहूं, अलसी, मिठाई, फल, गुलाल, लोटा, जल, गेहूं की बालियां, लाल धागा आदि सामग्री भी एकत्रित कर लें।_*
*♦️3. होलिका दहन की पूजा विधि : पूजन करके के पूर्व भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा और आरती करें। फिर सबसे पहले साबूत हल्दी, चावल, मूंग, बताशा, रोली और फूल होलिका पर अर्पित करें। इसके बाद बड़गुल्लों या भरभोलिये की माला अर्पित करें और नारियल भी अर्पित करें और फिर 7 परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत होलिका पर बांधें। होलिका, प्रहलाद और भगवान नृसिंह के मंत्रों का उच्चारण करते हुए पूजन सामग्री से होलिका की पूजा करें। फिर प्रहलाद की और फिर भगवान नृसिंह की पूजा करें। फिर हनुमान जी, शीतला माता, पितरों की पूजा करें। इसके बाद बाद 7 बार परिक्रमा करते हुए होलिका में कच्चा सूत लपेटें। उसके बाद जल, नारियल, कर्पूर, चना, गन्ना, मटर, गेहूं और अन्य पूजा सामग्री होलिका को चढ़ा देते हैं। उसके बाद अग्नि प्रज्वलित करते हैं। फिर जलती हुई होली की भी पूजा और परिक्रमा करते हैं। दूसरे दिन होली को ठंडी करके के लिए भी उसकी पूजा करते हैं।_*
*♦️_4. होलिका पूजन मंत्र
*_♦️ होलिका के लिए मंत्र: ओम होलिकायै नम:_*
*_♦️ भक्त प्रह्लाद के लिए मंत्र: ओम प्रह्लादाय नम:_*
*_♦️ भगवान नरसिंह के लिए मंत्र: ओम नृसिंहाय नम:_*
*_♦️ होलिका दहन की अग्नि में सभी सामग्रियों को अर्पित करते वक्त इस मंत्र का जाप करें- अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्।_*
*_♦️व्रत पर्व विवरण - शहीद दिवस*
*_♦️विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।*
*_♦️ शनिवार के दिन विशेष प्रयोग *_♦️
*_♦️ शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*
*_♦️ हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
*_♦️आर्थिक कष्ट निवारण हेतु_♦️*
*_♦️एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
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*♦️यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*♦️आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*जनरुचि को ध्यान में रखकर दी जा रही है, उपाय और सलाहों को अपनी आस्था और विश्वास पर आजमाएं। हमारा उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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