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पंचांग

 📕📗📒 📖पंचांग 📕📗📒
*राम🚩राम🚩राम🚩राम🚩*
*🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️*

jyotish


*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*♦️~ बुधवार एकादशी 20 मार्च 2024 का पंचांग ~♦️*
*♦️दिनांक - 20 मार्च 2024*
*♦️दिन - बुधवार*
*♦️विक्रम संवत् - 2080*
*♦️अयन - उत्तरायण*
*♦️ऋतु - वसंत*
*♦️मास - फाल्गुन*
*♦️पक्ष - शुक्ल*
*♦️तिथि - एकादशी मध्य रात्रि 02:22:22 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*♦️नक्षत्र - पुष्य रात्रि 22:37:08 तक तत्पश्चात आश्लेषा*
*♦️योग - अतिगंड शाम 04:59:12 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*♦️राहु काल-हर जगह का अलग है - शाम 12:43 से 02:14 तक*
*♦️सूर्योदय-06:39:56    *
*♦️सूर्यास्त - 06:45:10*
*♦️दिशा शूल - उत्तर*
*♦️ विडाल योग    06:39 ए एम से 10:38 पी एम*
*♦️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:04 से 05:51 तक*
*♦️निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:06 तक*
*♦️अमृत काल    03:35 पी एम से 05:20 पी एम*
*♦️ गोधूलि मुहूर्त    06:44 पी एम से 07:08 पी एम*
*♦️विजय मुहूर्त    02:44 पी एम से 03:32 पी एम*
  *📒चोघडिया, दिन📒*
*लाभ    06:40 - 08:11    शुभ*
*अमृत    08:11 - 09:41    शुभ*
*काल    09:41 - 11:12    अशुभ*
*शुभ    11:12 - 12:43    शुभ*
*रोग    12:43 - 14:13    अशुभ*
*उद्वेग    14:13 - 15:44    अशुभ*
*चर    15:44 - 17:15    शुभ*
*लाभ    17:15 - 18:45    शुभ*
     *📒चोघडिया, रात📒*
*उद्वेग    18:45 - 20:14    अशुभ*
*शुभ    20:14 - 21:44    शुभ*
*अमृत    21:44 - 23:13    शुभ*
*चर    23:13 - 24:42    शुभ*
*रोग    24:42 - 26:11    अशुभ*
*काल    26:11 - 27:40    अशुभ*
*लाभ    27:40 - 29:10    शुभ*
*उद्वेग    29:10 - 30:39    अशुभ*
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*♦️व्रत पर्व विवरण - फाल्गुन आमलकी (आंवला)एकादशी*
*♦️विशेष - शास्त्रों में एकादशी को मोक्षदायिनी तिथि माना गया है. इसलिए, एकादशी के दिन कुछ चीज़ों का सेवन नहीं करना चाहिए:चावल, मांस, प्याज़, लहसुन, गेहूं, और दाल
मसूर दाल, चना दाल, उड़द दाल, गोभी, गाजर, शलजम, पालक का साग पानजौ, बैंगन, और सेमफली
मांस-मदिरा या अन्य कोई भी नशीले पदार्थ*
*♦️पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं.♦️*
*♦️साल 2024 में यह तिथि 20 मार्च को सुबह 12 बजकर 21:11 मिनट से शुरू होकर 21 मार्च को सुबह 2 बजकर 22:22am मिनट पर खत्म होगी. उदया तिथि के हिसाब से आमलकी (आंवला)एकादशी 20 मार्च को ही मनाई जाएगी.*

*♦️आमलकी एकादशी को आमलक्य एकादशी और रंगभरी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन आंवला और विष्णु जी की पूजा का महत्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती से विवाह के बाद पहली बार काशी नगरी आए थे. मान्यता के मुताबिक, काशी में भगवान शिव का विशेष श्रृंगार पूजन होता है और उनको दूल्हे के रूप में सजाया जाता है.*
*♦️आमलकी एकादशी व्रत से धन, समृद्धि, और गौ दान के समान पुण्य मिलता है.*
*♦️ {संतान प्राप्ति न होने के ज्योतिषी कारण}*
*{जिम्मेदार ग्रह / युतियां/दृष्टियां}
{ज्योतिष आधार पर संपूर्ण विश्लेषण}*
*♦️ संतान प्राप्ति को दुनिया में सबसे अधिक सुखदायक माना जाता है। प्रत्येक दंपति की यह इच्छा होती है कि उनके घर भी संतान हो। जिससे वो भी आनन्द का अनुभव कर सकें। इसी चाहत में विघ्न तब पड़ता है, जब पति-पत्नी को इस बात का पता चलता है कि वो संतान का सुख नहीं पा सकते है।*

*♦️{संतान प्राप्ति न होने के ज्योतिषी कारण}*
*दंपति की कुण्डली में नाड़ी दोष होने पर संतान नहीं होती यदि होती भी है तो उनमें शारीरिक विकार होता है। उसके लिए विवाह करने से पहले ही ज्योतिष के उपाय करें।*

*♦️पंचम भाव में केवल मंगल का योग हो तो संतान बार-बार होकर मर जाती है। यदि गुरु या शुक्र की दृष्टि हो तो केवल एक संतति नष्ट होती है और अन्य संतति जीवित रहती है। बंध्या योग, काक बंध्या योग, विषय कन्या योग, मृतवत्सा योग, संतित बाधा योग एवं गर्भपात योग स्त्रियों की कुंडली में होकर उन्हें संतान सुख से वंचित कर देते हैं।*

*♦️लगन और चंद्र लगन से पंचम एवं नवम स्थान से पापग्रहों के बैठने से तथा उस पर शत्रु ग्रह की दृष्टि हो। लगन, पंचम, नवम तथा पुत्रकारक गुरु पर पाप प्रभाव हो लगन से पंचम स्थान में तीन पाप ग्रहों और उन पर शत्रु ग्रह की दृष्टि हो। आठवें स्थान में शनि या सूर्य स्वक्षेत्री हो। तीसरे स्थान पर स्वामी तीसरे ही स्थान में पांचवें या बारहवें में हो और पंचम भाव का स्वामी छठे स्थान में चला गया हो।*

*♦️जिस महिला जातक की कुंडली में लगन में मंगल एवं शनि इकट्ठे बैठे हों। लगन में मकर या कुम्भ राशि हो। मेष या वृश्चिक हो और उसमें चंद्रमा स्थित हो तथा उस पर पापग्रहों की दृष्टि हो।*

*♦️मंगल दूसरे भाव में, शनि तीसरे भाव में तथा गुरु नवम या पंचम भाव में हो तो पुत्र संतान का अभाव होता है। यदि गुरु-राहू की युति हो। पंचम भाव का स्वामी कमजोर हो एवं लग्न का स्वामी मंगल के साथ स्थित हो अथवा लगन में राहू हो, गुरु साथ में हो और पांचवें भाव का स्वामी त्रिक स्थान में चला गया हो।*

*♦️पंचम भाव में मिथुन या कन्या राशि हो और बंधु मंगल के नवमांश में मंगल के साथ ही बैठ गया हो और राहू तथा गुलिक लगन में स्थित हो। आदि-आदि कई योगों का वर्णन ज्योतिष ग्रंथों में मिलता है जो संतति सुख हानि करता है तथा कुंडली मिलान करते समय सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए इन्हें विचार में लाना अति आवश्यक होता है।*
*♦️पंचमेश से 5/6/10 में यदि केवल पापग्रह हो तो उसको संतान नहीं होती, हो भी तो जीवित नहीं रहती हैं।*
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*♦️यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*♦️आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*जनरुचि को ध्यान में रखकर दी जा रही है, उपाय और सलाहों को अपनी आस्था और विश्वास पर आजमाएं। हमारा उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🔯*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*

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