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पंचांग -19-03-2024

 📕📗📒 📖पंचांग 📕📗📒
*राम🚩राम🚩राम🚩राम🚩*
*🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️*

jyotish


*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*♦️~ मगलवार दशमी 19 मार्च 2024 का पंचांग ~♦️*
*♦️दिनांक - 19 मार्च 2024*
*♦️दिन - मंगलवार*
*♦️विक्रम संवत् - 2080*
*♦️अयन - उत्तरायण*
*♦️ऋतु - वसंत*
*♦️मास - फाल्गुन*
*♦️पक्ष - शुक्ल*
*♦️तिथि - दशमी मध्य रात्रि 12:21:11 तक तत्पश्चात एकादशी*
*♦️नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 08:08:58 तक तत्पश्चात पुष्य*
*♦️योग - शोभन शाम 04:35:22 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*♦️राहु काल-हर जगह का अलग है - शाम 03:44 से 05:14 तक*
*♦️सूर्योदय - 06:41:03*
*♦️सूर्यास्त - 06:44:39*
*♦️दिशा शूल - उत्तर*
*♦️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:52 तक*
*♦️निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 से 01:06 तक*
*♦️अमृत काल    05:34 पी एम से 07:18 पी एम*
*♦️विजय मुहूर्त    02:44 पी एम से 03:32 पी एम
*♦️व्रत पर्व विवरण - फाल्गुन दशमी (ओड़िशा)*
*♦️विशेष - दशमी के दिन कलंबी खाना भी निषेध है. एकादशी और द्वादशी तिथि के दिन बैंगन खाना अशुभ माना जाता है. शास्त्रों में माना गया है कि इस दिन सेवन करने से आपको नरक में जाना पड़ता है.*
      📒चोघडिया, दिन📒
रोग    06:41 - 08:12    अशुभ
उद्वेग    08:12 - 09:42    अशुभ
चर    09:42 - 11:12    शुभ
लाभ    11:12 - 12:43    शुभ
अमृत    12:43 - 14:13    शुभ
काल    14:13 - 15:44    अशुभ
शुभ    15:44 - 17:14    शुभ
रोग    17:14 - 18:45    अशुभ
      📒चोघडिया, रात📒
काल    18:45 - 20:14    अशुभ
लाभ    20:14 - 21:43    शुभ
उद्वेग    21:43 - 23:13    अशुभ
शुभ    23:13 - 24:42*    शुभ
अमृत    24:42 - 26:12    शुभ
चर    26:12 - 27:41    शुभ
रोग    27:41 - 29:11    अशुभ
काल    29:11 - 30:40    अशुभ
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*♦️ धन लाभ केसे प्राप्त होगा
*♦️ यदि जन्म कुंडली में दूसरे भाव (धन भाव) का स्वामी लग्न में विद्यमान हो तो जातक अपने जीवन में स्वयं के मेहनत के द्वारा धन अर्जित करता है।
*♦️दूसरी भाव का स्वामी यदि जातक की जन्म कुंडली में दूसरे भाव में विद्यमान हो तो जातक अपने जीवन में वाणी द्वारा अर्थात अपने बोलने की कला के द्वारा, अपने वाक् चातुर्य से धन अर्जित करता है।
 दूसरा भाव कुटुंब का भाव होने के कारण धन अर्जन में जातक को अपने कुटुंब परिवार का सहयोग भी प्राप्त होता है।
*♦️यदि दूसरे भाव का स्वामी तीसरे भाव में विद्यमान होता है तो जातक अपने मेहनत परिश्रम,पराक्रम, लेखन के कार्य के द्वारा तथा अपने छोटे भाई बहनों के सहयोग से भी धन अर्जन  करता है।
*♦️ यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में दूसरे भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में विद्यमान हो तो जातक अपनी माता के सहयोग से,भवन,वाहन,प्रॉपर्टी इत्यादि से जुड़े हुए कार्यों  से धन प्राप्त करता है।
*♦️दूसरे भाव का स्वामी जन्म कुंडली के पंचम भाव में विद्यमान होता है तो जातक अपने बुद्धिमता अथवा दूसरों को सलाह देकर दूसरों को परामर्श द्वारा अथवा बालको संबंधी वस्तुओं का विक्रय द्वारा भी जातक धन प्राप्त करता है।
*♦️यदि किसी जातक की जन्म कडली में दूसरे भाव का स्वामी षष्टम भाव में विद्यमान हो तो जातक सेवा द्वारा अर्थात ऐसा कार्य जिसके द्वारा सेवा का भाव मुख्य रूप से जुड़ा हुआ होता है। कर्ज के लेनदेन अथवा दलाली के कार्य से जातक धन अर्जित करता है।
*♦️दूसरा भाव का स्वामी कुंडली के सप्तम भाव में विद्यमान हो तो जातक दैनिक लेन-देन का कार्य अथवा पत्नी के सपोर्ट द्वारा धन अर्जन करता है।
*♦️दूसरे भाव का स्वामी यदि जन्म कुंडली के अष्टम भाव में स्थित होता है तो यद्यपि इस भाव को जन्म कुंडली में अच्छा भाव नहीं कहा गया है। फिर भी यह भाव विशेष गुण रखता है। जैसे गहरी खोज, ज्योतिषी रिचर्स, आध्यात्मिक साधना जैसे कार्य से जुड़ा हुआ होने कारण इन सभी कार्यों के माध्यम से जातक धन अर्जन करता है।
*♦️ दूसरे भाव का स्वामी जन्म कुंडली के नवम भाव में स्थित हो तो जातक धर्म संबंधी कार्यो से, पिता के सहयोग से,अध्यापन संबंधी कार्य द्वारा धन अर्जन करता है।
*♦️द्वितीय जन्म कुंडली के दशम भाव में स्थित हो तो जातक राजकीय कार्यों से , अथवा अर्द्ध राजकीय कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से जातक को धन की प्राप्ति होती है।
*♦️जन्म कुंडली में एकादश भाव को लक्ष्मी का भाव भी कहा जाता है अतः जन्म कुंडली में धन प्राप्ति की स्थिति एकादश भाव से देखी जाती है। यदि दूसरे भाव का स्वामी एकादश भाव में स्थित हो तो जातक जिस किसी भी क्षेत्र में कार्य करता है उसी क्षेत्र से जातक को धन प्राप्ति होती है।
*♦️ जन्म कुंडली में द्वादश भाव का भाव होता है। अतः यदि किसी जातक की जन्म कडली में दूसरे भाव का स्वामी बारवे भाव में विद्यमान हो तो जातक के जीवन में आमदन कम खर्चे अधिक होते हैं। तथा ऐसा जातक विदेश में रहकर अथवा विदेशी क्रियाकलापों या विदेशी कॉन्ट्रैक्ट के सामानों के विक्रय द्वारा धन अर्जन करता है।
*♦️ सामान्य रूप से दूसरे भाव की स्थिति के अनुसार जातक अपने जीवन में धन अर्जन करता है। अतः दूसरे भाव का विश्लेषण करते समय हमें दूसरे भाव के स्वामी की डिग्री, ऊंच-नीच, सूर्य से अस्त, पाप कर्तरी, मारक योगकारक आदि तत्वों का विश्लेषण करके जातक के जीवन में धन प्राप्ति का विश्लेषण करना चाहिए।
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*♦️यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*♦️आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*
*जनरुचि को ध्यान में रखकर दी जा रही है, उपाय और सलाहों को अपनी आस्था और विश्वास पर आजमाएं। हमारा उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।*
*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🔯*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*

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