एक्सिस बैंक पर जिला उपभोक्ता आयोग ने लगाया पन्द्रह हजार रुपए का हर्जाना
जिला उपभोक्ता आयोग का निर्णय
*बैंक की गलती से उपभोक्ता के खाते से राशि निकलने और बाद में राशि वापस चुकाते समय ब्याज नहीं देने को आयोग ने लिया गंभीर, आयोग ने कहा बैंक अब उपभोक्ता के खाते से राशि निकलने से पुन: जमा होने तक की अवधि का दे ब्याज। दोषी एक्सिस बैंक पर पन्द्रह हजार रुपए का हर्जाना भी*
नागौर, 31 मार्च 2024/ नागौर के जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने बैंक की गलती से उपभोक्ता के बैंक खाते से राशि निकलने को काफी गंभीरता से लिया है। आयोग ने इस मामले में एक्सिस बैंक पर पन्द्रह हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। मामले के अनुसार जोशियाद, नागौर निवासी मोहनराम ने अधिवक्ता गोविंद कड़वा के जरिए आयोग में परिवाद पेश कर बताया कि वह अपने एटीएम कार्ड सहित राज्य से बाहर था और पीछे से उसके एक्सिस बैंक, नागौर में खुले बैंक खाते से पाली स्थित एटीएम मशीन के जरिए दो दिन में 85,000/- रूपये निकल गये। मैसेज से उसे यह जानकारी मिलने पर उसकी पत्नी ने तुरंत पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई, इस पर बैंक ने उसके खाते से पेमेंट तो स्टॉप कर दिया, मगर एटीएम से निकली राशि वापस जमा नहीं करवाई। बाद में करीब तीन माह पश्चात बैंक ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए एटीएम से निकली राशि तो जमा करवा दी लेकिन ब्याज व क्षतिपूर्ति राशि नहीं दी। उपभोक्ता ने इस मामले में एक्सिस बैंक पर मिलीभगत व लापरवाही का आरोप लगाते हुए आयोग के समक्ष यह परिवाद पेश किया।
बैंक ने आयोग के समक्ष जवाब में परिवाद का विरोध करते हुए कथित किया कि ऑनलाइन बैकिंग व एटीएम ठगी में उनकी कोई लापरवाही या मिलीभगत नहीं रहती है फिर भी उन्होंने इस मामले में जांच कर गलत तरीके से निकाली गई राशि उपभोक्ता के बैंक खाते में जमा करवा दी है। इसके बावजूद भी परिवाद पेश किया गया है तो ऐसे में अब परिवादी कुछ भी पाने का अधिकारी नहीं है। *आयोग ने माना बैंक का सेवादोष* आयोग के अध्यक्ष नरसिंह दास व्यास, सदस्य बलवीर खुड़खुड़िया व चन्द्रकला व्यास ने अपने निर्णय में अप्रार्थी बैंक की सेवा में कमी, सेवा दोष व अनुचित व्यापार व्यवहार माना तथा कहा कि परिवादी की बिना गलती तथा अकारण ही उसके खाते से अवैध रूप से इतनी बड़ी राशि निकलना बहुत बड़ी लापरवाही है। *लगाया पन्द्रह हजार जुर्माना*
आयोग के अध्यक्ष व्यास, सदस्य खुड़खुड़िया व व्यास अपने पांच पेज के निर्णय में कहा कि यद्यपि इस मामले में जांच के बाद बैंक द्वारा अपनी गलती स्वीकार करते हुए करीब तीन माह बाद उक्त राशि वापस उपभोक्ता के खाते में जमा करा दी है लेकिन इस तीन माह की अवधि में उपभोक्ता को जो मानसिक, शारीरिक एवं आर्थिक क्षति हुई, उसका कोई मौद्रिक मूल्यांकन ही नहीं किया जा सकता। ऐसे में अप्रार्थी बैंक अब परिवादी को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षतिपूर्ति पेटे दस हजार एवं परिवाद व्यय के पांच हजार सहित कुल पन्द्रह हजार रूपये की राशि दो माह में अदा करें। बैंक उपभोक्ता को उसके खाते से राशि निकलने से पुन: जमा होने तक की अवधि का बैंक नियमानुसार ब्याज भी अदा करेगी।
*अन्यथा नौ प्रतिशत ब्याज देना होगा* आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि बैंक यदि दो माह की अवधि में उपभोक्ता को पन्द्रह हजार रूपये की हर्जाना राशि अदा नहीं करती है तो फिर उसे निर्णय की तिथि से भुगतान तक नौ प्रतिशत सालाना साधारण दर से ब्याज भी देना होगा।